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डाक विभाग के अधिकारियों ने राज्यपाल से की मुलाकात, कोरोना संकट में दी जा रही सेवाओं की दी जानकारी

डाक विभाग ने अधिकारियों ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मुलाकात की. इस दौरान अधिकारियों ने राज्यपाल को कोरोना महामारी के बीच डाक विभाग द्वारा दी गई सेवाओं के बारे में अवगत करवाया.

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Published : May 13, 2020, 10:19 PM IST

Postal Department meeting with Bandaru Dattatreya
बंडारू दत्तात्रेय के साथ डाक विभाग की बैठक

शिमला. डाक विभाग के अधिकारियों ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मुलाकात कर बताया कि प्रदेश भर में लगभग 4 लाख पेंशन भोगियों को उनके घरद्वार पर पेंशन राशि का भुगतान किया गया है.

डाक विभाग के इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (आईपीपीबी) द्वारा 25 मार्च, 2020 से आज दिन तक 11,413 लेने-देन के माध्यम से लगभग 5 करोड़ की राशि का भुगतान भी घरद्वार पर किया गया है. प्रदेशभर से देशभर के लिए लगभग 7 हजार ग्राहकों को दवाइयां पहुंचाई गईं. प्रतिदिन देशभर के लिए लगभग 250 पार्सल, जिनमें कैंसर से संबंधित दवाइयां शामिल हैं, की बुकिंग की जा रही है.

प्रदेश भर में जरूरी डाक के वितरण के लिए हर रोज सरकारी एवं निजी वाहनों के माध्यम से डाक का निपटान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि लगभग 170 जरूरतमंद लोगों को 30 क्विंटल राशन का आवंटन भी किया गया है.

हिमाचल प्रदेश डाक सेवा के निदेशक दिनेश कुमार मिस्त्री और सहायक पोस्ट मास्टर जनरल बिशन सिंह ने राजभवन में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से भेंट की. उन्होंने राज्यपाल को डाक सेवाओं के माध्यम से राज्य में लॉकडाउन अवधि के दौरान दी जा रही सेवाओं की जानकारी दी.

इस दौरान राज्यपाल दत्तात्रेय ने कोरोना महामारी के दौरान डाक विभाग द्वारा आम लोगों को दी जा रही सेवाओं की सराहना की. उन्होंने कहा कि विभाग के सभी कर्मी कोरोना योद्धाओं की अग्रणी पक्ति में सेवाएं दे रहे हैं. विशेषकर, पेंशन वितरण का कार्य करते हुए सकारात्मक संदेश दे रहे हैं. बंडारू दत्तात्रेय ने ऊना जिला के डाक अधीक्षक राम तीर्थ शर्मा और उनकी टीम का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने 30 हजार खाताधारकों को 12 करोड़ रुपये से अधिक की राशि घर-घर जाकर देकर उदाहरण प्रस्तुत किया है.

राज्यपाल ने विभाग में तकनीकी का पूर्ण उपयोग करते हुए सेवाओं को विस्तार देने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि विशेषकर प्रदेश के दूर-दराज के क्षेत्रों, किन्नौर और लाहौल-स्पीति के इलाकों में आधुनिक तकनीक का उपयोग करना चाहिए. साथ ही पारंपरिक तरीकों में अब बदलाव की आवश्यकता है.

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