हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

बाबा हरदेव सिंह के जन्मदिवस पर निरंकारी मिशन ने किया पौधारोपण, लोगों से की पर्यावरण संरक्षण की अपील

बाबा हरदेव सिंह महाराज के जन्मदिवस पर पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजित किया गया. निरंकारी मिशन के सदस्य नरेंद्र कश्यप ने कहा कि वृक्ष लगाकर हम न केवल आज की पीढ़ी को बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी सुखमय जीवन की सौगात दे सकते हैं.

By

Published : Feb 23, 2021, 3:33 PM IST

plantation on Baba Hardev Singh's birthday
plantation on Baba Hardev Singh's birthday

शिमलाः निरंकारी बाबा हरदेव सिंह का 67वां जन्म दिवस निरंकारी मिशन ने गुरु पूजा दिवस के रूप में मनाया. जिसके चलते एक देशव्यापी वृक्षारोपण अभियान चलाया गया. इसी कड़ी में शिमला के कमला नेहरू अस्पताल में निरंकारी मिशन के सदस्यों नें पौधरोपण किया.

निरंकारी मिशन के सदस्य ने दी जानकारी

निरंकारी मिशन के सदस्य नरेंद्र कश्यप ने कहा कि वृक्ष लगाकर हम न केवल आज की पीढ़ी बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी सुखमय जीवन की सौगात दे सकते हैं. पौधे लगाने से बढ़ते प्रदूषण से निजात मिल पाएगी. उन्होंने कहा कि पेड़ लगाए जाने से हमें शुद्ध हवा मिलती है. हमें अधिक से अधिक लोगों को पौधे लगाने के लिए प्रेरित करना चाहिए. साथ ही उन्होंने हर एक अनुयायी से एक-एक पेड़ लगाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से इस अभियान को साधारण तरीके से शुरू किया गया है. उन्होंने बताया कि शिमला की 41 ब्रांचों में ये पौधा रोपण अभियान चलाया जा रहा है और सभी इस अभियान में बढ़-चढ़ कर भाग ले रहे हैं.

वीडियो.
कौन थे बाबा हरदेव सिंहहरदेव सिंह का जन्म 23 फरवरी 1954 को दिल्ली में हुआ था.उन्होंने घर पर ही पढ़ाई करके शिक्षा हासिल की थी. बाद में वे संत निरंकारी कॉलोनी में रोसरी स्कूल और फिर पटियाला के एक बोर्डिंग स्कूल से पढ़ने चले गए.

ये भी पढ़ेंःमशरूम उत्पादन में देश का गौरव बना हिमाचल

1971 में उन्होंने निरंकारी सेवा दल ज्वाइन कर लिया. फर्रुखाबाद की सविंदर कौर से उन्होंने 1975 में शादी की थी. सविंदर दिल्ली में निरंकारी संत समागम की मेंबर भी थी. 1980 में उनके पिता की हत्या हो गई थी. उसके बाद वे संत निरंकारी मिशन के मुखिया बने. 1929 में संत निरंकारी मिशन की स्थापना हुई थी.

पिता के स्थान पर बैठे थे हरदेव सिंह
निरंकारी मिशन के चौथे गुरु निरंकारी बाबा हरदेव सिंह 27 अप्रैल 1980 में अपने पिता के देहांत के बाद गद्दी पर बैठे थे. बाबा की तीन बेटियां हैं और दो साल पहले ही उन्होंने अपनी छोटी बेटी की शादी पंचकूला निवासी अवनीत सेतिया से की थी.

ये भी पढ़ें:सिंचाई नहरों का हाल बेहाल, पानी की गिरती गुणवत्ता से किसान परेशान

ABOUT THE AUTHOR

...view details