शिमला: हिमाचल में नगर निगम चुनाव का बिगुल बज गया है. राज्य निर्वाचन विभाग की तरफ से शनिवार को चुनाव कार्यक्रम का ऐलान कर दिया गया. इसे आगामी विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है.
हिमाचल के इतिहास में पहली बार पांच नगर निगम अस्तित्व में आए हैं. इनमें से चार का गठन जयराम सरकार ने किया है. अब चुनाव घोषित हो गए हैं. पहली बार बने इन नगर निगम की सत्ता अपने खाते दर्ज करने के लिए भाजपा एड़ी से चोटी का जोर लगाएगी. सीएम जयराम ठाकुर की साख भी इस चुनाव में दांव पर है.
कारण ये है कि नगर निगम बनाने का श्रेय तो जयराम सरकार के खाते में गया है अगर चुनाव परिणाम उलटफेर करने वाले हुए तो इसे आगामी विधानसभा चुनाव का संकेत माना जाएगा. यहां बहुत महत्वपूर्ण तथ्य ये है कि नगर निगम शिमला में भाजपा को पहली बार सत्ता का स्वाद चखने को मिला है.
नगर निगम शिमला में हमेशा से कांग्रेस का परचम लहराता रहा है. एक बार मेयर व डिप्टी मेयर के डॉयरेक्ट चुनाव होने पर बाजी वाम दल माकपा के हाथ आई थी. इस बार भाजपा सत्ता में है. सीएम जयराम ठाकुर ने सभी नेताओं व कार्यकर्ताओं को चुनाव में जुट जाने के लिए कहा है. सरकार किसी भी कीमत पर नगर निगम चुनाव में चारों शहरों की सत्ता अपने हाथ में रखना चाहेगी. कांग्रेस तो मजबूत प्रतिद्वंद्वी है ही, माकपा के साथ-साथ आम आदमी पार्टी भी ताल ठोक रही है.
शनिवार को राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव कार्यक्रम तय कर दिया. इसी के साथ आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई. अगर सत्ताधारी दल भाजपा के नजरिए से देखें तो इसके लिए ये चुनाव जन्म-मरण का सवाल है. मंडी नगर निगम खुद सीएम जयराम ठाकुर की साख से सीधे-सीधे जुड़ा है.
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इसके अलावा धर्मशाला नगर निगम हिमाचल में राजनीति के किले कांगड़ा का एक गढ़ है. कांगड़ा के इस किले को भाजपा अपना बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. इसी किले का एक अहम परकोटा पालमपुर नगर निगम है. पहली बार नगर निगम बने पालमपुर में कमल खिलना भाजपा की राजनीतिक सेहत के लिए जरूरी है.
सोलन नगर निगम तो इसलिए भी अहम है कि यहां के विधायक कांग्रेस के हैं और साथ लगते जिला से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आते हैं. ऐसे में सोलन की अहमियत और भी अधिक हो गई है. सोलन में एक जनसभा में सीएम जयराम ठाकुर ने भावुक संवाद करते हुए कहा कि शहर को नगर निगम भाजपा ने बनाया अब यहां की जनता की बारी है. यानी निगम की सत्ता भाजपा को सौंपने के लिए सीएम का यह सियासी संवाद था.
अधिक फोकस मंडी पर
इस चुनाव में सबसे अधिक फोकस मंडी पर रहने वाला है. मंडी में समीकरण गजब के हैं. पूरे जिला में भाजपा के दस में से नौ विधायक हैं. मंडी सदर से अनिल शर्मा भाजपा सरकार में मंत्री थे, लेकिन लोकसभा चुनाव में उनके बेटे ने चुनाव कांग्रेस की टिकट पर लड़ा और अनिल शर्मा मंत्री पद गंवा बैठे हैं.
मंडी शहर में पंडित सुखराम का प्रभाव है और मंडी ही सीएम जयराम ठाकुर का गृह जिला है. अब देखना ये है कि अनिल शर्मा का रोल क्या रहता है. मंडी एमसी के चुनाव में हल्का सा भी उल्टफेर भाजपा के लिए बड़ा राजनीतिक धब्बा हो जाएगा.