शिमला:प्रदेश में 10 निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों पर गाज गिर चुकी है. निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग की ओर से इन कुलपतियों को इनके पदों से हटाने के निर्देश जारी किए गए हैं. यह बड़ी कार्रवाई इन कुलपतियों की शैक्षणिक योग्यता और पद पर रहने की उम्र पूरी होने के चलते आयोग की ओर से अमल में लाई जा रही है. आयोग की ओर से निजी विश्वविद्यालयों के खिलाफ गठित की गई कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर यह बड़ी कार्रवाई की गई है.
कमेटी आयोग ने निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता को जांचने के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट में सपष्ट किया है कि प्रदेश में 10 निजी विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति यूजीसी के नियमों के खिलाफ की गई है और यह कुलपति शैक्षणिक योग्यता को पूरा नहीं कर रहे हैं.
आयोग की ओर से निजी विश्वविद्यालयों के खिलाफ आ रही शिकायतों की जांच के लिए उच्च स्तरीय जांच कमेटी हिमाचल प्रदेश विवि के पूर्व कुलपति और वर्तमान में उच्च शिक्षा परिषद् के अध्यक्ष प्रो. सुनील कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में बनाई थी, जिसमें तकनीकी विवि के कुलपति प्रो. एसपी बंसल, सरदार वल्लभ भाई पटेल क्लस्टर यूनिवर्सिटी मंडी के कुलपति प्रो. सीएल चंदन शामिल थे.
कमेटी ने बीते शुक्रवार को सील बंद लिफाफे में आयोग के चेयरमैन अतुल कौशिक को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई हुई है. आयोग ने सभी निजी विवि के कुलपतियों का बायो डाटा मंगवाया था. इनकी शैक्षणिक योग्यता और अध्यापन अनुभव व शोध कार्याों को जांचा गया था, जिसमें निजी विश्वविद्यालयों में नियुक्त कुलपति योग्यता को पूरा नहीं कर रहे है.
हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग अध्यक्ष मेजर जनरल (सेवानिवृत) अतुल कौशिक ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 10 निजी विवि के वाइस चांसलर को अयोग्य ठहराया गया है. इन विवि के चांसलर को निर्देश दिए गए हैं कि वे 10 दिसंबर तक कंप्लाइस रिपोर्ट दें. उन्होने कहा कि निजी विवि के बाद अब प्रदेश में चल रहे निजी कालेजों के प्रधानाचार्यों की नियुक्तियों की जांच होगी.
इसमें सभी निजी कॉलेज, तकनीकी कॉलेज, नर्सिंग और बीएड कॉलेज शामिल हैं. इनमें प्रधानाचार्यों से लेकर फैकल्टी सदस्यों की शैक्षणिक योग्यता को जांचा जाएगा. आयोग के पास ऐसी शिकायतें आई हैं कि फैकल्टी में ऐसे सदस्यों को रखा गया है, जो शैक्षणिक योग्यता पूरी नहीं करते. प्रदेश में कुल 17 निजी विश्वविद्यालयों में से 16 विवि ही चल रहे हैं.
इन विश्वविद्यालयों में से 10 के कुलपति अयोग्य पाए गए है. 10 में से दो कुलपति पद पर रहने के लिए ओवरएज हैं, जबकि अन्य आठ यूजीसी की तय नियमों के तहत शैक्षणिक योग्यता नहीं रखते हैं. 2 निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. एक निजी विवि में विवादों के चलते इस साल दाखिले ही नहीं हुए हैं. इन्हीं तथ्यों से पता चल रहा है कि प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों को किस तरह से संचालित किया जा रहा है.