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कब पूरा होगा वादा: पशुपालकों की पुकार, अब तो 80 और 100 रुपए लीटर दूध खरीद लो सरकार

हिमाचल के पशुपालक कांग्रेस की उस गारंटी का इंतजार कर रहे हैं जिसके तहत उनकी आय बढ़ाने का वादा किया गया था. दूध खरीद योजना के तहत कांग्रेस ने गाय का दूध 80 रुपये और भैंस का दूध 100 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदने का वादा किया था. सरकार बनने के बाद कहां पहुंची योजना ? सरकार की क्या है तैयारी ?, जानने के लिए पढ़ें ख़बर

milk procurement scheme
milk procurement scheme

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Published : Jun 3, 2023, 4:08 PM IST

शिमला: कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद पशुपालकों से ऊंचे दाम पर दूध की खरीद की जाएगी. गाय का दूध 80 रुपए प्रति लीटर और भैंस का दूध 100 रुपए प्रति लीटर खरीदकर पशुपालकों को आर्थिक सहारा दिया जाएगा. कांग्रेस को सत्ता में आए करीब 6 महीने हो गए हैं, लेकिन पशुपालक अभी भी दूध खरीद योजना के लागू होने इंतजार कर रहे हैं. सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने एक पशुपालक से रोजाना दस किलो दूध खरीदने का वादा किया हुआ है. यदि किसी ने गाय पाल रखी है तो उसे अस्सी रुपए प्रति लीटर के हिसाब से महीने में 24 हजार की आय होगी. इसी प्रकार भैंस का दूध बेचने वाले को तीस हजार रुपए प्रति माह की आय होगी. यही कारण है कि पशुपालक योजना के लागू होने का इंतजार कर रहे हैं. इस योजना के तहत सरकार प्रदेश में बढ़ती आवारा पशुओं की समस्या का समाधान भी निकालना चाहेगी.

बजट में हिमगंगा प्रोजेक्ट को 500 करोड़-मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमगंगा प्रोजेक्ट के लिए पहले बजट में 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. पशुपालकों को लाभ दिलाने के लिए और दूध खरीद के लिए पहले पायलट आधार पर ये योजना कुछ क्षेत्रों में शुरू की जाएगी. सरकार की मंशा दुग्ध उत्पादक सहकारी सभाओं के गठन की है. प्रदेश में नए मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किए जाएंगे. इन्फ्रास्ट्रक्चर व सप्लाई चेन को मजबूत किया जाएगा. बजट की घोषणा के बाद सुखविंदर सिंह सरकार ने इस दिशा में काम करना शुरू तो किया है, लेकिन पशुपालकों का इंतजार लंबा हो रहा है.

दूध खरीद योजना क्या है ?

दूध खरीद की मौजूदा स्थिति- हिमाचल में वर्तमान में मिल्कफेड पशुपालकों से रोजाना 1.41 लाख लीटर दूध की खरीद कर रहा है. इसके अलावा पशुपालकों से रोजाना 60,000 लीटर दूध की खरीद विभिन्न सहकारी समितियों के माध्यम से हो रही है. मौजूदा समय में हिमाचल के पशुपालकों से बाहरी कंपनियां भी दूध ले जा रही हैं, लेकिन नया नेटवर्क तैयार होने के बाद ऑटोमेटिक दूध खरीद सिस्टम लागू होगा. अभी हिमाचल में पशुपालकों से 29 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से दूध खरीदा जा रहा है.

हिमाचल में दूध उत्पादन

अभी यहां पहुंची दूध खरीद योजना की गाड़ी- सत्ता में आने के बाद सुखविंदर सिंह सरकार ने दूध खरीद योजना पर काम तो शुरू किया, लेकिन अभी गाड़ी अधर में है. चूंकि राज्य सरकार के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, लिहाजा सरकार ने दूध खरीद योजना को जापानी योजना जायका के तहत लाने का प्लान बनाया था. केंद्र से हिमाचल को दूध खरीद के मामले में जायका प्रोजेक्ट में लिए जाने की सैद्धांतिक मंजूरी के बाद सबसे बड़े दूध उत्पादक जिला कांगड़ा के ढगवार में आधुनिक मिल्क प्लांट का रास्ता साफ हो गया है. उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार वर्तमान में नेशनल डेयरी प्लान के तहत मिल्क प्रोसेसिंग की मौजूदा सुविधाओं को दुरुस्त कर रही है, लेकिन नए प्रोजेक्ट के लिए इस योजना में फंड नहीं है, लिहाजा हिमाचल सरकार ने जायका का सहारा लिया है. जायका प्रोजेक्ट से मिलने वाले फंड से नए मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट बनाए जा सकते हैं.

कांग्रेस ने पशुपालकों से किया था दूध खरीदने का वादा

सीएम ले चुके हैं बैठकें, नतीजे का इंतजार- दूध खरीद की हिमगंगा योजना को लागू करने के लिए सीएम सुखविंदर सिंह अब तक तीन से अधिक बैठकें ले चुके हैं. दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में सीएम के सलाहकार आईएएस व पूर्व सीएस रामसुभग सिंह भी पशुपालन विभाग और मिल्कफेड प्रबंधन के साथ योजना पर काम कर रहे हैं. राज्य सरकार पहले चरण में दूध खरीद का आधारभूत ढांचा बढ़ाने के साथ मिल्क खरीद के लिए सोसायटियों को तैयार करना चाहती है. दूसरे चरण में फिर पशुपालकों से 10 किलो दूध रोज खरीदने की गारंटी को लागू किया जाएगा. योजना को सिरे चढ़ाने में लगे आईएएस राकेश कंवर का कहना है कि अभी विभाग नेशनल डेयरी प्लान की डीपीआर पर काम कर रहा है. कंवर के अनुसार राज्य सरकार स्टेट ऑफ आर्ट नए प्लांट की डीपीआर तैयार करेगी. दूध खरीद और मिल्क प्रोसेसिंग का ढांचा तैयार होते ही इस गारंटी को लागू कर दिया जाएगा. कांगड़ा जिला के ढगवार में 350 करोड़ रुपए की लागत से स्मार्ट मिल्क प्लांट तैयार किया जाएगा.

हिमाचल में आवारा पशुओं की समस्या भी बहुत बड़ी है

दूध उत्पादन में हिमाचल की स्थिति-हिमाचल की 90% आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. ग्रामीणों की आय का मुख्य साधन पशुपालन है. आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल में इस समय कुल पशुधन 57.55 लाख है. हालांकि 2012 से 2019 में ये पशुधन 59.48 लाख था. इसमें अब 3.24 प्रतिशत की कमी है. हिमाचल के कुल दूध उत्पादन में 70% हिस्सा गाय के दूध का है. राज्य में कुल उत्पादन में भैंस के दूध का हिस्सा 27 प्रतिशत है. राज्य में हिमाचल प्रदेश मिल्कफेड पशुपालकों से दूध खरीदता है. मिल्कफेड के तहत राज्य में 1097 दूध उत्पादक समितियां आती हैं. इस समय समितियों के सदस्यों की संख्या 46973 है. पूरे प्रदेश में दूध के रखने के लिए 22 चिलिंग प्लांट काम कर रहे हैं.

हिमाचल में दूध का उत्पादन

राष्ट्रीय औसत से अधिक हिमाचल में दूध की उपलब्धता- हिमाचल में जिला मंडी और कांगड़ा में सबसे अधिक दूध उत्पादन होता है. आंकड़ों पर गौर किया जाए तो वित्त वर्ष 2012-13 में राज्य का कुल दूध उत्पादन 11.39 लाख मीट्रिक टन था. अब यानी एक दशक बाद 2022-23 में ये उत्पादन बढक़र 16.54 लाख मीट्रिक टन हो जाएगा. आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल में प्रति व्यक्ति रोजाना दूध की उपलब्धता भी 650 मिलीलीटर हो गई है. एक दशक पहले ये 455 मिलीलीटर प्रति व्यक्ति रोजाना थी यानी एक दशक में इसमें करीब 200 मिलीलीटर की बढ़ोतरी हुई है. वहीं इस मामले में राष्ट्रीय औसत रोजाना 423 ग्राम प्रति व्यक्ति है.

हिमाचल में दूध उत्पादन बढ़ा और पशुधन घटा

हिमाचल प्रदेश में गाय के दूध का उत्पादन सबसे अधिक हो रहा है. हिमाचल प्रदेश में पशुधन से ग्रॉस वेल्यू प्रोडक्शन (जीवीपी) भी लगातार बढ़ रहा है. वित्त वर्ष 2022-23 में ये प्रोडक्शन 6793 करोड़ रुए अनुमानित है. इसमें से दूध से 93 फीसदी से अधिक हिस्सा आता है। जीवीपी में दूध से 6324 करोड़, गोबर से 118 करोड़ व ऊन, मांस तथा अन्य से बाकी हिस्सा आता है. हिमाचल प्रदेश में प्रतिदिन अधिकतम 19 लाख मीट्रिक टन दूध की जरूरत है. उम्मीद है कि आने वाले कुछ सालों में हिमाचल दूध की उपलब्धता के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा.

पशुपालक कर रहे हैं दूध खरीद योजना का इंतजार

पशुपालक पूछ रहे सवाल-हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 के प्रचार के दौरान कांग्रेस ने 10 गारंटियां दी थी इनमें से पशुपालकों से दूध खरीद के साथ-साथ गोबर खरीद का भी वादा किया गया था. हिमाचल में सरकार बने करीब 6 महीने हो चुके हैं लेकिन अब तक पशुपालकों की इस गारंटी पर कुछ ठोस नहीं हुआ है. हालांकि मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक अपनी गारंटी दोहराते हुए पशुपालकों से दूध खरीद की बात कहते रहते हैं. प्रदेश की सड़कों पर बढ़ते आवारा पशुओं को देखते हुए भी दूध खरीद योजना काफी अहम कदम हो सकती है. हालांकि गाय का दूध 80 रुपये और भैंस का दूध 100 रुपये खरीदने की योजना को सिरे चढ़ाने में काफी वक्त लग सकता है. दूध की मौजूदा कीमत से 3 गुना ज्यादा कीमत पर दूध खरीद करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी. हालांकि सरकार ने बजट के प्रावधान से लेकर जायका प्रोजेक्ट के तहत इस योजना को लाने की पहल चुकी थी. सरकार की मानें तो इंफ्रास्ट्रक्चर और सप्लाई चेन को मजबूत करना होगा और इसके लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे. हालांकि सरकार के कार्यकाल के साथ-साथ पशुपालकों का इंतजार भी बढ़ रहा है जो अभी और लंबा हो सकता है.

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