शिमला:बागवानी, राजस्व एवं जनजातीय मामलों के मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि फारेस्ट राइट एक्ट यानी एफआरए के तहत विकास कार्यों के लिए वन भूमि की मंजूरी संबंधी मामले में राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी. हिमाचल में एफआरए के केसों की मॉनीटरिंग की जा रही है, इस तरह इन केसों में काफी समय लग रहा है. पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में जगत नेगी ने कहा है कि दूसरे राज्यों की तरह हिमाचल के एफआरए मामलों को भी सुप्रीम कोर्ट से बाहर रहकर अनुमति मिलनी चाहिए. राज्य सरकार इस मामले के लिए पैरवी करेगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने में लंबा समय लग जाता है. उन्होंने कहा कि इस कानून की जानकारी देने के लिए अधिकारियों, एफआरए कमेटियों एवं पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित भी सरकार करेगी.
एक सवाल के जवाब में जगत सिंह नेगी ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में खनन के लिए पंचायत से अनुमति मिलने के बाद नीलामी होती है. इससे खनन कार्य आवंटिंत करने में दिक्कतें आ रही हैं, उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो इसके लिए कानून में संशोधन किया जाएगा. इस सिलसिले में उनकी किन्नौर जिला के पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों से बातचीत हुई है.
'फलों के उचित दाम मिले, यह सुनिश्चित करेगी सरकार'
किसान और बागवानों को उनकी फलों का उचित दाम मिले, इसके लिए आढ़तियों और बागवानों से बात कर कोई प्लान तैयार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार कृषि एवं बागवानी आयोग भी गठित करेगी, जिसमें बागवानों के सुझाव के आधार पर सरकार आगे बढ़ेगी. जगत सिंह नेगी ने कहा बागवानी विभाग के तहत चल रहे प्रोजेक्टों के बारे में कहा कि हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना की खामियों को दूर करने के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं.