शिमला: वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान हिमाचल प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा को कठिन समय से गुजरना पड़ा. स्वास्थ्य विभाग में खरीद को लेकर अनियमितताओं के आरोप के बाद विभाग के निदेशक को इस्तीफा देना पड़ा तो आंच भाजपा के मुखिया डॉ. राजीव बिंदल पर भी आई.
भाजपा का राजनीतिक घटनाक्रम इतनी तेजी से घूमा कि राजीव बिंदल को पार्टी अध्यक्ष पद से हटना पड़ा. वहीं, इस दौरान राज्य के सबसे बड़े जिले कांगड़ा में भी भाजपा फूट का शिकार हुई. आलम ये था कि संगठन महामंत्री और ज्वालाजी के विधायक रमेश ध्वाला की खींचतान सार्वजनिक हो गई.
बाद में वरिष्ठ भाजपा नेता रमेश ध्वाला ने बेशक सोशल मीडिया पर खेद पत्र जारी कर दिया, लेकिन बगावत की चिंगारी अभी भी राख के नीचे सुलग रही है. कोरोना के इस दौर में ही हिमाचल सरकार में कैबिनेट का विस्तार हुआ और इंदु गोस्वामी को राज्यसभा सांसद बनने का मौका मिला.
उधर, विपक्षी दल कांग्रेस की हालत भी कोई अच्छी नहीं रही. पार्टी को कोरोना संकट से पहले पिछले साल यानी 2019 में हुए उपचुनाव में हार मिली थी और इस साल कोरोना फैलने के बाद कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी भी बदले गए. राजीव शुक्ला को नया प्रभारी बनाया गया. सितंबर महीने में रजनी पाटिल को कांग्रेस के प्रभारी पद से हटाकर राजीव शुक्ला को जिम्मेदारी दी गई.
भाजपा के मुखिया को देना पड़ा इस्तीफा
दिसंबर 2017 में प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई भाजपा के लिए कोरोना काल उथल-पुथल वाला रहा. खासतौर पर संगठन के लिहाज से भाजपा को कई परेशानियों से दो-चार होना पड़ा. पार्टी ने पहले तो कद्दावर नेता डॉ. राजीव बिंदल को विधानसभा अध्यक्ष के पद से हटाकर प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी सौंपी, लेकिन ऐन कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग में हुए कथित भ्रष्टाचार के छींटे उनके दामन पर आए और डॉ. बिंदल को अपमानजनक तरीके से अध्यक्ष पद से विदा होना पड़ा.
बिंदल की जगह विपिन सिंह परमार विधानसभा अध्यक्ष बनाए गए. परमार पहले स्वास्थ्य मंत्री थे. उन्हें मंत्री पद छोड़ते समय राजनीतिक पीड़ा हुई. वहीं, लंबे अरसे से खाली पड़े मंत्री पदों पर तीन नेताओं की ताजपोशी हुई. साथ ही हिमाचल से खाली राज्यसभा सीट पर इंदु गोस्वामी को चुना गया.
कांगड़ा जिला के तेजतर्रार नेता राकेश पठानिया को वन विभाग मिला, सिरमौर के वरिष्ठ भाजपा नेता सुखराम चौधरी के हिस्से उर्जा विभाग आया तो पहली बार एमएलए बने जेपी नड्डा के करीबी राजेंद्र गर्ग को खाद्य व नागरिक आपूर्ति विभाग मिला.
डॉ. राजीव सैजल को मिली नई जिम्मेदारी
वहीं, राजीव सैजल का कद बढ़ाकर उन्हें अहम माने जाने वाले स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा दिया गया. सरवीण चौधरी से शहरी विकास छिन गया. सुरेश भारद्वाज से शिक्षा विभाग लिया गया. सरवीण चौधरी को अपना पुराना सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग मिला. बिक्रम ठाकुर को परिवहन विभाग मिला. उनके पास पहले से ही उद्योग विभाग था. सुरेश भारद्वाज को शिक्षा छोडक़र शहरी विकास विभाग में जाना पड़ा.
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मई महीने में स्वास्थ्य विभाग में निदेशक डॉ. अजय गुप्ता का एक ऑडियो वायरल हुआ. उसमें पैसों के लेन-देन की बात हो रही थी. निदेशक को इस्तीफा देना पड़ा तो राजीव बिंदल का नाम भी कथित भ्रष्टाचार में जोड़ा जाने लगा. पार्टी को किरकिरी से बचाने के लिए हाईकमान ने राजीव बिंदल का इस्तीफा ले लिया. हालांकि कहा ये गया कि नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र दिया गया है, लेकिन ये सियासी बयानबाजी ही मानी गई.