शिमला: कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद पशुपालकों से ऊंचे दाम पर दूध की खरीद की जाएगी. गाय का दूध 80 रुपए प्रति लीटर और भैंस का दूध 100 रुपए प्रति लीटर खरीदकर पशुपालकों को आर्थिक सहारा दिया जाएगा. कांग्रेस को सत्ता में आए करीब 6 महीने हो गए हैं, लेकिन पशुपालक अभी भी दूध खरीद योजना के लागू होने इंतजार कर रहे हैं. सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने एक पशुपालक से रोजाना दस किलो दूध खरीदने का वादा किया हुआ है. यदि किसी ने गाय पाल रखी है तो उसे अस्सी रुपए प्रति लीटर के हिसाब से महीने में 24 हजार की आय होगी. इसी प्रकार भैंस का दूध बेचने वाले को तीस हजार रुपए प्रति माह की आय होगी. यही कारण है कि पशुपालक योजना के लागू होने का इंतजार कर रहे हैं. इस योजना के तहत सरकार प्रदेश में बढ़ती आवारा पशुओं की समस्या का समाधान भी निकालना चाहेगी.
बजट में हिमगंगा प्रोजेक्ट को 500 करोड़-मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमगंगा प्रोजेक्ट के लिए पहले बजट में 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. पशुपालकों को लाभ दिलाने के लिए और दूध खरीद के लिए पहले पायलट आधार पर ये योजना कुछ क्षेत्रों में शुरू की जाएगी. सरकार की मंशा दुग्ध उत्पादक सहकारी सभाओं के गठन की है. प्रदेश में नए मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किए जाएंगे. इन्फ्रास्ट्रक्चर व सप्लाई चेन को मजबूत किया जाएगा. बजट की घोषणा के बाद सुखविंदर सिंह सरकार ने इस दिशा में काम करना शुरू तो किया है, लेकिन पशुपालकों का इंतजार लंबा हो रहा है.
दूध खरीद की मौजूदा स्थिति- हिमाचल में वर्तमान में मिल्कफेड पशुपालकों से रोजाना 1.41 लाख लीटर दूध की खरीद कर रहा है. इसके अलावा पशुपालकों से रोजाना 60,000 लीटर दूध की खरीद विभिन्न सहकारी समितियों के माध्यम से हो रही है. मौजूदा समय में हिमाचल के पशुपालकों से बाहरी कंपनियां भी दूध ले जा रही हैं, लेकिन नया नेटवर्क तैयार होने के बाद ऑटोमेटिक दूध खरीद सिस्टम लागू होगा. अभी हिमाचल में पशुपालकों से 29 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से दूध खरीदा जा रहा है.
अभी यहां पहुंची दूध खरीद योजना की गाड़ी- सत्ता में आने के बाद सुखविंदर सिंह सरकार ने दूध खरीद योजना पर काम तो शुरू किया, लेकिन अभी गाड़ी अधर में है. चूंकि राज्य सरकार के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, लिहाजा सरकार ने दूध खरीद योजना को जापानी योजना जायका के तहत लाने का प्लान बनाया था. केंद्र से हिमाचल को दूध खरीद के मामले में जायका प्रोजेक्ट में लिए जाने की सैद्धांतिक मंजूरी के बाद सबसे बड़े दूध उत्पादक जिला कांगड़ा के ढगवार में आधुनिक मिल्क प्लांट का रास्ता साफ हो गया है. उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार वर्तमान में नेशनल डेयरी प्लान के तहत मिल्क प्रोसेसिंग की मौजूदा सुविधाओं को दुरुस्त कर रही है, लेकिन नए प्रोजेक्ट के लिए इस योजना में फंड नहीं है, लिहाजा हिमाचल सरकार ने जायका का सहारा लिया है. जायका प्रोजेक्ट से मिलने वाले फंड से नए मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट बनाए जा सकते हैं.
सीएम ले चुके हैं बैठकें, नतीजे का इंतजार- दूध खरीद की हिमगंगा योजना को लागू करने के लिए सीएम सुखविंदर सिंह अब तक तीन से अधिक बैठकें ले चुके हैं. दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में सीएम के सलाहकार आईएएस व पूर्व सीएस रामसुभग सिंह भी पशुपालन विभाग और मिल्कफेड प्रबंधन के साथ योजना पर काम कर रहे हैं. राज्य सरकार पहले चरण में दूध खरीद का आधारभूत ढांचा बढ़ाने के साथ मिल्क खरीद के लिए सोसायटियों को तैयार करना चाहती है. दूसरे चरण में फिर पशुपालकों से 10 किलो दूध रोज खरीदने की गारंटी को लागू किया जाएगा. योजना को सिरे चढ़ाने में लगे आईएएस राकेश कंवर का कहना है कि अभी विभाग नेशनल डेयरी प्लान की डीपीआर पर काम कर रहा है. कंवर के अनुसार राज्य सरकार स्टेट ऑफ आर्ट नए प्लांट की डीपीआर तैयार करेगी. दूध खरीद और मिल्क प्रोसेसिंग का ढांचा तैयार होते ही इस गारंटी को लागू कर दिया जाएगा. कांगड़ा जिला के ढगवार में 350 करोड़ रुपए की लागत से स्मार्ट मिल्क प्लांट तैयार किया जाएगा.