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लॉकडाउन का एक साल: कोरोना काबू करने पर पहले मिली पीएम की शाबाशी, अब फिर खराब हुए हालात

आज से ठीक एक साल पहले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विधानसभा में राज्य में लॉकडाउन लगाने का एलान किया था. एक साल के भीतर हिमाचल ने कई उतार-चढ़ाव देखे और मौजूदा समय में कोरोना का ग्राफ फिर से बढ़ गया है. हिमाचल सरकार ने 19 मार्च को देशी और विदेशी सैलानियों की आमद पर प्रतिबंध लगा दिया. फिलहाल 1 साल की अवधि में हिमाचल प्रदेश में कई मोर्चों पर तो अच्छा काम किया, लेकिन लापरवाही के कारण हालात फिर से बेकाबू हो रहे हैं.

One year of lockdown in himachal
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Published : Mar 23, 2021, 8:05 PM IST

शिमलाः आज से ठीक एक साल पहले देशभर में लॉकडाउन लगाने का एलान किया था. कोरोना के खिलाफ जंग में हिमाचल को एक साल हो चुका है. इस दौरान प्रदेश ने कई उतार-चढ़ाव देखे. शुरुआत में सख्त कदमों और एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान से हिमाचल में कोरोना पर काफी हद तक नियंत्रण रखा. यही नहीं हिमाचल की रणनीति को केंद्र सरकार ने भी सराहा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान को शाबाशी भी दी.

मौजूदा समय में बढ़ने लगा कोरोना का ग्राफ

एक साल के भीतर हिमाचल ने कई उतार-चढ़ाव देखे और मौजूदा समय में कोरोना का ग्राफ फिर से बढ़ गया है. एक साल पहले जब कोरोना ने दस्तक दी थी तो हिमाचल ने कई सख्त कदम उठाए थे. ऐसी ही सख्ती का परिणाम था कि लंबे समय तक हिमाचल में कोरोना को पांव पसारने का मौका नहीं मिला. हिमाचल सरकार ने 14 मार्च को सभी शिक्षण संस्थान और सिनेमाघर पहले चरण में 31 मार्च तक बंद कर दिए. उस समय तक हिमाचल में कोरोना से प्रभावित विश्व के अन्य देशों से 593 लोग आ चुके थे. उनमें से कोई भी कोरोना पॉजिटिव नहीं था. केवल 7 लोगों को खांसी और जुकाम की शिकायत थी इन सभी की रिपोर्ट भी नेगेटिव आई थी.

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19 मार्च को देशी और विदेशी सैलानियों पर लगा प्रतिबंध

सरकार ने 19 मार्च को देशी और विदेशी सैलानियों के हिमाचल आने पर प्रतिबंध लगा दिया. 21 मार्च से एचआरटीसी व प्राइवेट बसों के संचालन में भी 50 फीसदी की कमी कर दी. फिर 21 मार्च को सर्वदलीय बैठक में कोरोना वायरस से लड़ाई का संकल्प लिया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का आह्वान किया था. इसी दिन हिमाचल सरकार ने राज्य की सीमाएं सील कर दी.

23 मार्च को विधानसभा का बजट सत्र स्थगित

23 मार्च को विधानसभा का बजट सत्र स्थगित कर दिया गया और लॉकडाउन की घोषणा की गई. कांगड़ा में तो पहले से ही लॉकडाउन था. इस तरह 23 मार्च को पूरे प्रदेश में इसे लागू कर दिया गया. सरकारी कार्यालय 26 मार्च तक बंद किए गए थे. इसी बीच 23 मार्च को ही तिब्बती मूल के एक बुजुर्ग की मौत हो गई. वह अमेरिका से आया था. 24 मार्च को पूरे प्रदेश में कर्फ्यू लागू करने के बाद सरकार ने हेल्थ डिपार्टमेंट को पहले चरण में 10 करोड़ रूपए की अतिरिक्त राशि मंजूर की.

3 अप्रैल तक तीन मामले थे पॉजिटिव

यदि कोरोना के सैंपल की बात की जाए तो 29 मार्च को सभी 17 सैंपल नेगेटिव आए थे. कुल 2673 लोगों को निगरानी में रखा गया. इसी दौरान सभी शिक्षण संस्थान 14 अप्रैल तक बंद कर दिए गए. हिमाचल में तबलीगी जमात की वजह से करोना के मामले आए थे. 3 अप्रैल तक तीन मामले पॉजिटिव थे. उसके बाद तबलीगी जमात के कारण अचानक से मामले बढ़े बाद में बढ़कर 11 हो गए और वह सभी जमात से जुड़े हुए थे.

उपकरण खरीद के चलते विवादों में रहा स्वास्थ्य विभाग

कोरोना से लड़ाई के बीच एक एक समय ऐसा भी आया जब हिमाचल सरकार का स्वास्थ्य विभाग उपकरण खरीद के कारण विवादों में रहा. स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को कुर्सी गंवानी पड़ी. घूस के आरोप के कारण राजीव बिंदल को भी प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद से हटना पड़ा.

एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान

अन्य प्रमुख घटनाओं की बात करें तो हिमाचल सरकार ने एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान चलाया. जिसकी वजह से कोरोना के रोगियों को ट्रेस करने में मदद मिली. हिमाचल में एक्टिव केस फाइंडिंग का परिणाम यह निकला कि अप्रैल महीने में 5 दिन से कोरोना का कोई केस नहीं आया था. 28 अप्रैल को प्रदेश में कुल 40 मामले थे. धीरे-धीरे अनलॉक के बाद प्रदेश की सीमाओं को खोला गया. कुछ पबंदियों के साथ आवाजाही भी शुरू हुई.

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ढिलाई के चलते फिर बढ़ा कोरोना का ग्राफ

नए साल यानी 2021 में एक समय एक्टिव केस 200 तक पहुंच गए थे. धीरे-धीरे ढिलाई का यह परिणाम हुआ कि एक्टिव केस फिर से 14 सौ के करीब पहुंचने वाले हैं. अभी हिमाचल सरकार ने मेलों पर पाबंदी लगा दी है और आयोजनों को लेकर भी नए दिशा निर्देश जारी किए हैं.

एक हजार पार हुआ कोरोना से मौत का आंकड़ा

हिमाचल प्रदेश में कोरोना से मौत का आंकड़ा भी एक हजार को पार कर गया है. स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव चंचल का दावा है कि पड़ोसी राज्यों के मुकाबले हिमाचल की स्थिति बेहतर है. यहां डेथ रेट देश के अन्य राज्यों के मुकाबले कम है. फिलहाल 1 साल की अवधि में हिमाचल प्रदेश में कई मोर्चों पर तो अच्छा काम किया, लेकिन लापरवाही के कारण हालात फिर से बेकाबू हो रहे हैं.

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