शिमला:हर वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू दिवस मनाया जाता है. वहीं, राजधानी शिमला के डेंटल कॉलेज में क्षेत्र टोबैको सेशन सेंटर में 3 सालों में 200 से ज्यादा लोगों ने धूम्रपान और तंबाकू का सेवन छोड़ा है. यह जानकारी डेंटल कॉलेज के पब्लिक हेल्थ डेंटिस्ट्री विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विनय भारद्वाज ने दी.
प्रो. विनय भारद्वाज वैश्विक तंबाकू नियंत्रण विशेषज्ञ बन गए हैं. उन्हें जॉन हापकिंस ब्लूमबर्ग की निदेशक प्रोफेसर जोहाना कोहेन ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था. विनय भारद्वाज ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने जो भी सीखा है उसे पब्लिक हेल्थ डेंटिस्ट्री विभाग में स्थापित टोबैको सेशन सेंटर में लोगों को तंबाकू का प्रयोग छोड़ने के लिए ही लागू किया जाएगा. विभागीय सेशन में डॉक्टर शैलेश फोतेदार, डॉक्टर अरुण, डॉक्टर शीजा विशिष्ट इस बारे लोगों को जागरूक करते हैं.
तंबाकू से फेफड़ों पर नकारात्मक प्रभाव
प्रोफेसर विनय भारद्वाज ने बताया कि धूम्रपान और तंबाकू का प्रयोग करने वाले लोगों को कोरोना से संक्रमित होने के बाद गंभीर परेशानी उठानी पड़ती है. धूम्रपान और तंबाकू का सेवन करने से फेफड़ों का कार्य प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे उनकी एफिशिएंसी कम होती है. गौर रहे कि कोविड संक्रमण भी श्वसन तंत्र को ही संक्रमित करता है. धूम्रपान करने से फेफड़े कमजोर होते हैं, तो संक्रमण फेफड़ों में ज्यादा खतरनाक तरीके से फैलता है और मरीज को निमोनिया होता है. वहीं, ग्रामीण इलाकों में अभी भी समूह में धूम्रपान किया जाता है. इसके साथ ही पान, गुटखा आदि बार-बार यहां वहां थूकते रहते हैं, इससे भी संक्रमण का खतरा रहता है.
हिमाचल में 16 प्रतिशत लोग करते हैं तंबाकू का सेवन
हिमाचल में करीब 16 प्रतिशत लोगों तंबाकू का सेवन करते हैं. इनमें अधिकांश लोग बीड़ी, सिग्रेट, खैनी, गुटखा के आदि हैं. हालांकि प्रदेश में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है. शिक्षण संस्थानों के 100 मीटर क्षेत्र में नशीले पदार्थों की बिक्री पर भी पूर्ण प्रतिबंध है. प्रदेश में तम्बाकू का सेवन करने वालों की बड़ी संख्या औद्योगिक क्षेत्र बद्दी-बरोटीवाला और नालागढ़ क्षेत्र के लोगों की है. यहां बाहरी प्रदेशों से लोग मजदूरी करने आते हैं इसमें बड़ी संख्या में लोग तंबाखू का सेवन करते हैं.
चार गुना संक्रमण का खतरा
धूम्रपान करने वालों में धूम्रपान न करने वालों की तुलना में 4 गुना संक्रमण अधिक फैलने का खतरा रहता है. यह एक वैश्विक महामारी है, इसके प्रयोग से 80 लाख के लगभग लोगों की मौत होती हैं. वह लोग जो धूम्रपान करने वालों के आस पास रहते हैं, जो स्वयं धूम्रपान नहीं करते, वह भी पैसिव स्मोकिंग की वजह से इसके दुष्प्रभाव से नहीं बच सकते. ऐसे लगभग 12 लाख लोगों की मौत हर साल विश्व में होती है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भी कहा है कि तम्बाकू खाने वालों ज्यादातर धूम्रपान करने वाले लोगों में कोरोना संक्रमित होने पर आम लोगों से मौत का खतरा 40 से 50 प्रतिशत ज्यादा रहता है.