शिमलाः भाजपा और कांग्रेस के लिए ये साल काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा, हालांकि भाजपा के लिए हम कह सकते हैं कि यह साल फायदेमंद रहा. ये वे विवाद है जिन्होंने 2019 में सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी.
- 1. शर्मा परिवार और भाजपा में विवाद
लोकसभा चुनाव-2019 में सदर विधायक अनिल शर्मा के बेटे आश्रय शर्मा ने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा. पंडित सुखराम और आश्रय शर्मा कांग्रेस में शामिल हो गए थे, जबकि चुनाव के बीच में अनिल शर्मा ने मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, अभी तक अनिल शर्मा भाजपा के ही विधायक हैं.
धर्मशाला और पच्छाद में उपचुनाव हुए. पच्छाद में भाजपा में ऐसा विवाद हुआ कि पार्टी आलाकमान तक बात गई. पच्छाद में टिकट की दौड़ में शामिल रहीं दयाल प्यारी ने रीना कश्यप को पार्टी प्रत्याशी बनाने पर बगावत कर डाली. सीएम ने दयाल प्यारी को मनाने की पूरी कोशिश की लेकिन उनके समर्थक नहीं माने. इसी सीट से दूसरे बागी आशीष सिकटा ने आखिरी दिन नामांकन वापस लिया. दयाल प्यारी भाजपा से बागी होकर मैदान में उतरी और दिखा दिया कि सियासी तौर पर वह कितना दम रखती हैं. हालांकि, पच्छाद सीट पर दयाल प्यारी तीसरे नंबर पर रहीं, लेकिन उन्होंने 11698 (21.56 फीसदी) वोट झटके.
सोशल मीडिया पर स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार के खिलाफ वायरल हुए पत्र बम की गूंज भी दिल्ली तक सुनाई दी. बता दें कि स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में अगस्त माह में सोशल मीडिया पर पत्र वायरल हुआ था. फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पूर्व मंत्री रविंद्र रवि के कहने पर ही मनोज मसंद ने इसे वायरल किया था. मामले में रविंद्र रवि को सफाई देनी पड़ी थी. रविंद्र रवि और मनोज मसंद के मोबाइल फोन की जांच से खुलासा हुआ कि मनोज ने वायरल करने से पहले रवि से बातचीत की थी और उन्होंने इस संबंध में सहमति जताई थी. सोशल मीडिया में पत्र वायरल होने से पार्टी में गुटबाजी जैसे हालात बन गए थे.
- 4. विधानसभा अध्यक्ष भी विवादों में
2019 में हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल भी विवादों में रहे. सब से ज्यादा विवादों में रहे पच्छाद उपचुनाव के दौरान. जब उनपर पद की गरिमा के खिलाफ काम करने के आरोप लगे. कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए एक वीडियो भी जारी किया जिसमें राजीव बिंदल बीजेपी के लिए प्रचार करते नजर आ रहे थे. हालांकि बीजेपी ने इसे सिरे से खारिज किया.
11 अगस्त को पुलिस भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी, लेकिन कांगड़ा के पालमपुर के एक सेंटर में लिखित परीक्षा के दौरान फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था. रिटन टेस्ट के दौरान कुछ युवक दूसरे के बदले टेस्ट देते हुए पक़ड़े गए थे. इसके बाद परीक्षा रद्द कर दी गई थी. परीक्षा में फर्जी परीक्षार्थी और नकल के लिए हाईटेक उपकरण भी पकड़े गए थे. पकड़े गए आरोपियों को छोड़ अन्य सभी ने दोबारा परीक्षा दी. दूसरी बार ली गई परीक्षा में पूरी एहतियात बरती गई.
- 6. कांग्रेस का अंदरूनी विवाद
कांग्रेस में 2019 में इस कदर उठापटक दिखी कि हाईकमान को पूरी कार्यकारिणी ही निरस्त करने का फैसला लेना पड़ गया. प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर को छोड़कर सभी पदाधिकारियों को पदमुक्त कर दिया गया. कांग्रेस की लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव में हुई हार ने पार्टी में गुटबाजी जैसे हालात बना दिए थे. जिसकी गाज हिमाचल कांग्रेस कार्यकारिणी पर गिरी. पार्टी हाईकमान ने हिमाचल कांग्रेस की सभी कार्यकारिणियों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया. पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के आदेश AICC महासचिव केसी वेणुगोपाल ने लिखित रूप में जारी कर दिए. हाईकमान ने प्रदेश कार्यकारिणी के अलावा जिला और ब्लाक कांग्रेस कार्यकारिणियों को भी भंग कर दिया.
- 7. अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में देवधुन पर विवाद
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में पहली बार देवधुन बजाने पर विवाद हो गया. सरकार व प्रशासन ने इसे नई पहल के तौर पर शुरू किया था, लेकिन देव समाज ने इसे देवताओं का अपमान माना. दिन में और नेताओं के सामने देवधुन बजाने का देव संसद बुलाकर विरोध हुआ. इस विवाद के कारण पांच साल बाद रघुनाथ मंदिर में जगती का आयोजन हुआ.
पढ़ेंः ईयर इंडर 2019: हिमाचल को मिले दो गवर्नर, ब्यूरोक्रेसी में देखने को मिला बड़ा फेरबदल