शिमला: पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन के कार्य के निरीक्षण करने पर लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह और मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर तंज कसा है. दोनों नेताओं ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकाल के दौरान किसी भी राष्ट्रीय राजमार्ग का कभी भी निरीक्षण नहीं किया और न ही इनके शीघ्र निर्माण और विस्थापितों को मुआवजा देने की मांग की गंभीरता से वकालत की. अब वह केवल सुर्खियां बटोरने के लिए कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन का निरीक्षण कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य के लिए 67 हजार करोड़ रुपये लागत के 68 राष्ट्रीय राजमार्गों की घोषणा की थी. पिछले पांच वर्षों के दौरान जय राम ठाकुर ने मुआवजा और भूमि अधिग्रहण के मामलों को अपने केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया. उन्होंने विस्थापितों की मांग को भी अनसुना कर दिया. अपने कार्यकाल के दौरान जयराम ठाकुर ने कभी भी राष्ट्रीय राजमार्ग स्थलों का दौरा करने की जहमत नहीं उठाई. भाजपा के कार्यकाल के दौरान इन परियोजनाओं का कार्य धीमी गति से हुए।
विक्रमादित्य सिंह और सुंदर सिंह ठाकुर ने कहा कि सत्ता में रहते हुए भाजपा सरकार फोरलेन और राष्ट्रीय राजमार्गों के अधिग्रहण के लिए फैक्टर फॉर्मूला लागू करने के लिए पूरी तरह से विफल रही. वर्ष 2017 के विधान सभा के चुनावों के दौरान भाजपा ने अपने दृष्टिपत्र में फॉर्मूला 2 के तहत चार गुना मुआवजा देने का वायदा किया था, लेकिन भाजपा सरकार विस्थापितों को पुनर्वास संबंधी कोई भी लाभ नहीं दे पाई. उस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री ने मंडी के लोगों को आश्वासन दिया कि उन्हें चार गुना मुआवजा प्रदान किया जाएगा, लेकिन उनके सभी वायदे कोरी कल्पना साबित हुए.
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विस्थापितों को पर्याप्त मुआवजा दिलाना सुनिश्चित किया:दोनों नेताओं ने कहा कि दूसरी ओर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यह सुनिश्चित किया कि विस्थापितों को पर्याप्त मुआवजा प्रदान किया जाए. उन्होंने 15 दिनों के भीतर समीक्षा कर प्रभावितों को लगभग 1200 करोड़ रुपये मुआवजा वितरित करना सुनिश्चित किया. उन्होंने याद दिलाया कि तत्कालीन केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री कमलनाथ ने कीरतपुर-मनाली फोरलेन परियोजना के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमति दी थी और फडिंग के अतिरिक्त फिजिबिलिटी स्टडी (व्यवहार्यता अध्ययन) भी करवाई थी.