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कोरोना काल में मनरेगा बनी सहारा, जून माह में 15.58 करोड़ हुए खर्च, बीते साल के टूटे कई रिकॉर्ड

लॉकडाउन के बाद हिमाचल प्रदेश में सरकार बेरोजगार लोगों को मनरेगा के तहत काम देने का प्रयास कर ही है, जोकि आंकड़ों के हिसाब के काफी हद तक सफल होता हुआ दिख रहा है. डीसी शिमला ने बताया कि 2019-20 की प्रथम तिमाही जून माह में जहा 4.79 करोड़ रुपए मनरेगा के तहत खर्च हुए थे. इस साल जून माह में ही 15.58 करोड़ रुपये खर्च कर 325 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई.

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कोरोना काल में मनरेगा बनी सहारा

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Published : Jun 25, 2020, 5:42 PM IST

Updated : Jun 25, 2020, 5:57 PM IST

शिमला: कोरोना संक्रमण के चलते जहां करोबार ठप हुआ और लोग बेरोजगार हुए हैं. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का मनरेगा में काम करने का रुझान बढ़ा है. 2019-20 की प्रथम तिमाही जून माह में जहा 4.79 करोड़ रुपए मनरेगा के तहत खर्च हुए थे. इस साल जून माह में ही 15.58 करोड़ रुपये खर्च कर 325 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई.

बीते साल की तुलना में इस साल कार्य दिवस में भी 218 प्रतिशत की वृद्धि हुई. साथ ही मस्ट्राॅल जारी करने की प्रक्रिया में इस वर्ष 286 प्रतिशत की अधिकता रही. इसके अलावा बीते साल की तुलना में मनरेगा के तहत जिला में विकास कार्यों की पूर्ति का आंकड़ा भी 105 प्रतिशत से अधिक का आंका गया है.

वीडियो.

ग्रामीण क्षेत्रों मेंमनरेगा बनी लोगों की अजिविका का सहारा

कोरोना संकटकाल में जिला प्रशासन ने ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिकी सुदृढ़ करने और लाॅकडाउन के बाज रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए मनरेगा के माध्यम से कोशिश की है. इस कठिन समय में विभिन्न राज्यों से अपना रोजगार छोड़कर आए जिला से संबंध रखने वाले लोगों के घर के चूल्हे को जलाए रखा. स्थानीय लोगों को लाॅकडाउन के अवसाद से बचाए रखने के लिए मनरेगा कार्यों ने अहम भूमिका निभाई. लोगों को काम देकर लोगों के पास आंमदनी का साधन बनाए रखने का भी प्रयास किया है.

डीसी शिमला अमित कश्यप

डीसी शिमला अमित कश्यप ने बताया कि प्रदेश सरकार के आदेशों को अमलीजामा पहनाते हुए ग्रामीण लोगों को मनरेगा के तहत काम उपलब्ध करवाया गया. जो लोग मनरेगा में काम करना चाहते हैं उन्हें तुरंत काम दिए जाने के निर्देश सभी अधिकारियों को दे दिए गए हैं. इस प्रयास से क्षेत्र के विकास को विस्तार मिला और जिला प्रशासन की मनरेगा लक्ष्य में पिछले वर्ष के मुकाबले में अभूतपूर्व उपलब्धि भी हुई.

बीते साल के टूटे कई रिकॉर्ड

2019 में स्थितियां सामान्य थीं. कोविड-19 संकटकाल नहीं था, लेकिन इस साल प्रतिकूल प्रतिस्थितियों के कारण प्रगति आंकड़े केवल डेढ़ माह में दर्ज किए गए हैं, जबकि बीते साल के आंकड़े तीन माह के हैं. जाहिर है कि पिछले साल की तुलना में जिला प्रशासन ने इस साल मनरेगा में कम समय में अधिक प्रगति की ओर लोगों को अधिक से अधिक रोजगार सुनिश्चित किया है. मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रास्ते बनाने, सड़कों का निर्माण, वर्षा जल संरक्षण व संग्रहण के लिए जल भंडारण टैंकों का निर्माण और भूमि विस्तार जैसे कार्यों को ग्रामीण जनता द्वारा किया गया.

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Last Updated : Jun 25, 2020, 5:57 PM IST

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