शिमला: आईजीएमसी अस्पताल में एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसके बारे में जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे. मानसिक ताैर पर परेशान एक युवक ने आठ इंच लंबी और छह एमएम माेटी लाेहे की राॅड (बाेल्ट) निगल लिया. आईजीएमसी के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डाॅक्टराें ने एंडोस्कोपी कर इस राॅड काे निकाला. युवक काे मंडी से आईजीएमसी रेफर किया गया था. मरीज की जब जांच की गई ताे पता लगा कि लाेहे की राॅड फूड पाइप में अटक गई है. इसके बाद एंडोस्कोपी के द्वारा राॅड काे निकालने की कोशिश शुरू हुई.
आईजीएमसी में सफल रही युवक की एंडोस्कोपी
डाॅक्टराें के सामने मुश्किल ये थी कि राॅड से फूड पाइप काे नुकसान न पहुंचे. इसलिए इसे निकालने में थाेड़ी मुश्किल हो रही थी. आखिरकार इसमें डाॅक्टराें काे सफलता मिल गई. गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. बृज शर्मा की देख रेख में डाॅ. विशाल बाैद्ध, डाॅ. राजेश शर्मा ने एंडोस्कोपी के माध्यम से इसे सफलतापूर्वक पूरा किया. आईजीएमसी का ये पहला मामला है कि एंडोस्कोपी के माध्यम से बिना ऑपरेशन किए लाेहे की किसी चीज काे फूड पाइप से निकाला गया है.
युवक ने निगली थी लोहे की रॉड
युवक मानसिक रूप से परेशान था. इससे पहले परिजन उसे मंडी अस्पताल इलाज के लिए ले गए थे. यहां से डाॅक्टराें से उसे आईजीएमसी रेफर किया. आईजीएमसी के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डाॅक्टराें ने जब जांच की ताे फूड पाइप से लाेहे की राॅड निकालने का फैसला लिया गया. डाॅक्टराें ने निर्णय लिया कि एंडोस्कोपी से ही राॅड काे निकाला जाएगा.
फूड पाइप को नुकसान न पहुंचे थी चुनौती
फूड पाइप में लाेहे की राॅड के लिए चिमटी का इस्तेमाल किया. इसके लिए एंडोस्कोपी की प्रक्रिया अपनाई गई. इस तरह युवक की पाइप में फंसी राॅड काे पांच मिनट में ही बाहर निकाल दिया गया. राॅड देखकर डाॅक्टर भी दंग रह गए. यह राॅड 20 सेंटीमीटर (आठ इंच) की निकली जाे करीब छह एमएम माेटी थी. सबसे खास बात ये रही कि इसकाे निकालते समय युवक की फूड पाइप काे काेई नुकसान नहीं पहुंचा. हालांकि, राॅड के फूड पाइप में हाेने के कारण युवक काे खाना खाने और सांस लेने में परेशानी हाे रही थी. अब परओरल एंडोस्कोपी मायटोमी (पोयम) से बिना चीर-फाड़ के मरीज के फूड पाइप का रास्ता खोल दिया जाता है. इस प्रक्रिया में 1 से 2 घंटे लगते हैं और दाे दिन बाद मरीज की छुट्टी कर दी जाती है.
रॉड निगलने का आईजीएमसी में पहला मामला
अभी तक आईजीएमसी के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में छाेटे बच्चाें द्वारा सिक्के निगलने के अधिकतर मामले आते रहते हैं. इसे भी एंडोस्कोपी के जरिए निकाल दिया जाता है. इसके अलावा एक मामला एक व्यक्ति के फूड पाइप में चिकन का टुकड़ा फंसने का भी आया था, लेकिन इस तरह से लाेहे की राॅड फंसने का मामला पहली बार आया है.
मानसिक रूप से परेशान था युवक
गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभागाध्यक्ष डाॅ. बृज शर्मा ने बताया कि गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डाॅक्टराें ने बेहतर काम किया है. मानसिक रूप से परेशान युवक ने लाेहे की राॅड निगल ली थी. ये फूड पाइप में फंस गई थी. हमारे सामने चुनाैती थी कि बिना ऑपरेशन किए हुए इसे एंडोस्कोपी के माध्यम से निकाला जाए. इस पर हमने सफलता हासिल की है.
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