शिमला: हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र का दूसरा दिन काफी घटनाप्रधान रहा. सदन की कार्यवाही की शुरुआत प्रश्नकाल से होती है, लेकिन भाजपा की तरफ से सात विधायकों ने नियम-67 के तहत चर्चा मांगी. भाजपा विधायकों ने सरकार द्वारा डी-नोटिफाई कर बंद किए गए संस्थानों को लेकर चर्चा की मांग की. कुछ देर हंगामे के बाद स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने इस प्रस्ताव को रद्द करने का मन बनाया, परंतु परिस्थितियां ऐसी बनी की स्पीकर ने चर्चा की अनुमति दे दी.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष पर तंज कसा कि बेशक चर्चा हो जाएगी, लेकिन विपक्ष फिर भी वॉकआउट करेगा. खैर, सदन में हलचल के बाद आखिरकार चर्चा शुरू हुई. इसी दौरान आईएएस अधिकारी रहे और अब झंडूता विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार विधायक बने जेआर कटवाल ने जोरदार तर्कों से सुखविंदर सिंह सरकार को घेरा. कटवाल ने कहा कि संस्थान खोलने का काम सिटिंग गवर्नमेंट का होता है. अब पहली बार ये देखने में आया है कि सरकार संस्थान बंद करने का काम कर रही है.
उन्होंने बल्हसीणा कॉलेज को बंद करने का मामला उठाया. कटवाल ने कहा कि मिड सेशन में अब बच्चे कहां जाएं. यहां 20 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे थे. कटवाल ने कहा कि कोटधार में पीएचसी के साथ दो स्कूल पूर्व सरकार ने अपग्रेड किए थे. अब स्कूल बंद होने से बच्चों को आठ किलोमीटर दूर जाना होगा. ये संस्थान नीड बेस्ड थे. उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र के अन्य संस्थानों का ब्यौरा भी दिया और कहा कि सरकार को सारी परिस्थितियों का रिव्यू करना चाहिए था न कि आनन-फानन में संस्थान बंद करने का फैसला लिया जाना चाहिए था. कटवाल ने अपने आईएएस अधिकारी के सेवाकाल के अनुभव का भरपूर उपयोग करते हुए तथ्यों सहित अपनी बात रखी.
उन्होंने अपने पूर्व वक्ता और कांग्रेस सदस्य राजेश धर्माणी की तरफ से बिना डॉक्टर्स के स्वास्थ्य संस्थानों को खोलने पर पलटवार करते हुए कहा कि ये बताया जाए कि किस नेता की धमकी के कारण बिलासपुर अस्पताल से दो डॉक्टर्स ने नौकरी छोड़ दी थी.चर्चा में शामिल सदन में एकमात्र महिला विधायक व भाजपा सदस्य रीना कश्यप ने कहा कि सरकार ने सिरमौर जिला में 68 संस्थान बंद किए. ये तानाशाही वाला रवैया है. पूर्व सरकार ने आईपीएच का डिविजन दिया था और वो जनता की जरूरत थी. इसके अलावा अन्य संस्थान भी जरूरत के मुताबिक खोले गए थे.