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2022 से पहले जयराम की 'अग्निपरीक्षा', कांग्रेस-आप भी दो-दो हाथ के लिए तैयार

हिमाचल के इतिहास में पहली बार पांच नगर निगम अस्तित्व में आए हैं. इनमें से चार का गठन जयराम सरकार ने किया है. अब चुनाव घोषित हो गए हैं. पहली बार बने इन नगर निगम की सत्ता अपने खाते दर्ज करने के लिए भाजपा एड़ी से चोटी का जोर लगाएगी. सीएम जयराम ठाकुर की साख भी इस चुनाव में दांव पर है. बीजेपी के साथ इस बार कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी भी दो दो हाथ करने की तैयारी में हैं.

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सीएम जयराम ठाकुर (फाइल फोटो).

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Published : Mar 13, 2021, 8:43 PM IST

Updated : Mar 15, 2021, 5:41 PM IST

शिमला: हिमाचल में नगर निगम चुनाव का बिगुल बज गया है. राज्य निर्वाचन विभाग की तरफ से शनिवार को चुनाव कार्यक्रम का ऐलान कर दिया गया. इसे आगामी विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है.

हिमाचल के इतिहास में पहली बार पांच नगर निगम अस्तित्व में आए हैं. इनमें से चार का गठन जयराम सरकार ने किया है. अब चुनाव घोषित हो गए हैं. पहली बार बने इन नगर निगम की सत्ता अपने खाते दर्ज करने के लिए भाजपा एड़ी से चोटी का जोर लगाएगी. सीएम जयराम ठाकुर की साख भी इस चुनाव में दांव पर है.

कारण ये है कि नगर निगम बनाने का श्रेय तो जयराम सरकार के खाते में गया है अगर चुनाव परिणाम उलटफेर करने वाले हुए तो इसे आगामी विधानसभा चुनाव का संकेत माना जाएगा. यहां बहुत महत्वपूर्ण तथ्य ये है कि नगर निगम शिमला में भाजपा को पहली बार सत्ता का स्वाद चखने को मिला है.

नगर निगम शिमला में हमेशा से कांग्रेस का परचम लहराता रहा है. एक बार मेयर व डिप्टी मेयर के डॉयरेक्ट चुनाव होने पर बाजी वाम दल माकपा के हाथ आई थी. इस बार भाजपा सत्ता में है. सीएम जयराम ठाकुर ने सभी नेताओं व कार्यकर्ताओं को चुनाव में जुट जाने के लिए कहा है. सरकार किसी भी कीमत पर नगर निगम चुनाव में चारों शहरों की सत्ता अपने हाथ में रखना चाहेगी. कांग्रेस तो मजबूत प्रतिद्वंद्वी है ही, माकपा के साथ-साथ आम आदमी पार्टी भी ताल ठोक रही है.

शनिवार को राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव कार्यक्रम तय कर दिया. इसी के साथ आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई. अगर सत्ताधारी दल भाजपा के नजरिए से देखें तो इसके लिए ये चुनाव जन्म-मरण का सवाल है. मंडी नगर निगम खुद सीएम जयराम ठाकुर की साख से सीधे-सीधे जुड़ा है.

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इसके अलावा धर्मशाला नगर निगम हिमाचल में राजनीति के किले कांगड़ा का एक गढ़ है. कांगड़ा के इस किले को भाजपा अपना बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. इसी किले का एक अहम परकोटा पालमपुर नगर निगम है. पहली बार नगर निगम बने पालमपुर में कमल खिलना भाजपा की राजनीतिक सेहत के लिए जरूरी है.

सोलन नगर निगम तो इसलिए भी अहम है कि यहां के विधायक कांग्रेस के हैं और साथ लगते जिला से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आते हैं. ऐसे में सोलन की अहमियत और भी अधिक हो गई है. सोलन में एक जनसभा में सीएम जयराम ठाकुर ने भावुक संवाद करते हुए कहा कि शहर को नगर निगम भाजपा ने बनाया अब यहां की जनता की बारी है. यानी निगम की सत्ता भाजपा को सौंपने के लिए सीएम का यह सियासी संवाद था.

अधिक फोकस मंडी पर

इस चुनाव में सबसे अधिक फोकस मंडी पर रहने वाला है. मंडी में समीकरण गजब के हैं. पूरे जिला में भाजपा के दस में से नौ विधायक हैं. मंडी सदर से अनिल शर्मा भाजपा सरकार में मंत्री थे, लेकिन लोकसभा चुनाव में उनके बेटे ने चुनाव कांग्रेस की टिकट पर लड़ा और अनिल शर्मा मंत्री पद गंवा बैठे हैं.

मंडी शहर में पंडित सुखराम का प्रभाव है और मंडी ही सीएम जयराम ठाकुर का गृह जिला है. अब देखना ये है कि अनिल शर्मा का रोल क्या रहता है. मंडी एमसी के चुनाव में हल्का सा भी उल्टफेर भाजपा के लिए बड़ा राजनीतिक धब्बा हो जाएगा.

नगर निगम संशोधन विधेयक भी लाया गया

मंडी नगर निगम में 15 वार्ड हैं. धर्मशाला में 17, पालमपुर में 15 और सोलन में 17 वार्ड हैं. इस बार चुनाव से ऐन पहले हिमाचल विधानसभा में नगर निगम संशोधन विधेयक भी लाया गया है. विधेयक के अनुसार इस बार चुनाव पार्टी सिंबल पर होंगे. मेयर व डिप्टी मेयर का पग ओबीसी के लिए है. इसके अलावा एंटी डिफेक्शन का क्लॉज भी विधेयक में है. अप्रैल की सात तारीख को मतदान होना है.

भाजपा ने निगम चुनाव के लिए मंत्रियों की ड्यूटी लगा दी है. धर्मशाला का जिम्मा तेजतर्रार कैबिनेट मंत्री राकेश पठानिया के पास है. इसी तरह मंडी का चुनाव प्रबंधन जयराम ठाकुर के खास सिपहसालार महेंद्र सिंह ठाकुर देखेंगे.

महेंद्र सिंह के बारे में ये तथ्य दिलचस्प है कि जिस भी चुनाव का प्रबंधन उनके हाथ रहा, वो पार्टी कभी नहीं हारी. पालमपुर में कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह जीत तय करने के लिए जुटे हैं. सोलन राजीव सैजल की जिम्मेदारी है. कांग्रेस ने सुखविंद्र सिंह सुक्खू, राजेंद्र राणा, जीएस बाली व कौल सिंह की ड्यूटी लगाई है. कांगड़ा में जीएस बाली, सुधीर शर्मा व अन्य क्षत्रपों की साख दांव पर है.

ये चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल

सोलन में कांग्रेस विधायक धनीराम शांडिल की परीक्षा भी होगी. वहीं, कांग्रेस के लिए भी ये चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल है. विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा को आइना दिखाने के लिए ये मौका है. कांग्रेस यदि भाजपा को चित्त करती है तो विधानसभा चुनाव में उसका जोश हाई होगा.

माकपा का मंडी में अच्छा होल्ड है. आम आदमी पार्टी के लिए ये चुनाव हिमाचल में राजनीतिक जमीन तलाशने जैसा है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप का कहना है कि उनकी सरकार ने प्रदेश की जनता की मांग पर नगर निगम गठित करने की पहल की है.

जनता इस पहल का शुक्रिया भाजपा की जीत के तौर पर देगी. वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर का कहना है कि भाजपा से जनता नाराज है. राज्य सरकार हर मोर्चे पर असफल हुई है. प्रदेश की जनता अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए बेताब है और नगर निगम चुनाव में भाजपा को राजनीतिक झटका देगी. बता दें कि आम आदमी पार्टी भी इस बार चुनाव लड़ रही है और आप के कई दिग्गज नेता हिमाचल का दौरा कर चुके हैं.

आप भी मैदान में उतरने को तैयार

इस बार बीजेपी-कांग्रेस के साथ साथ आम आदमी पार्टी से भी कड़ी टक्कर मिल सकती है. कुछ दिन पहले ही आम आदमी पार्टी ने हिमाचल में 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की थी. ऐसे में आम आदमी पार्टी निगम चुनाव में उतरकर जनता का मूड़ भांपने की कोशिश करेगी. आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेता मनीष सिसोदिया, संजय सिंह हिमाचल का दौरा भी कर चुके हैं.

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Last Updated : Mar 15, 2021, 5:41 PM IST

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