शिमला: हाईकोर्ट ने प्रदेश के चार मेडिकल कॉलेजों में 3 वर्षों का अनुबंध कार्यकाल पूरा करने वाले वरिष्ठ रेजिडेंट/ट्यूटर डॉक्टरों को तुरंत नियमित करने के आदेश जारी किए हैं. न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने डॉक्टर रेजिडेंट पॉलिसी के क्लॉज 7.4 को मनमाना और अन्यायपूर्ण भी घोषित कर रद्द कर दिया. जिसके परिणामस्वरूप सरकार को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ताओं को उन्हीं मेडिकल कॉलेजों में वरिष्ठ रेजिडेंट / ट्यूटर विशेषज्ञ के रूप में सेवा जारी रखने की अनुमति दें जहां वे नियुक्त हुए थे.
याचिकाओं में दिए तथ्यों के अनुसार वर्ष 2016 में हिमाचल प्रदेश सरकार ने डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज नाहन, लाल बहादुर शास्त्री गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज मंडी, पं. जवाहर लाल सरकारी मेडिकल कॉलेज चंबा और डॉ. राधा कृष्ण सरकारी मेडिकल कॉलेज हमीरपुर को खोलने का फैसला किया. इन कॉलेजों के लिए विज्ञापन के माध्यम से विभिन्न विशिष्टताओं में रेजिडेंट डॉक्टरों के चयन के लिए उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए गए थे.
शुरू में यह नियुक्तियां केवल 6 माह के लिए की गई थी. विज्ञापन में यह विशेष रूप से निर्धारित किया गया था कि वरिष्ठ रेजीडेंसी के कार्यकाल को प्रदर्शन के अनुसार तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है. सभी याचिकाकर्ताओं ने आवेदन किया और साक्षात्कार में भाग लिया और उन्हें अपने संबंधित क्षेत्रों में सफल घोषित किया गया.10.4.2017 को जारी पत्र द्वारा सरकार ने याचिकाकर्ताओं को उनकी योग्यता के अनुसार विभिन्न विशिष्टताओं में ट्यूटर के रूप में नियुक्त करने की स्वीकृति दी.