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डेंटल कॉलेज शिमला की मैगजीन में गलतियों की भरमार, स्टूडेंट फंड से खर्च हुए थे 2 लाख

मैगजीन 5 दिसंबर 2019 को गेयटी थियेटर में एक कार्यक्रम के दौरान लॉन्च की गई जिसमें शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज, स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार और डेंटल कॉलेज के प्रोफेसर प्रधानाचार्य मौजूद थे, लेकिन किसी ने शायद मोके पर मैगजीन को ध्यान से नहीं पढ़ा और त्रुटिपूर्ण एनुअल मैगजीन को मंत्री के हाथों लॉन्च करवा दिया.

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Published : Feb 4, 2020, 6:42 PM IST

shimla dental college magazine, शिमला के डेंटल कॉलेज की मैगजीन
डिजाइन फोटो

शिमला:राजधानी शिमला में स्थित डेंटल कॉलेज में एनुअल मैगजीन सवालों के घेरे में आ गयी है. मैगजीन में कई गलतियां पाई गई हैं. पहले पन्ने से लेकर आखिरी पन्ने तक गलतियों की भरमार है. यही नहीं मंत्रियों के संदेश में भी भारी गलतियां हैं.

मैगजीन 5 दिसंबर 2019 को गेयटी थियेटर में एक कार्यक्रम के दौरान लॉन्च की गई जिसमें शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज, स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार और डेंटल कॉलेज के प्रोफेसर प्रधानाचार्य मौजूद थे, लेकिन किसी ने शायद मोके पर मैगजीन को ध्यान से नहीं पढ़ा और त्रुटिपूर्ण एनुअल मैगजीन को मंत्री के हाथों लॉन्च करवा दिया.

प्रतिवर्ष मैगजीन लॉन्च होने के बाद 1 या दो दिन में ही छात्रों, कर्मचारियों, डॉक्टरों को मैगजीन बांट दी जाती थी, लेकिन इस बार दो महीने बीतने के बाद भी किसी को मैगजीन नहीं बांटी गई. मैगजीन की 2 दिसंबर 2019 को 400 प्रतियां लगभग 2 लाख स्टूडेंट फंड से छपवाईं गई थी. प्रत्येक छात्र को उम्मीद थी कि उनके लेख मैगजीन में छपे हैं और उन्हें भी मैगजीन मिलेगी.

वीडियो.

मैगजीन के पहले पन्ने पर ही डेंटल कॉलेज आईजीएमसी शिमला लिखा है, जबकि डेंटल कॉलेज अलग ही है उसका आईजीएमसी से कोई लेना देना नहीं है. वहीं, स्वास्थ्य मंत्री के संदे में भारी गलती पाई गई है. उसमें GOVT के स्थान पर GOCVT लिखा गया है.

मैगजीन में कई विभागों के नाम दवाइयों के नाम, बीमारियों के नाम, सम्मेलन के नाम फोटो पर गलत नाम अंकित किये गए हैं. यही नहीं मैगजीन में एक जगह कार्यक्रम की जो तिथि दी गयी है वो 30 फरवरी दी गयी है जिससे साफ जाहिर है कि मैगजीन को छपवाने में भारी लापरवाही बरती गई है.

त्रुटिपूर्ण मैगजीन पर 2 लाख खर्च करने और कर्मचारियों, डॉक्टरों में भारी रोष है. हालांकि अपनी नौकरी को खतरे में देख कोई सामने नहीं आ रहा, लेकिन सबके जुबान पर एक ही सवाल है कि इतने पढ़े लिखे होने के बाद भी मैगजीन में दर्जनों गलतियां हैं. यहां तक प्रिंसिपल डॉ. आशु गुप्ता के संदेश में भी गलतियां छापी गई हैं.

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