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योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन में पिछड़े कई विभाग, शिक्षा-स्वास्थ्य विभाग सबसे फिसड्डी

पिछले पांच साल में 20 अनुदानों में से 24 मामले ऐसे हैं, जहां निरंतर पूरी रकम खर्च नहीं हो पा रही है. उनमें से तीन मामले ऐसे हैं, जहां हर वर्ष ये बचत यानी कर्म खर्च सौ करोड़ रुपए से अधिक रहा है. ये शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण विकास विभाग हैं.

हिमाचल विधानसभा में कैग की रिपोर्ट
हिमाचल विधानसभा

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Published : Sep 14, 2020, 9:50 PM IST

शिमला: हिमाचल सरकार के कई विभाग योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन में असफल साबित हुए हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास विभाग सहित अन्य विभाग आवंटित अनुदान से काफी कम खर्च कर पाए हैं.

शिक्षा विभाग सबसे फिसड्डी साबित हुआ है. शिक्षा विभाग अनुदान में से सबसे अधिक 955 करोड़ रुपए की राशि खर्च नहीं कर पाया है. इसी प्रकार स्वास्थ्य विभाग 330.85 करोड़, ग्रामीण विकास विभाग 383.93, पुलिस विभाग 143. 83 करोड़ रुपए की रकम खर्च नहीं कर पाया है. सोमवार को सदन में पेश कैग रिपोर्ट में ये तथ्य सामने आए हैं.

कुल मिलाकर दस ऐसे विभाग हैं जो आवंटित अनुदान को पूरा खर्च करने में असफल हुए हैं. कैग ने अपनी रिपोर्ट में टिप्पणी करते हुए कहा कि विभागों में बजटीय नियंत्रण प्रभावशाली नहीं थे. विभागों में निधियां आवंटित करते समय पिछले वर्ष की प्रवृतियों को ध्यान में नहीं रखा गया.

शिक्षा विभाग की बात की जाए तो वित्तीय वर्ष 2017-18 में आवंटित अनुदान की बचत राशि 665 करोड़ रुपए थी. ये राशि वित्तीय वर्ष 2018-19 में बढ़कर 955 करोड़ रुपए से अधिक हो गई. साफ है कि शिक्षा विभाग तय राशि खर्च नहीं कर पाया.

कैग ने टिप्पणी की है कि पिछले पांच साल में 20 अनुदानों में से 24 मामले ऐसे हैं, जहां निरंतर पूरी रकम खर्च नहीं हो पा रही है. उनमें से तीन मामले ऐसे हैं, जहां हर वर्ष ये बचत यानी कर्म खर्च सौ करोड़ रुपए से अधिक रहा है. ये शिक्षा, स्वास्थ्य व ग्रामीण विकास विभाग हैं.

वहीं, राजकोषीय घाटा कम होकर 358 करोड़ रह गया है. इसके अलावा सरकार कर्मचारियों के वेतन पर 11,210 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं. पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में ये खर्च चार फीसदी बढ़ गया है. साथ ही सरकार पेंशन के भुगतान पर 4,975 करोड़ रुपए खर्च कर रही है. इसमें पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 6 फीसदी बढ़ोतरी हुई है।

हिमाचल की राजस्व प्राप्तियों में 13 फीसदी की वृद्धि हुई है. इस वित्त वर्ष में ये 30950 करोड़ रुपए हो गई है. चालू वर्ष में राजकोषीय घाटा 3512 करोड़ रुपए है. ये जीडीपी का 2.31 फीसदी है.

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