शिमला: जातीय व क्षेत्रीय संतुलन भारतीय राजनीति की सच्चाई है. हिमाचल की सियासत में हमेशा से राजपूतों का दबदबा रहा है. मौजूदा सरकार में भी इसी वर्ग का अधिक प्रतिनिधित्व है. रविवार को लंबे इंतजार के बाद हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार में कैबिनेट का विस्तार हुआ. कैबिनेट विस्तार में जातीय व क्षेत्रीय समीकरणों का ख्याल रखा गया है. कुल सात कैबिनेट मंत्रियों ने शपथ ली है. इसके अलावा छह मुख्य संसदीय सचिव भी बनाए गए हैं. इसके बाद कैबिनेट का स्वरूप देखें तो इस समय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के अलावा चार मंत्री राजपूत वर्ग से हैं. (Rajput in Sukhvinder govt) (Himachal cabinet expansion) (Chief Parliamentary Secretary in Himachal)
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के अतिरिक्त हर्षवर्धन चौहान, रोहित ठाकुर, अनिरुद्ध सिंह व विक्रमादित्य सिंह कैबिनेट में राजपूत वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. मुकेश अग्निहोत्री डिप्टी सीएम हैं. वे ब्राह्मण वर्ग से आते हैं. कैबिनेट में अन्य मंत्रियों में कर्नल धनीराम शांडिल दलित वर्ग से और चौधरी चंद्र कुमार ओबीसी का प्रतिनिधित्व करते हैं. सीपीएस में सुंदर सिंह ठाकुर राजपूत हैं. संजय अवस्थी ब्राह्मण हैं. इसके अलावा किशोरी लाल, मोहनलाल ब्राक्टा दलित वर्ग से हैं.
सीपीएस बनाए गए अन्य नेताओं में चौधरी रामकुमार ओबीसी, आशीष बुटेल कारोबारी समुदाय यानी बनिया वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस प्रकार कैबिनेट में व सीपीएस के पद देने में जातीय व क्षेत्रीय संतुलन कायम किया गया है. यदि पिछली सरकार की बात की जाए तो उसमें भी सीएम राजपूत वर्ग से थे. जयराम ठाकुर के अलावा कैबिनेट में महेंद्र ठाकुर, गोविंद ठाकुर, बिक्रम ठाकुर, वीरेंद्र कंवर, विपिन सिंह परमार (पहले हैल्थ मिनिस्टर फिर स्पीकर) व राकेश पठानिया राजपूत वर्ग से थे.
शिमला संसदीय सीट के नेताओं की बल्ले-बल्ले-कैबिनेट विस्तार में शिमला संसदीय सीट को अहमियत मिली है. इस समय शिमला संसदीय सीट से रोहित ठाकुर, विक्रमादित्य सिंह, अनिरुद्ध सिंह, हर्षवर्धन चौहान, धनीराम शांडिल कैबिनेट में शामिल हुए हैं. मोहनलाल ब्राक्टा, संजय अवस्थी, रामकुमार चौधरी शिमला संसदीय सीट से हैं.