शिमला:हिमाचल के सिरमौर जिला के हाटी समुदाय को छह दशक के संघर्ष के बाद जनजातीय दर्जा मिल गया है. बुधवार को राज्यसभा में हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने से जुड़ा संशोधन बिल पेश किया गया. बिल पर चर्चा के बाद केंद्रीय ट्राइबल अफेयर्स मिनिस्टर अर्जुन मुंडा ने चर्चा का जवाब दिया. बाद में सदन ने ध्वनिमत से संशोधन बिल को पास कर दिया. बिल के पास होते ही सदन की कार्यवाही गुरूवार तक के लिए स्थगित कर दी गई. राज्यसभा में बिल पारित होने के बाद हिमाचल के सिरमौर जिला के हाटी समुदाय में खुशी की लहर दौड़ गई. पूर्व विधायक बलदेव तोमर, हाटी संघर्ष समिति के पदाधिकारियों व इलाके के लोगों ने इस पर केंद्र सरकार का आभार जताया.
बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि हिमाचल के हाटी समुदाय की ये मांग दशकों पुरानी थी. किसी भी सरकार ने उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने हाटी समुदाय का दर्द समझा. उन्होंने कहा कि 12 से 13 हजार फीट की ऊंचाई पर दुर्गम इलाकों में बसे इस समुदाय के लोगों ने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग आगे बढ़ाई थी. दुर्गम इलाकों के लोग राजधानी आकर बार-बार अपनी मांग नहीं रख सकते. उन्होंने हाटी समुदाय के संघर्ष की चर्चा की और कहा कि अब उनको नरेंद्र मोदी सरकार के समय में हक मिलने जा रहा है. मुंडा ने कहा कि हिमाचल में पहले से साढ़े तीन लाख अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं. अब हाटी समुदाय के लोगों को मिलाकर ये संख्या साढ़े पांच लाख के करीब हो जाएगी. उन्होंने कहा कि हिमाचल में अनुसूचित जनजातियों के लोगों की संख्या पहले 8 फीसदी थी, जो बढक़र अब 20 फीसदी के करीब होगी.
इससे पहले चर्चा में शामिल हुए हिमाचल से राज्यसभा सांसद डॉ. सिकंदर कुमार ने इसका समर्थन करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में एससी व एसटी समुदाय के हितों की रक्षा हुई है. उन्होंने विपक्ष पर तंज कसा कि जिन दलों ने एससी-एसटी के वोटों पर सत्ता पाई और राज किया, वे इस बिल के समर्थन की बजाय सदन से बाहर चले गए. डॉ. सिकंदर कुमार ने सिरमौर के हाटी समुदाय के बारे में चर्चा की. उन्होंने कहा कि 1960 के दशक से हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग की जा रही थी. जौनसार बावर क्षेत्र को ये दर्जा पहले ही मिल चुका है. हिमाचल की 154 पंचायतों के लाखों लोगों की ये मांग थी.
केंद्रीय कैबिनेट ने 14 सितंबर 2022 को इसकी मंजूरी दी थी. लोकसभा से ये बिल 16 दिसंबर 2022 को पारित हुआ. उन्होंने कहा कि हाट में सामान बेचने के कारण इस समुदाय को हाटी कहा जाता है. ये जौनसार बावर के समाज से मिलता जुलता है. जौनसारी समुदाय की आबादी 88 हजार है, लेकिन हाटी समुदाय की आबादी 1.60 लाख के करीब है. उन्होंने जोरदार शब्दों में बिल का समर्थन किया. बिल के समर्थन में भाजपा सांसद डॉ. सुमेर सोलंकी, डॉ. कल्पना सैनी, समीर उरांव, सकलदीप राजभर आदि ने चर्चा की. हिमाचल भाजपा ने बिल पारित होने पर खुशी जताई है और केंद्र सरकार को धन्यवाद किया है. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, सांसद सुरेश कश्यप व अन्य नेताओं ने पीएम नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह सहित पार्टी नेतृत्व को इस मांग को पूरा करने का श्रेय दिया है. केंद्रीय हाटी संघर्ष समिति ने इसे हाटी समुदाय के संघर्ष की जीत बताते हुए केंद्र सरकार का आभार जताया है.
ये है मामले की पृष्ठभूमि:हिमाचल प्रदेश का दुर्गम जिला सिरमौर पिछड़ेपन का दंश झेलता आया है. गिरिपार इलाका तो इतना दुर्गम है कि जनता को रोजमर्रा की जरूरतों का सामान लाने के लिए उत्तराखंड के चूड़पुर, विकासनगर, हरियाणा का अंबाला तक जाना पड़ता था. हाट का सामान लाने की इसी कसरत ने गिरिपार इलाके की जनता को हाटी बनाया. वे इन इलाकों में अपने यहां के उत्पाद भी बेचने के लिए ले जाते रहे हैं. इस तरह अपना सामान बेचने और अपनी जरूरत का सामान लाने अथवा हाट करने के लिए जाने वाले लोग हाटी कहलाए.
दशकों तक पिछड़ेपन और विकास से महरूम हाटियों के जख्म पर अब मरहम लगा है. उन्हें जनजातीय का दर्जा मिलने के बाद अब केंद्र से विकास योजनाओं के लिए जनजातीय मदों में फंड मिलेगा और आरक्षण की सुविधा भी. एक जैसी परिस्थितियों वाले उत्तराखंड के जौंसार बावर इलाके को लंबे समय से ये दर्जा मिला हुआ है. इस बार सिरमौर के गिरिपार इलाके के लोगों ने आरपार की लड़ाई ठानी थी. केंद्र के समक्ष भी मजबूती से पक्ष रखा गया और परिणाम सभी के सामने है. उत्तराखंड के अटाल के रहने वाले पदम सम्मान से अलंकृत प्रेमचंद शर्मा ने भी सिरमौर की इस मांग का समर्थन किया था.