हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

Naturopathy Day: नेचुरोपैथी से कई गंभीर बीमारियों का इलाज संभव, हिमाचल में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति बन रही लोगों की पसंद

National Naturopathy Day 2023: हिमाचल में नेचुरोपैथी से इलाज लोगों की पहली पसंद बनी हुई है. इससे कई गंभीर बीमारियों का इलाज संभव है. वहीं, अब युवा भी इस पद्धित से बीमारियों का इलाज कराने के लिए आगे आ रहे. डॉक्टरों का कहना है कि नेचुरोपैथी एक प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली की एक रचनात्मक विधि है. इसको लेकर शिमला में क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अस्पताल के एमएस डॉ. पूनम जरेट ने जानकारी दी है. पढ़ें पूरी खबर..

Naturopathy Treatment In Himachal
हिमाचल में नेचुरोपैथी से इलाज

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 17, 2023, 10:38 PM IST

Updated : Nov 18, 2023, 7:14 AM IST

डॉ. पूनम जरेट का बयान

शिमला: भारत में प्रति वर्ष 18 नवंबर को राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य दवा रहित प्रणाली के माध्यम से सकारात्मक मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है, जिसे प्राकृतिक चिकित्सा के रूप में जाना जाता है. हिमाचल प्रदेश में नेचुरोपैथी कितना कारगर सिद्ध हो रहा है, इसको लेकर शिमला में क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अस्पताल के एमएस डॉ. पूनम जरेट ने जानकारी दी. डॉ. पूनम जरेट ने बताया कि राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस का उद्देश्य औषधि रहित चिकित्सा पद्धति के माध्यम से सकारात्मक मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना, जिसे प्राकृतिक चिकित्सा कहा जाता है. आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा 18 नवंबर, 2018 को यह दिवस घोषित किया गया था.

डॉ. पूनम जरेट ने बताया कि 1945 में आज ही के दिन महात्मा गांधी ऑल इंडिया नेचर क्योर फाउंडेशन ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष बने थे और सभी वर्गों के लोगों को नेचर क्योर के लाभ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से विलेख पर हस्ताक्षर किए थे. प्राकृतिक चिकित्सा एक वैकल्पिक चिकित्सा-पद्धति और दर्शन है, जिसमें 'प्राकृतिक', 'स्व-चिकित्सा' अनाक्रामक' आदि कहे जाने वाले तरीकों का उपयोग होता है. जिन्हें छद्मवैज्ञानिक तरीके कहा जा सकता है. डॉ. पूनम जरेट ने बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा का दर्शन और विधियां प्राणतत्त्व वाद और लोक चिकित्सा पर आधारित हैं. प्राकृतिक चिकित्सा के अंतर्गत रोगों का उपचार व स्वास्थ्य-लाभ का आधार है.

डॉ. पूनम जरेट ने बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली चिकित्सा की एक रचनात्मक विधि है, जिसका लक्ष्य प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध तत्त्वों के उचित इस्तेमाल द्वारा रोग का मूल कारण समाप्त करना है. यह न केवल एक चिकित्सा पद्धति है, बल्कि मानव शरीर में उपस्थित आंतरिक महत्त्वपूर्ण शक्तियों या प्राकृतिक तत्त्वों के अनुरूप एक जीवन-शैली है. यह जीवन कला तथा विज्ञान में एक संपूर्ण क्रांति है. इस प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में प्राकृतिक भोजन, विशेषकर ताजे फल तथा कच्ची और हलकी पकी सब्जियां विभिन्न बीमारियों के इलाज में निर्णायक भूमिका निभाती हैं. प्राकृतिक चिकित्सा निर्धन व्यक्तियों और गरीब देशों के लिये विशेष रूप से वरदान है. डॉ.पूनम ने बताया कि यह प्राकृतिक तरिके हवा, पानी और अग्नि से इलाज किया जाता है.

ऐसे होता है इलाज:नेचुरोपैथी मेडिसिन एक सिस्टम है जिसमें शरीर को अपने आप हील करने के लिए प्राकृतिक रेमेडीज का प्रयोग किया जाता है. इस प्रक्रिया में अलग-अलग थेरेपी, हर्ब्स, मसाज, एक्यूपंक्चर, एक्सरसाइज और न्यूट्रीशनल काउंसलिंग शामिल है. यह प्रक्रिया कोई नई चिकित्सा पद्धति नहीं है बल्कि सदियों से इसका प्रयोग किया जाता रहा है.

आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा में क्या अंतर है?: आयुर्वेद चिकित्सा की एक प्राचीन भारतीय प्रणाली है, जो अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए शरीर में तीन दोषों को संतुलित करने पर केंद्रित है. दूसरी ओर, प्राकृतिक इलाज चिकित्सा की एक आधुनिक प्रणाली है, जो प्राकृतिक तरीकों से शरीर को खुद को ठीक करने की क्षमता पर जोर देती है. उन्होंने बताया कि अन्य पद्धति में दवाई खाने को दी जाती है. लेकिन इसमें दवाई खाने को नहीं दी जाती है, बल्कि प्राकृतिक तरीके हवा, पानी, अग्नि और जमीन से इलाज किया जाता है

इन बीमारियों का होता है इलाज:नेचुरोपैथीसे स्किन की बीमारी, नसों की शरीर में दर्द की साइनसाइटिस, गैस्टिक, और अन्य कई बीमारियों का इलाज किया जाता है. हिमाचल में लोगों का रुझान नेचुरोपैथी में ज्यादा हिमाचल प्रदेश के लोगों में नेचुरोपैथी पहली पसंद है. लोग पहले नेचुरोपैथी से इलाज करवाना पसंद करते है. डॉ पूनम जरेट ने बताया कि शिमला क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अस्पताल में प्रतिदिन 200 से 250 मरीज इलाज के लिए आते है और वह सबसे पहले नेचुरोपैथी से अपना इलाज करवाना पसदं करते है. बाद में दवाई खाना पसदं करते है.अगर कोई प्रतिदिन नेचुरोपैथी करता है तो उसकी इम्युनिटी काफी मजबूत हो जाती है और बीमारी से लड़ने में क्षमता बढ़ जाती है. यह पूरी तरह से निशुल्क है और इसमें न कोई दवाई खानी पड़ती है ना ही पैसे खर्च करने पड़ते है. उन्होंने कहा कि युवा भी आकर इसी से अपना इलाज करवाना चाहते हैं जबकि बड़े बृद्ध लोग इसी पर भरोसा करते है.

ये भी पढ़ें:World Brain Stroke Day: हिमाचल में बढ़ रहा ब्रेन स्ट्रोक का खतरा, युवा भी हो रहे शिकार, जानें लक्षण और बचाव

Last Updated : Nov 18, 2023, 7:14 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details