शिमला: विश्व में होने वाले सॉयल ट्रांसमिटिड हेलमेंस का सबसे ज्यादा बोझ भारत में है. सॉयल ट्रांसमिटिड हेलमेंस को हिंदी में मृदा-संचारित हेलमिंथिसिस कहते हैं. इसका संबंध उन कीड़ों से है, जो बच्चों के पेट में होते हैं.
इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए हर साल पहली मई और पहली नवंबर को नेशनल डी वार्मिंग डे मनाया जाता है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस बार यह दिवस नहीं मनाया गया है. जिसके चलते अब एक अभियान के तहत यह दिवस मनाया जा रहा है और 10 नवंबर तक जिला शिमला के सभी बच्चों को एल्बेंडाजोल की दवाई और साथ में विटामिन ए की खुराक भी पिलाई जा रही है.
बता दें कि बच्चों में आयरन की कमी दूर करने के लिए जरूरी खुराक के साथ-साथ एक साल से लेकर 19 साल तक सभी बच्चों को पेट के कीड़ों को खत्म करने के लिए एल्बेंडाजोल दवा पिलाई जाएगी. अभियान के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आशा वर्कर घर-घर जाकर बच्चों को खुराक दे रहे हैं.
घर घर जाकर जिला के सभी बच्चों को पिलाई जा रही खुराक-सीएमओ
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुरेखा चोपड़ा ने बताया कि नेशनल डी वार्मिंग डे मई और नवंबर माह की पहली तारीख को मनाया जाता है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते नहीं मनाया गया है. अब विभाग इसे एक अभियान के तहत घर घर जाकर मना रहा है और 10 नवंबर तक इस अभियान के तहत जिला के एक से 19 साल के बच्चों को एल्बेंडाजोल दवा पिलाई जा रही है. साथ ही विटामिन ए की खुराक भी दी जा रही है.