शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल शिमला को डेडिकेटेड कोविड-19 हॉस्पिटल बनाए जाने के विरोध में दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है.
मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार की दलीलों पर सहमति जताई है. हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सभी संभव कदम व पर्याप्त तरीके अपनाए हैं. कोर्ट ने कहा कि वह सरकार के डीडीयू अस्पताल को डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल घोषित करने के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकती क्योंकि यह सरकार के नीतिगत फैसले के तहत आता है.
सरकार ने यह फैसला विशेषज्ञों की राय व अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखते हुए लिया है. इसलिए बिना किसी ठोस आधार के इसे गलत ठहराना उचित नहीं होगा. गौरतलब है कि सुषमा कुठियाला की दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि राजधानी शिमला के क्षेत्रीय अस्पताल दिन दयाल अस्पताल रिपन को डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल बनाए जाने से न केवल राज्य व केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि डब्ल्यूएचओ के मानकों को भी नजरअंदाज किया जा रहा है.
याचिका में आरोप लगाया गया था कि सरकार के इस फैसले का स्थानीय दुकानदार और लोग भी विरोध कर रहे हैं. लोगों का कहना था कि कोरोना वायरस के लिए सरकार ने शिमला शहर के बीचों बीच डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल बनाया है, वह सही नहीं है.
डीडीयू अस्पताल में रोजाना हजारों की संख्या में मरीज अपना उपचार करवाने आते हैं, लेकिन अब इसे कोविड सेंटर बनाया गया है. ऐसे में लोगों को मजबूरन निजी अस्पतालों व आईजीएमसी की ओर रुख करना पड़ेगा. इससे आईजीएमसी में भीड़ बढ़ने से सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का पालन नहीं हो पायेगा.