शिमला: हिमाचल प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भारी बरसात से क्षतिग्रस्त हुई अनाडेल कैंची मोड़-गवाही-कड़ोग संपर्क सड़क का निरीक्षण किया और कई जगहों पर टूटी हुई सड़क का जायजा लिया. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि गवाही-कड़ोग सड़क में गवाही के पास टूटी हुई सड़क पर जहां डंगा लगाना है, उसका एस्टीमेट तैयार कर दिया गया है. जिस पर 12 लाख रुपए लागत आएगी. अगले एक सप्ताह के अंदर डंगा लगाने का काम अवार्ड भी कर दिया जाएगा. मंत्री ने कहा कि कड़ोग गांव की सड़क बीच-बीच में टूट चुकी है, जिसे जेसीबी के जरिए से सही किया जाएगा.
टुटू में विकास कार्यों पर होगी बैठक: पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि टुटू ब्लॉक में लगभग 15 करोड़ रुपए की राशि विकास कार्यों के लिए स्वीकृत की गई थी, जिसे अब तक विकास कार्यों पर खर्च नहीं किया गया है. इसे लेकर जल्द ही बैठक की जाएगी. जिन पंचायतों द्वारा राशि खर्च करने में उदासीनता बरती जा रही है, उन पंचायतों को कड़े निर्देश जारी किए जाएंगे. इस दौरान उन्होंने नेरी पंचायत प्रधान और गवाही क्षेत्र के लोगों द्वारा रखी गई मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया.
'प्रदेश में 80% सड़कें बहाल':पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि पिछले दो महीने में हुई भारी बरसात के कारण आई आपदा से प्रदेश में बहुत ज्यादा जान-माल का नुकसान हुआ है. प्रदेश की अधिकतम सड़कें अवरुद्ध हुई, जिन्हें युद्ध स्तर पर ठीक करने का कार्य जारी है. उन्होंने कहा कि अब तक प्रदेश में 80 प्रतिशत सड़कों को बहाल कर दिया गया है. स्थिति को सामान्य बनाने व लोगों को राहत दिलवाने और पुनर्वास के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि इस मानसून सीजन में शिमला शहर में भी भारी क्षति हुई है. बहुत से पुराने व नए पेड़ टूटने के कारण मकानों को भी नुकसान पहुंचा है, जिसे ठीक करने में समय लगेगा.
ट्री अथॉरिटी की परमिशन के बाद होगा पेड़ों का कटान: पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि इस आपदा की आड़ में शिमला शहर में कुछ लोगों द्वारा बेवजह ही पेड़ों के काटने के मामले सामने आए हैं. जिसके बाद नगर निगम आयुक्त की अध्यक्षता में ट्री अथॉरिटी गठित की गई है, जिसकी अनुमति व निरीक्षण के बाद ही पेड़ों को काटा जा सकेगा. उन्होंने कहा कि लोगों द्वारा बेतरतीब ढंग से मकान बनाए गए हैं, जिसका उन्हें इस बरसात में खामियाजा भुगतना पड़ा है. भविष्य में इससे संबंधित कानून को सख्ती से लागू किया जाएगा, ताकि आपदा की स्थिति में जानमाल के नुकसान से बचा जा सके.
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