शिमला: ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल करने की दिशा में हिमाचल की सुखविंदर सरकार ने निर्णायक कदम उठा लिया है. बड़ी बात ये है कि हिमाचल सरकार न तो पूरी तरह से राजस्थान सरकार का फार्मूले पर चलेगी और न ही पंजाब का पैटर्न अपनाएगी. छत्तीसगढ़ व झारखंड सरकार को भी फॉलो नहीं किया जाएगा. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह का मानना है कि हिमाचल प्रदेश को अपनी परिस्थितियों के हिसाब से फैसला लेने की आवश्यकता है. ऐसे में राज्य सरकार व कर्मचारियों के बीच सर्वमान्य विकल्प पर काम किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने अपने आप में ओपीएस बहाली का पूरा खाका तैयार कर लिया है. वित्त विभाग के अफसरों के साथ मैराथन बैठकों और फिर न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के प्रतिनिधियों के विचार जानने के बाद अब कैबिनेट में निर्णायक फैसला होगा. सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहती है, लिहाजा गंभीर चर्चा के बाद ही अंतिम फैसला आएगा. लेकिन ये तय है कि हिमाचल के कर्मचारियों को ओल्ड पैंशन स्कीम का लाभ मिलने में अब कोई संशय नहीं है.
सबसे पहले ये देखते हैं कि हिमाचल प्रदेश की स्थिति क्या है और यहां ओपीएस की बहाली कैसे होने जा रही है. आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में इस समय न्यू पेंशन स्कीम के तहत आने वाले कर्मचारियों की संख्या एक लाख अठारह हजार के करीब है. हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2003 में ओपीएस खत्म करके न्यू पेंशन स्कीम अपनाई गई थी. तब राज्य में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी. अब जिस समय ओपीएस बहाली की उम्मीद बंधी है तो भी राज्य में कांग्रेस सरकार है. (Himachal old pesnion scheme)
खैर, वर्ष 2003-2004 के बाद से अब तक जो कर्मचारी न्यू पेंशन स्कीम के तहत आए थे और अब रिटायर हो चुके हैं, उनकी संख्या 13 हजार दो सौ के करीब है. हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों ने न्यू पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों के कंट्रीब्यूशन के तौर पर केंद्र के पास 7600 करोड़ रुपए से अधिक जमा करवाए हैं. ये पैसा मार्किट में लगा है. न्यू पेंशन स्कीम में प्रावधान है कि केंद्र के पास जमा पैसा राज्य सरकार को नहीं मिलेगा. ये पैसा पेंशन की पात्रता तय कर लेने के बाद कर्मचारियों के खाते में ही जाएगा. पीएफआरडीए के पास राज्य सरकार व कर्मचारियों का हर साल 1632 करोड़ रुपए जा रहा है. इसमें से 14 फीसदी अंशदान राज्य सरकार का है. ये काफी बड़ी रकम है. (how OPS will be restored in Himachal)