शिमला:हिमाचल में सूखे की मार कृषि पर पड़ी है. राज्य में बीते लंबे अरसे से सूखे की स्थिति पैदा हो गई है. इसके चलते रबी की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है. राज्य में रबी के तहत आने वाले करीब एक चौथाई क्षेत्र में फसल नष्ट हो गई है. सबसे ज्यादा नुकसान जिला हमीरपुर, बिलासपुर, शिमला, सिरमौर, मंडी और सोलन में फसल को हुआ है.
हिमाचल में बीते लंबे अरसे से बारिश नहीं हुई है. दिसंबर से सूखा पड़ा हुआ है और जनवरी में कम बारिश हुई है. फरवरी माह में भी राज्य में 71 फीसदी कम बारिश हुई है, जबकि मार्च माह में भी अब तक करीब 81 फीसदी कमी बारिश में देखी गई है. इस कारण रबी की फसल प्रभावित हुई है.
1 लाख हेक्टेयर भूमि पर रबी की फसल प्रभावित- बारिश की कमी से राज्य में कुल 40 लाख 18 हजार 523 हेक्टेयर में से 10 लाख 4 हजार 920 हेक्टेयर भूमि पर गेहूं, जौ, मटर आदि की रबी फसल तबाह हो गई है. राज्य में करीब 94.62 करोड़ का नुकसान रबी की फसल को अब तक आंका गया है. इनमें सबसे ज्यादा नुकसान छह जिलों में हुआ है.
हमीरपुर में सबसे ज्यादा 28.57 करोड़ का नुकसान फसलों को हुआ है. इसके बाद शिमला जिले में 16.57 करोड़ का नुकसान हुआ है. मंडी जिले में 15.44 करोड़, सोलन जिले में करीब 8.49 करोड़, सिरमौर जिले में 8.22 करोड़ और बिलासपुर में करीब 7.76 करोड़ का नुकसान फसलों को अभी तक आंका गया है. हालांकि बाकी जिलों में कम नुकसान अभी फसलों को हुआ है.
स्टोन फ्रूट पर भी मंडराया खतरा-पहले सूखे से अब मौसम खराब होने से राज्य में स्टोन फ्रूट पर भी खतरा मंडरा गया है. प्रदेश में इन दिनों स्टोन फ्रूट के पौधों में फ्लावरिंग हुई है. मौसम खराब होने और तेज हवाओं के साथ कई जगह ओलावृष्टि होने से स्टोन फ्रूट की सेटिंग प्रभावित हुई है. इससे स्टोन फ्रूट की फसल भी अबकी बार प्रभावित होने के आसार बन गए हैं.
यही नहीं अबकी बार सेब के फसल पर भी सूखे की मार पड़ने की संभावना बनी हुई है. सूखे के कारण और तापमान अधिक होने के कारण सेब के पौधे के चिलिंग आवर्स पूरे नहीं हुए हैं. इससे सेब के बागीचों में जल्द फूल आने की संभावना बनी है, जिसका असर फसल पर पड़ सकता है.
सूखे से निपटने के लिए यह करें किसान-कृषि निदेशक डॉ. राजेश कौशिक ने कहा है कि राज्य में बारिश पर निर्भर क्षेत्रों पर सूखे की मार पड़ी है. इससे रबी की फसलों को नुकसान पहुंचा है. उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि जहां छोटे पानी के सोर्स उपलब्ध हैं वहां पानी का इस्तेमाल करें और सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम लगाएं.
सूखे से बचाव के लिए खेतों की मल्चिंग करें. इससे नमी बनी रहती है. गेहूं के लिए 800 ग्राम पोटेशियम नाइट्रेट को 40 लीटर पानी में डालकर इसकी एक बीघा में स्प्रे करें. यह तापमान के बढ़ने से गेहूं की फसल को खराब होने से बचाता है. इसकी जगह म्यूरेट ऑफ पोटाश 80 ग्राम को 40 लीटर पानी में डालकर भी एक बीघा में स्प्रे की जा सकती है. ये स्प्रे गेहूं की फसल में दो बार करें.
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