शिमला: प्रदेश की मौजूदा सरकार द्वारा प्रदेश के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा किया जा रहा है, लेकिन इनके दावों की हकीकत खोखली नजर आती है. प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में बेड की कमी की वजह से मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. ऑर्थो विभाग में इलाज के लिए पहुंच रहे मरीज दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हो रहे हैं. प्रशासन ऑर्थों विभाग में मरीजों के लिए बेड तक का इंतजाम नहीं कर पाया है. यही हाल ट्रामा वार्ड का भी है. यहां बेड खाली नहीं होने की स्थिति में मरीजों को वार्ड के बाहर स्ट्रेचर पर सुलाया जा रहा है.
गैलरी में मरीजों को सुलाए जाने की वजह से यहां से गुजरने वाले अन्य मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. ऑर्थो के मरीजों का समय से डॉक्टर इलाज भी नहीं कर पा रहे हैं. नाम ना छापने की शर्त कुछ मरीजों का कहना है कि उन्हें स्ट्रेचर पर सुलाए हुए 10 से 15 दिन हो चुके हैं. लेकिन, अभी तक डॉक्टरों द्वारा ऑपरेशन के लिए नहीं पूछा गया है. अब स्थिति यह बन चुकी है कि ना तो ऑपरेशन हो रहा है और ना ही बेड मिल रहा है.
आईजीएमसी में 60 प्रतिशत से भी ज्यादा ऐसे मरीज होते है, जिन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं किया जाता है. वे मरीज अस्पताल में ओपीडी व वार्डों के बाहर बिस्तर लगाकर राते गुजार रहे हैं. उन्हें डॉक्टरों द्वारा ऑपरेशन के लिए एक के बाद एक डेट दी जाती है. इसके अलावा कैंसर व अन्य बीमारियों के मरीज भी दो से चार महीनें से आईजीएमसी में अपना बिस्तर लगाए बैठे हैं. इस स्थिति में मरीजों का पैसा भी खर्च हो ही रहा है और परेशानी में कई गुणा बढ़ गई हैं.