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कालका-शिमला ट्रैक पर दौड़ा ऐतिहासिक स्टीम इंजन, ब्रिटिश सैलानियों ने किया सफर

स्टीम इंजन को स्पेशल बुकिंग पर रेलवे की ओर से शिमला से कैथलीघाट तक चलाया गया. हर बार की तरह इस बार भी ब्रिटिश सैलानियों ने ही स्टीम इंजन की बुकिंग करवाई थी.

old steam engine
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Published : Feb 13, 2020, 7:35 AM IST

शिमला: विश्व धरोहर कालका-शिमला ट्रैक पर बुधवार को ऐतिहासिक स्टीम इंजन का इस वर्ष का पहला सफर हुआ. स्टीम इंजन को स्पेशल बुकिंग पर रेलवे की ओर से शिमला से कैथलीघाट तक चलाया गया. सुबह 11:00 बजे स्टीम इंजन कैथलीघाट के लिए रवाना हुआ और विदेशी यात्रियों ने स्टीम इंजन का के सफर का लुत्फ उठाया.

21 किलोमीटर के सफर में दो लग्जरी कोच इंजन में लगाए गए थे, जिसमें सात ब्रिटिश सैलानियों ने सफर किया. जब स्टीम इंजन शिमला से कैथलीघाट के लिए रवाना हुआ तो ना केवल इस में सफर करने वालों के लिए बल्कि ट्रैक के आसपास रहने वाले लोगों भी पर स्टीम इंजन को देखने के लिए काफी उत्साहित दिखे.

कालका-शिमला ट्रैक पर दौड़ा ऐतिहासिक स्टीम इंजन

हर बार की तरह इस बार भी ब्रिटिश सैलानियों ने ही स्टीम इंजन की बुकिंग करवाई थी. कैथलीघाट पहुंचने के बाद स्टीम इंजन यहां 1 घंटे रुका, जिसके बाद इसकी वापसी शिमला रेलवे स्टेशन के लिए हुई. बता दें कि स्टीम इंजन रेलवे की ओर से बुकिंग पर शिमला स्टेशन से कैथलीघाट तक चलाया जाता है.

वीडियो रिपोर्ट

वहीं शिमला रेलवे स्टेशन अधीक्षक प्रिंस सेठी ने बताया कि स्टीम इंजन ट्रैक पर कैथलीघाट तक चलाया गया जिसमें ब्रिटिश सैलानियों ने सफर किया.यह स्टीम इंजन ब्रिटिश सैलानियों की पहली पसंद है और लाखों का किराया होने के बाद भी ब्रिटिश सैलानी इस इंजन का सफर करते हैं. यह स्टीम इंजन जब ट्रैक चलता है तो इस से छुकछुक की आवाज के साथ ही सिटी की आवाज भी आती है. वहीं, स्टीम का धुआं भी यह इंजन छोड़ता है जो सबके लिए आकर्षण का केंद्र रहता है.

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बता दें कि स्टीम इंजन रेलवे की धरोहर है जो वर्षों पुरानी है. कालका-शिमला ट्रैक पर स्टीम इंजन 1906 में अंग्रेजों ने चलाया था. 1971 तक भाप इंजन ट्रैक पर दौड़ता रहा. 1971 में सर्विस करने के बाद इस इंजन को ट्रैक पर चलाना बंद कर दिया गया. 2001 में इस इंजन की मरम्मत करवाई गई जिसके बाद अब इसे ट्रैक पर चलाया जाता है.

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