शिमला: प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में दिन प्रतिदिन बृद्धि होने के साथ ही लोगों में डर भी बढ़ता जा रहा है. लोग अब अपनी सुरक्षा अपने हाथ मान रहे हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राजधानी में सबसे भीड़-भाड़ वाले इलाकों में कभी बसों में चढ़ने के लिए मारा मारी होती थी, वहीं अब लोग बसों में चढ़ने को तैयार नहीं है.
राजधानी में कोरोना का खौफ, बसें चलने के बाद भी नहीं चढ़ रही सवारियां
राजधानी में सबसे भीड़-भाड़ वाले इलाकों में कभी बसों में चढ़ने के लिए मारा मारी होती थी, वहीं अब लोग बसों में चढ़ने को तैयार नहीं है. उपनगर संजौली में दिन भर बस अड्डे पर सवारी भरी रहती थीं और कोई भी बस खाली नहीं जाती थी. वहीं, अब आलम यह है कि निगम की बसें और निजी बसें कतारों में खाली खड़ी रहती है, लेकिन कोई एक–दो सवारी ही बस में चढ़ती है. अधिकतर बसें खाली सीटों के साथ ही शहर में दौड़ रही है.
राजधानी के सबसे भीड़-भाड़ वाले उपनगर संजौली में दिन भर बस अड्डे पर सवारी भरी रहती थीं और कोई भी बस खाली नहीं जाती थी. वहीं, अब आलम यह है कि निगम की बसें और निजी बसें कतारों में खाली खड़ी रहती है, लेकिन कोई एक–दो सवारी ही बस में चढ़ती है. अधिकतर बसें खाली सीटों के साथ ही शहर में दौड़ रही है. वहीं, लक्कड़ बाजार बस अड्डे पर भी कोई एक-दो सवारी ही रहती है जबकि कोरोना संकट से पहले सैंकडो सवारियां बसों में चढ़ने के लिए खड़ी रहती थी.
लॉकडाउन 5 में सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए जिलों में बस सेवा शुरू कर दी है, लेकिन शहर में बसें खाली चल रही है और बसों में चढ़ने वाली सवारियां सोशल डिस्टेंस का पूरा ध्यान रख रही है. गौरतलब है कि हिमाचल में कोरोना के 384 मामले सामने आए है,जिनमें लगभग 200 मामले एक्टिव है और प्रतिदिन मामले बढ़ रहे है. ऐसे में लोगो में भी कोरोना का खोफ है और वह अपनी सुरक्षा अपने हाथ मान रहे है. ऐसे में अधिकतर लोग शहर में पैदल चलने को प्राथमिकता दे रहे है और बीमारी से बचने के लिए ऐतिहात बरत रहे है.