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हिमाचल की बेटी पर कांग्रेस की सियासी मजबूरी, कंगना के खिलाफ खुलकर बोलने से बच रहे हैं कांग्रेस नेता

महाराष्ट्र सरकार में शामिल कांग्रेस के लिए कंगना की खिलाफत करना मजबूरी है, लेकिन हिमाचल में कांग्रेस ऐसा खुलकर नहीं कर सकती. कारण ये है कि कंगना के साथ इस समय हिमाचल की बेटी जैसा भावुक नारा जुड़ गया है. कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अगिनहोत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व पार्टी अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने भी कमोबेश इसी लाइन पर अपनी बातें कहीं हैं. कारण साफ है कि न चाहते हुए भी हिमाचल कांग्रेस के नेताओं को कंगना का समर्थन करना ही पड़ेगा.

kangana ranaut
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Published : Sep 11, 2020, 6:04 PM IST

शिमला: बहुत कम लोगों को ये मालूम होगा कि अभिनेत्री कंगना रणौत की पारिवारिक पृष्ठभूमि कांग्रेस की रही है. कंगना रनौत के पड़दादा ठाकुर सरजू सिंह कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हैं. वह कांग्रेस से विधायक भी चुने गए थे, लेकिन मौजूदा दौर में स्थितियां इस कदर उलझ गई हैं कि कंगना रणौत हिमाचल कांग्रेस के लिए सियासी मजबूरी बन गई है.

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार में शामिल कांग्रेस के लिए कंगना की खिलाफत करना मजबूरी है, लेकिन हिमाचल में कांग्रेस ऐसा खुलकर नहीं कर सकती. कारण ये है कि कंगना के साथ इस समय हिमाचल की बेटी जैसा भावुक नारा जुड़ गया है.

यदि हिमाचल कांग्रेस कंगना रनौत का विरोध करती है तो उसे अपने ही प्रदेश की जनता की नाराजगी झेलनी पड़ेगी. हिमाचल कांग्रेस में सबसे पहले पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के युवा विधायक बेटे विक्रमादित्य सिंह ने कंगना के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली. हालांकि विक्रमादित्य सिंह की पोस्ट राजनीतिक चतुराई से भरी हुई थी.

कंगना पर विक्रमादित्य सिंह की पोस्ट राजनीतिक चतुराई से भरी हुई

विक्रमादित्य सिंह ने कंगना की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है. विक्रमादित्य सिंह की फेसबुक पोस्ट की पहली ही लाइन राजनीतिक चतुराई से परिपूर्ण है. अपनी पोस्ट की पहली पंक्ति में उन्होंने कंगना को हिमाचल की बेटी बताया और कहा कि उन पर हम सभी को गर्व है. कांग्रेस के युवा विधायक ने ये भी साफ किया कि यह राजनीतिक मसला नहीं है.

विक्रमादित्य सिंह ने महाराष्ट्र सरकार से अपील की है कि कंगना की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, लेकिन पोस्ट के अंत में विक्रमादित्य सिंह कंगना को सलाह देने से नहीं चूके. उन्होंने लिखा-कंगना से निवेदन है कि महाराष्ट्र के सीएम के बारे में टिप्पणी करते समय शब्दों की मर्यादा का ख्याल रखें. कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अगिनहोत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व पार्टी अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने भी कमोबेश इसी लाइन पर अपनी बातें कहीं हैं. कारण साफ है कि न चाहते हुए भी हिमाचल कांग्रेस के नेताओं को कंगना का समर्थन करना ही पड़ेगा.

प्रियंका गांधी के शिमला वाले घर को तोड़ने की मांग

उधर, हिमाचल भाजपा तो खुलकर कंगना के पक्ष में उतर आई है. हालात ये हुई कि भाजपा महिला मोर्चा की मुखिया ने तो यहां तक कह दिया कि कंगना के ऑफिस में तोडफोड़ सहन नहीं होगी और हिमाचल में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका वाड्रा गांधी का बंगला भी तोड़ा जाएगा.

हालांकि सीएम जयराम ठाकुर ने इसे भावावेश में दिया गया बयान बताया और कहा कि प्रियंका वाड्रा ने यहां घर बनाया है और उसकी सुरक्षा हिमाचल सरकार की जिम्मेदारी है. वहीं, हिमाचल भाजपा के सभी नेता, खासकर मंडी जिला के लीडर जोर-शोर से कंगना के समर्थन में बयान दे रहे हैं. कंगना रनौत मूल रूप से मंडी जिला के भांबला गांव की रहने वाली हैं. ये गांव मंडी व हमीरपुर जिला की सीमा पर स्थित है.

हिमाचल में कंगना के प्रति स्नेह और सहानूभूति की लहर

कंगना रनौत ने मनाली में अपना आशियाना बनाया है. जिस तरह से कंगना के खिलाफ महाराष्ट्र की सरकार ने कार्रवाई की है और शिव सेना अभद्र टिप्पणियों पर उतर आई है, उससे समूचे हिमाचल में कंगना के प्रति स्नेह और सहानूभूति की लहर है.

ऐसे में हिमाचल कांग्रेस के लिए कंगना के खिलाफ खुलकर बोलना संभव नहीं है और राजनीति की दृष्टि से नुकसानदायक भी है. यही कारण है कि हिमाचल कांग्रेस के नेता फूंक-फूंक कर बयान दे रहे हैं. इधर, केंद्र सरकार से वाई श्रेणी की सुरक्षा मिलने पर कंगना के परिवार में भी भाजपा के प्रति प्रेम के अंकुर फूट पड़े हैं. कंगना की मां आशा रनौत ने खुलकर गृह मंत्री अमित शाह की तारीफ की है.

कंगना ने सोनिया गांधी से भी पूछा सवाल

ऐसे में जो परिवार कभी कांग्रेस की पृष्ठभूमि का रहा था, वो अब भाजपा के खेमे में चला गया है. कंगना के प्रति हिमाचल और देश भर की जनता के बीच अभूतपूर्व समर्थन देखने को मिल रहा है. यही नहीं, अब सिने तारिका कंगना ने कांग्रेस की सुप्रीम लीडर सोनिया गांधी से भी सवाल पूछ डाला है कि एक महिला पर हुए अन्याय के बारे में वे चुप क्यों हैं.

कंगना ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को सवालों में लपेटा है, लेकिन हिमाचल कांग्रेस के लिए क्वीन के विरुद्ध ताल ठोक कर कुछ भी कहना संभव नहीं बन पा रहा है. आखिरकार हिमाचल एक छोटा राज्य है और यहां की राजनीति में भावुक मसले अधिक प्रभावी साबित होते हैं. महाराष्ट्र में कांग्रेस बेशक उस सरकार का हिस्सा है, जो कंगना को प्रताड़ित कर रही है, लेकिन हिमाचल में समीकरण अलग हैं और यहां कांग्रेस के लिए कंगना एक सियासी मजबूरी है.

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