शिमला : राजधानी शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान के नीचे बने पानी के टैंक का अस्तित्व खतरे में है. टैंक में दरारें हर साल बढती जा रही हैं, लेकिन इस टैंक को बचाने के लिए नगर निगम गंभीर नजर नही आ रहा.
शिमला नगर निगम सर्वे करवा कर इन दरारों को भरने का प्लान तो तैयार करता है, लेकिन हर बार उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. शनिवार को रिज मैदान के नीचे बने पानी के टैंक की सफाई के दौरान महापौर और उप महापौर ने इस दरारों का जायजा भी लिया. ये दरारें हर साल बढती जा रही हैं जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
बताया जा रहा है कि रिज के टैंक में सबसे मोटी दरार लक्कड़ बाजार की तरफ पेड़ के नीचे है. उसके नीचे लक्कड़ बाजार में कई जगह पर कई जगहों से पानी का रिसाव साफ देखा जा सकता है. ब्रिटिश काल में बने रिज टैंक की क्षमता 45 लाख लीटर पानी की है, इससे ही शहर के कई इलाकों को पानी की सप्लाई की जाती है.
हालांकि नगर निगम के उप महापौर किसी तरह के खतरे की बात से इनकार कर रहे हैं, लेकिन तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि टैंक के अंदर दीवारों पर मोटी मोटी दरारें आई हैं. उप महापौर शैलेन्द्र चौहान का कहना है कि इस तरह का कोई खतरा नहीं है, ये दरारें काफी समय से है और इनकी मरम्मत के लिए विशेषज्ञों की राय ली जा रही है.
बता दें अंग्रेजों द्वारा 1880 में शहर में पानी की सप्लाई के लिए पानी का टैंक बनाया गया था टैंक का निर्माण सीमेंट से नहीं चूना पत्थर से किया गया. टैंक की जल भंडारण क्षमता करीब 45 लाख लीटर है. इसमें भंडारण के लिए अलग-अलग चैंबर बनाए गए हैं. शहर के मालरोड, लोअर बाजार, रामबाजार, बस स्टैंड, कृष्णानगर, कैथू, लक्कड़ बाजार, अनाडेल जैसे कोर एरिया में इसी टैंक से पानी की सप्लाई होती है.