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Accidents in Himachal: 22% पैदल चलने वाले होते हैं हादसों का शिकार, इन जिलों में सबसे ज्यादा हादसे

हिमाचल में सड़क हादसे में 22 फीसदी पैदल चलने वाले शिकार होते हैं. इस मामले में पिछले 6 साल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. कौन से जिले इन मामलों में टॉप पर हैं और क्या है हादसों की वजह. जानने के लिए पढ़ें पूरी ख़बर (Accidents in Himachal)

हिमाचल में हादसे
हिमाचल में हादसे

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Published : Mar 9, 2023, 6:55 PM IST

Updated : Mar 9, 2023, 9:10 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में रोज होते हादसे चिंता का विषय है. पिछले 6 साल के आंकड़े और भी डराने वाले हैं. पुलिस विभाग के आंकड़ों के मुताबिक बीते 6 साल के दौरान हिमाचल में हुए सड़क हादसों में 6,530 लोगों की जान गई है जबकि 26,600 लोग घायल हुए हैं.

22% पैदल चलने वाले हादसों का शिकार- गौरतलब है कि मंगलवार को सोलन में हुए एकहादसे में एक तेज रफ्तार कार ने 9 प्रवासी मजदूरों को कुचल दिया था, जिसमें 5 की मौके पर मौत हो गई थी. बीते 6 साल के आंकड़े बताते हैं कि 22% हादसों में पैदल चलने वाले शिकार होते हैं, जबकि इस दौरान सड़क हादसों में जान गंवाने वाले 15% पैदल चलने वाले थे.

कांगड़ा जिला टॉप पर- पुलिस के मुताबिक, पैदल चलने वालों की अधिकांश दुर्घटनाएं रात के समय होती हैं, जिसकी वजह खराब विजिबिलिटी होना है. आंकड़ों के मुताबिक सड़क हादसों में पैदल चलने वालों की मौत के सबसे ज्यादा मामले कांगड़ा जिले से आते हैं. जो प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है. इसके बाद ऊना और बद्दी का नंबर आता है.

सड़क हादसों में 22 फीसदी पैदल चलने वाले होते हैं शिकार

तेज रफ्तार के अलावा लापरवाही से वाहन चलाना और नशे में गाड़ी चलाना पैदल चलने वालों की मौत के लिए जिम्मेदार हैं, खासकर मैदानी क्षेत्रों में ये हादसों की सबसे बड़ी वजह थे. बद्दी, ऊना, पांवटा साहिब, नालागढ़, कुल्लू, अंब, नूरपुर, सदर हमीरपुर, बल्ह और कांगड़ा के पुलिस अधिकार क्षेत्र में अधिकांश दुर्घटनाओं में पैदल यात्री शामिल थे.

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ग्रामीण इलाकों में सबसे ज्यादा हादसे- पुलिस विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 6 साल में हिमाचल में 80 फीसदी हादसे ग्रामीण इलाकों में हुए हैं. सबसे ज्यादा हादसे और मौतें नेशनल हाइवे पर होती हैं. इसके बाद संपर्क मार्गों और स्टेट हाइवे पर हादसे होते हैं. प्रदेश में हिट एंड रन मामलों में 200 लोगों की जान गई.

हादसों की वजहें- तेज रफ्तार के अलावा, तीखे या अंधे मोड़, क्रैश बैरियर की कमी, शराब पीकर गाड़ी चलाना भी हादसों की वजहें हैं. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ट्रैफिक) नरवीर सिंह राठौड़ ने बताया कि "हम नशे में गाड़ी चलाने के खतरे से निपटने के लिए गंभीर हैं क्योंकि इससे अन्य चालकों और राहगीरों को भी परेशानी हो सकती है. वर्तमान में, हर जिले में कम से कम पांच और कुल 65 से अधिक अल्कोहल-सेंसर पुलिस के पास उपलब्ध हैं. जिससे शराब पीकर ड्राइविंग करने वालों पर कड़ी निगरानी की जाती है. शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर नकेल कसने के लिए और अधिक अल्कोहल-सेंसर खरीदे जाएंगे. उन्होंने कहा कि यातायात उल्लंघन का प्रभावी चालान भी सुनिश्चित किया जा रहा है.

तेज रफ्तार, शराब पीकर गाड़ी चलाना, क्रैश बैरियर की कमी हादसों की वजह

अधिकारियों ने कहा कि वाहनों की संख्या 9% (लगभग 1.4 लाख) सालाना की दर से बढ़ रही है और राज्य में पंजीकृत वाहनों की कुल संख्या 20 लाख से अधिक है और 20,000 से अधिक वाहन पीक टूरिस्ट सीजन के दौरान राज्य में प्रवेश करते हैं. पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 में 15.1% के राष्ट्रीय औसत की तुलना में पहाड़ी राज्य में प्रति 10,000 वाहनों पर सड़क दुर्घटनाएं 17.1% थीं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 5.1% की तुलना में प्रति 10,000 वाहनों पर आकस्मिक मृत्यु की संख्या 7% थी.

मंगलवार को सोलन में हुए हादसे के बाद हिमाचल प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू ने ट्वीट किया कि सर्वाधिक हादसों की संख्या वाले पुलिस स्टेशनों की पहचान की गई है और पुलिस अधीक्षकों को संबंधित विभागों के साथ मिलकर कदम उठाकर हादसों की संख्या में कमी लाने के निर्देश दिए गए हैं.

(पीटीआई इनपुट)

Last Updated : Mar 9, 2023, 9:10 PM IST

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