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देवभूमि में भगवान के घर और इंसान के कारोबार पर कोरोना की मार, शक्तिपीठों के चढ़ावे में करोड़ों की गिरावट

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Published : May 19, 2021, 6:20 PM IST

Updated : May 19, 2021, 7:31 PM IST

देवभूमि हिमाचल प्रदेश में इस साल मंदिर खुले तो जरूर, लेकिन अब फिर से बंद हैं. ऐसे में मंदिरों के चढ़ावे में करोड़ों रुपए की कमी आई ही है, शक्तिपीठों के आसरे अपनी रोजी कमा रहे लोगों की आजीविका भी बर्बाद हुई है. हिमाचल में कई विख्यात शक्तिपीठ हैं. प्रदेश में कुल 35 मंदिर राज्य सरकार के अधीन हैं. अगर शक्तिपीठों की बात की जाए तो सभी प्रमुख मंदिरों के चढ़ावे में कम से कम 80 करोड़ रुपए की कमी आई है.

Himachal temples during Corona pandemic
फोटो.

शिमला: देवभूमि हिमाचल प्रदेश में भगवान के घर-द्वार पर भी वैश्विक महामारी कोरोना का विपरीत प्रभाव पड़ा है. यहां श्रद्धालुओं के चढ़ावे में भारी गिरावट दर्ज हुई है. पिछले साल लॉकडाउन के कारण मंदिर के कपाट बंद रहे थे और श्रद्धालु माथा टेकने नहीं आ पाए थे.

इस साल मंदिर खुले तो जरूर, लेकिन अब फिर से बंद हैं. ऐसे में मंदिरों के चढ़ावे में तो करोड़ों रुपए की कमी आई ही है, शक्तिपीठों के आसरे अपनी रोजी कमा रहे लोगों की आजीविका भी बर्बाद हुई है. हिमाचल में कई विख्यात शक्तिपीठ हैं. प्रदेश में कुल 35 मंदिर राज्य सरकार के अधीन हैं. अगर शक्तिपीठों की बात की जाए तो सभी प्रमुख मंदिरों के चढ़ावे में कम से कम 80 करोड़ रुपए की कमी आई है. इसमें सोने व चांदी के आभूषण शामिल नहीं हैं. वहीं, बिलासपुर जिला के शक्तिपीठ श्री नैना देवी को संचालित करने वाले ट्रस्ट की मंदिर परिसर व आसपास 16 बड़ी दुकानें हैं.

श्री नैना देवी मंदिर

कुल मिलाकर ट्रस्ट व निजी दुकानों की संख्या 110 के करीब हैं. इसी साल चार महीने में कारोबारियों को दो करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है. पिछले साल यानी वर्ष 2020 श्री नैना देवी शक्तिपीठ के आसपास के होटलों, टैक्सी वालों, श्रमिकों व दुकानदारों को छह करोड़ रुपए का नुकसान हुआ.

मंदिर चढ़ावे में आई गिरावट

इसी तरह कांगड़ा जिला के शक्तिपीठ बज्रेश्वरी देवी मंदिर ट्रस्ट में पिछले साल चढ़ावे में चार करोड़ से अधिक की गिरावट आई. वहीं, मंदिर के आसरे टिकी लोगों की आर्थिक गाड़ी भी पटरी से उतर गई. दुकानदारों, होटल व सराय वालों सहित टैक्सी चालकों व श्रमिकों की कमाई भी न के बराबर हुई. अमूमन नवरात्रि और अन्य पावन अवसरों पर कारोबारियों को यहां दस से पंद्रह करोड़ की कमाई हो जाती थी.

ब्रजेश्वरी मंदिर कांगड़ा

यही हाल, मां चामुंडा देवी मंदिर के आसपास के कारोबारियों का है. उन्हें भी सालाना 10 करोड़ की कमाई हो जाती थी. पिछले साल तो ये न के बराबर थी, इस साल नवरात्रि में श्रद्धालु कम ही आए तो आय भी कम हुई. श्री नैनादेवी मंदिर ट्रस्ट के टैंपल ऑफिसर हुस्नचंद चौधरी के अनुसार शक्तिपीठ के चढ़ावे में करोड़ों रुपए की गिरावट आई है. वहीं, मंदिर ट्रस्ट की दुकानों व आसपास के कारोबारियों को भी इस साल दो करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो चुका है. पिछले साल 2020 में कारोबारियों की आय में कम से कम छह करोड़ रुपए की गिरावट आई थी.

कारोबार में आई गिरावट

व्यापार मंडल श्री नैनादेवी के प्रधान भाग सिंह भी कहते हैं कि सालाना यहां के होटल, टैक्सी वाले और दुकानदार छह करोड़ रुपए से अधिक की कमाई कर लेते हैं. लेकिन कोरोना के कारण श्रद्धालुओं के आवागमन में कमी से छोटे कारोबारियों की कमर टूट चुकी है. टैक्सी चालक उत्तम चंद और पीयूष कुमार का कहना है कि टैक्सी ऑपरेटर्स सबसे अधिक परेशानी झेल रहे हैं. बैंक लोन सिर पर खड़ा है और ब्याज में छूट भी नहीं मिल रही. यही हाल, ढाबे और टी-स्टॉल वालों का है.

ऊना जिला के शक्तिपीठ चिंतपूर्णी ट्रस्ट के मंदिर अधिकारी ओपी लखनपाल के अनुसार कोरोना का असर न केवल चढ़ावे पर पड़ा है, बल्कि मंदिर के आसरे रोजी कमाने वाले भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. नवरात्रि व अन्य पावन पर्वों के दौरान यहां प्रसाद की दुकानों को संचालित करने वालों सहित अन्य कारोबारियों को आठ से दस करोड़ रुपए की कमाई हो जाती थी. अब ये नाममात्र रह गई है.

चिंतपूर्णी मंदिर

मंदिर परिसर के पास चाय व मिठाइयों की दुकान करने वाले मनोहर लाल का कहना है कि कोरोना के कारण पिछले साल से ही यहां के छोटे कारोबारियों को नुकसान हो रहा है. श्रद्धालुओं के आने से नवरात्रि पर्व में ही छोटे दुकानदारों का साल भर का गुजारा हो जाता था. टैक्सी वालों को भी परेशानी हो रही है. प्रसाद की दुकान चलाने वाले दुकानदार प्रेमचंद का कहना है कि मंदिर के कपाट बंद होने और श्रद्धालुओं के न आने से रौनक गायब है. कारोबार ठप पड़ा है.

वर्ष 2021 में शक्तिपीठों का चढ़ावा

बिलासपुर के श्री नैना देवी मंदिर में इस साल 21 जनवरी से 23 अप्रैल के बीच 6.63 करोड़ रुपए का चढ़ावा आया. महामारी से पहले ये रकम 23 करोड़ सालाना तक होती थी. पिछले साल यानी वर्ष 2020 में कुल 11 करोड़ का चढ़ावा आया. उससे पहले यानी कोरोना से पूर्व 2019 में ये रकम 23 करोड़ रुपए के करीब थी. इसी तरह कांगड़ा जिला के शक्तिपीठ मां बज्रेश्वरी देवी मंदिर ट्रस्ट की 2019 में चढ़ावे के तौर पर 6.55 करोड़ रुपए आए.

वर्ष 2020 में ये घटकर 2.07 करोड़ रह गया. इसी तरह मंदिर सराय व पार्किंग से 2019 में 15 लाख रुपए की आय हुई थी, जो 2020 में घटकर तीन लाख रुपए रह गई. इस साल भी चढ़ावे की रकम में भारी गिरावट आई है. कांगड़ा जिला के ही शक्तिपीठ मां चामुंडा का चढ़ावा भी 2019 में 4.39 करोड़ रुपए था. वर्ष 2020 में ये घटकर पौने दो करोड़ रुपए रह गया था.

चामुंडा मंदिर

ऊना जिला के विख्यात शक्तिपीठ चिंतपूर्णी मंदिर को प्रदेश के सबसे अमीर मंदिर होने का गौरव प्राप्त है. यहां मंदिर ट्रस्ट के पास बैंक में सौ करोड़ रुपए की एफडी है. इस साल मार्च महीने तक यानी 2021 के शुरुआती तीन महीने में चिंतपूर्णी मंदिर में श्रद्धालुओं ने 5.65 करोड़ रुपए का चढ़ावा अर्पित किया. वर्ष 2020 में मार्च महीने में हिमाचल में लॉकडाउन लगा था. उसके बाद मार्च से अगस्त 2020 तक चिंतपूर्णी मंदिर को कुल 11.75 लाख रुपए का चढ़ावा भेंट हुआ. ये ऑनलाइन अर्पित किया गया था. वहीं, 2019 में कोरोना से पहले मार्च से अगस्त के बीच चिंतपूर्णी मंदिर को कुल 14.07 करोड़ रुपए का चढ़ावा आया था.

हिमाचल के सरकारी अधिग्रहित मंदिरों में खरबों का खजाना

हिमाचल में सरकारी अधिग्रहण के तहत 35 मंदिर हैं. सबसे संपन्न मंदिर मां चिंतपूर्णी का है. यहां मंदिर के खजाने के तहत एक अरब रुपए की बैंक एफडी व एक क्विंटल सोना है. शक्तिपीठ मां नैना देवी मंदिर ट्रस्ट के पास 58 करोड़ रुपए से अधिक की एफडी व एक क्विंटल से अधिक सोना है. बिलासपुर जिला के शक्तिपीठ मां श्री नैनादेवी के खजाने में 11 करोड़ रुपए से अधिक नकद, 58 करोड़ रुपए से अधिक एफडी के तौर पर है. मंदिर के पास एक क्विंटल 80 किलो सोना और 72 क्विंटल से अधिक की चांदी है.

सोना-चांदी के हिसाब से केवल दो मंदिर ही भरपूर हैं. चिंतपूर्णी मां के खजाने में एक अरब रुपए से अधिक की एफडी के साथ मंदिर के पास एक क्विंटल 98 किलो सोना है. मंदिर ट्रस्ट के पास 72 क्विंटल चांदी भी है. अन्य शक्तिपीठों में कांगड़ा जिला के मां ज्वालामुखी मंदिर के पास 23 किलो सोना, 8.90 क्विंटल चांदी के अलावा 3.42 करोड़ रुपए की नकदी है.

ज्वालाजी मंदिर

कांगड़ा के ही शक्तिपीठ मां चामुंडा के पास 18 किलो सोना है. सिरमौर के त्रिलोकपुर में मां बालासुंदरी मंदिर के पास 15 किलो सोना और 23 क्विंटल से अधिक चांदी है. चंबा के लक्ष्मीनारायण मंदिर के पास भी 15 किलो सोना और करोड़ों रुपए की संपत्ति है. मां दुर्गा मंदिर हाटकोटी के पास 4 किलो सोना, 2.87 करोड़ की एफडी व 2.33 करोड़ रुपए नकद हैं.

मंदिरों ने कोविड फंड में दिए 15 करोड़

पिछले साल मार्च महीने में जब लॉकडाउन लगा तो प्रदेश सरकार ने सहयोग के लिए कोविड फंड स्थापित किया. उसमें आम जनता से लेकर नेताओं व मंत्रियों ने अंशदान किया. इसी कड़ी में मंदिरों ने भी खुलकर सहयोग किया. ऊना के विख्यात शक्तिपीठ मां चिंतपूर्णी मंदिर व बाबा बालकनाथ मंदिर ट्रस्ट ने सरकारी खजाने में पांच-पांच करोड़ रुपए का अंशदान दिया. इसी तरह बिलासपुर से मां नैना देवी ट्रस्ट ने 2.50 करोड़ रुपए व कांगड़ा जिला के विख्यात मां ज्वालामुखी मंदिर ने एक करोड़ रुपए का अंशदान किया था. बज्रेश्वरी देवी मंदिर कांगड़ा ने पचास लाख रुपए और शिमला के मशहूर कालीबाड़ी मंदिर ने 25 लाख रुपए की आहूति डाली थी. इसके अलावा प्रदेश भर के मंदिरों ने अपने खजाने से अंशदान किया था.

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Last Updated : May 19, 2021, 7:31 PM IST

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