शिमला:प्रदेश में कई निजी कॉलेज बिना एफिलेशन के चल रहे हैं. यानी इन कॉलेजों ने विश्वविद्यालय से एफिलेशन ही नहीं है और उसके बावजूद भी यह छात्रों को कोर्स करवा रहे हैं. जबकि किसी भी कॉलेज को अपने यहां पर चलाए जा रहे कोर्सेज के लिए विश्वविद्यालय से एफिलेशन लेना अनिवार्य होता है. समय-समय पर निरीक्षण के बाद एफिलेशन को दोबारा से रिन्यू किया जाता है तभी कॉलेज में करवाए जा रहे कोर्स को मान्यता मिलती है और छात्रों की डिग्री मान्य होती है लेकिन कई कॉलेजों यह एफिलेशन ली ही नहीं है.
निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग का खुलासा
यह खुलासा निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग की निजी कॉलेजों को लेकर की जा रही जांच में सामने आया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए अब आयोग ने प्रदेश के सभी निजी विश्वविद्यालयों की एफिलेशन से जुड़ी जानकारी मांगी हैं. एक बार फिर से आयोग ने निजी कॉलेजों को 20 फरवरी तक का समय देते हुए कहा है कि वह अपनी एफिलेशन से लेकर प्रिंसिपलों से जुड़ी जानकारी देने के साथ ही नियुक्ति प्रक्रिया की भी जानकारी दें. आदेशों के तहत सभी कॉलेजों अब 20 फरवरी तक यह सारी रिपोर्ट आयोग को देनी होगी.
निजी कॉलेजों के प्रिंसिपलों की योग्यता की जांच
आयोग की ओर से प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की योग्यता जांचने के बाद अब प्रदेश के निजी कॉलेजों के प्रिंसिपलों की योग्यता की जांच की जा रही है. अभी तक आयोग के पास मात्र 100 ही कॉलेजों के दस्तावेज आए हैं जिनकी जांच की जा रही है और उसी प्रारंभिक जांच में यह खुलासे हो रहे हैं. जांच में यह भी पता चला है कि प्रदेश के 17 निजी कॉलेज बिना प्रिंसिपलों के सहारे ही चल रहे हैं. ऐसे में सभी कॉलेजों को अब सारी जानकारी आयोग को भेजने के आदेश एक बार फिर से आयोग ने जारी किए हैं.
इन कॉलेजों की हो रही है जांच
आयोग के पास अभी तक जिन कॉलेजों का रिकॉर्ड भेजा है वह वह भी आधा अधूरा ही है. रिकॉर्ड में जो जानकारियां मांगी गई है उसे पूरी तरह से कॉलेजों ने नहीं दिया है. यही वजह है कि अब आयोग ने नए परफॉर्मा पर सभी कॉलेजों को अपनी एफिलेशन से जुड़ी जानकारी देने के साथ ही कॉलेज प्रिंसिपलों की शैक्षणिक योग्यता से जुड़ी जानकारी और नियुक्ति प्रक्रिया की जानकारी देने के आदेश एक बार फिर से जारी किए हैं. निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग की ओर से प्रदेश के सभी निजी डिग्री कॉलेजों के साथ ही B.Ed कॉलेज, तकनीकी कॉलेज, इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों के साथ ही फार्मेसी कॉलेज की जांच की जा रही है.
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