शिमला: जयराम सरकार ने बस किराये में 25 फीसद की बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है. जयराम ठाकुर के सत्ता संभालते समय न्यूनतम किराया 3 रुपये था और अब 7 रुपये कर दिया गया है जो कि दो गुना से भी अधिक हो गया है.
सोमवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इसे मंजूरी दी गई. अब न्यूनतम किराया सात रुपये तय कर दिया गया है. जयराम सरकार के ढाई साल के कार्यकाल में ही बस किराये में दो बार बढ़ोतरी की गई है.
पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में पहाड़ी क्षेत्रों में साधारण बसों का प्रति किलोमीटर किराया 1.45 रुपये था. जयराम सरकार के कार्यकाल में अब बस किराया 2.18 रुपये है और न्यूनतम किराया दोगुना से ज्यादा है.
कांग्रेस कार्यकाल में न्यूनतम बस किराया तीन रुपये था. बाद में इसे बढ़ाकर पांच और अब सात रुपये किया गया है. इससे पहले सरकार ने 30 सितंबर, 2018 को कैबिनेट बैठक में बस किराये में 22 फीसदी की बढ़ोतरी को मंजूरी दी थी.
इससे पहले सरकार ने 30 सितंबर, 2018 को कैबिनेट बैठक में बस किराये में 22 फीसदी की बढ़ोतरी को मंजूरी दी थी. अब निजी बस ऑपरेटरों के दबाव के चलते सरकार ने बस किराये में 25 फीसदी की बढ़ोतरी की है.
जयराम सरकार का तर्क है कि सरकार को कोरोना काल के दौरान 30 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने केबिनेट के निर्णयों के बारे में जानकारी देते हुए तर्क दिया कि मंत्रिमंडल किराया बढ़ाने के हक में नहीं था, लेकिन डीजल के दाम बढ़े हैं और कोरोना वायरस के कारण बसों में सवारियों की भी कमी है. इस कारण सरकार ने एचआरटीसी और परिवहन विभाग को किराया बढ़ाने की मंजूरी दी है.
किराया बढ़ोतरी पर जनता का रोष साफ देखा जा सकता है. लोगों का कहना है कि कोरोना के इन विकट परिस्थितियों में जहां सरकार को जनता का सहयोग करना चाहिए था लेकिन उल्टा सरकार कारोबारी लोगों और निजी बस मालिकों को लाभ पहुंचाने में लगी है.
जनता का कहना है कि जहां तक पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में बढ़ोतरी की बात है तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दामों को कोई खास बढ़ोतरी नही हुई है फिर भी देश में पेट्रोल डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं. केंद्र सरकार को दाम नियंत्रण पर काम करना चाहिए.
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