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शिमला में एलआईसी कर्मचारियों की हड़ताल, शांतिपूर्ण तरीके से किया प्रदर्शन

शिमला में भारतीय जीवन बीमा निगम के कर्मचारियों ने आज केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के उस बजटीय प्रस्ताव के जिसमें उन्होंने एलआईसी में सरकार की एक हिस्सेदारी बेचने की बात कही है के खिलाफ देशभर में एक घंटे की राष्ट्रव्यापी हड़ताल की.इसी कड़ी में शिमला में स्केंडल पॉइंट स्थित एलआईसी कर्मचारियों ने भी हड़ताल की ओर मौन धरना प्रदर्शन कार्यालय के बाहर किया.

LIC employees strike in Shimla, protests in peaceful manner
,शांतिपूर्ण तरीके से किया प्रदर्शन

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Published : Feb 4, 2020, 3:29 PM IST

शिमला :भारतीय जीवन बीमा निगम के कर्मचारियों ने एलआईसी में सरकार की हिस्सेदारी बेचने के खिलाफ देशभर में एक घंटे की राष्ट्रव्यापी हड़ताल की . इसी कड़ी में शिमला में स्केंडल पॉइंट पर एलआईसी कर्मचारियों ने भी हड़ताल की ओर मौन धरना प्रदर्शन कार्यालय के बाहर किया.

इस प्रदर्शन के माध्यम से एलआईसी कर्मचारियों ने केंद्र सरकार की ओर सरकारी उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपने और अब एलआईसी को शेयर मार्केट में लिस्ट करने का विरोध जताया.जीवन बीमा कर्मचारी एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्याक्ष पंकज सूद ने कहा कि इससे बीमा धारकों को काफी नुकसान भी हो सकता है. बीमा कर्मी सरकार के इस फैसले के विरोध में हैं. यह हड़ताल 12 बजे से एक बजे तक की गई थी.

जीवन बीमा कर्मचारी एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्याक्ष पंकज सूद ने कहा कि भारत सरकार ने बजट में भारतीय जीवन बीमा निगम को शेयर मार्केट में लिस्ट करने की बात कही है. सरकार के इस फैसले का कर्मचारी विरोध कर रहे हैं .उन्होंने कहा कि भारतीय जीवन बीमा निगम 1956 में बनी है ओर बीमा निगम को 63 वर्ष हो चुके हैं. जीवन बीमा निगम के पास 31 करोड़ के पॉलसी धारक हैं और 32 लाख करोड़ से अधिक की पूंजी है .यही नहीं 2019 में निगम ने सरकार को 2611 करोड़ का लाभांश भी सरकार को दिया है.

वीडियो रिपोर्ट
उन्होंने कहा कि 20 सालों में एलआईसी ने प्राइवेट कंपनियों को पीछे रखा है ओर आज बेहद ही बढ़िया तरीके से एलआईसी काम कर रही है. एलआईसी इस देश की रीड़ की हड्डी है.यह सबसे बड़ा फाइनेंशियल सेक्टर है.उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की मात्र एक ही मंशा है कि वह बड़े बड़े कॉरपोरेट हाउसेस को लाभ देना चाहती है, लेकिन एलआईसी के कर्मचारी यह होने नहीं देंगे. कर्मचारियों का कहना है कि अगर सरकार अपना फैसला वापिस नहीं लेती तो आगामी दिनों में उग्र आंदोलन भी शुरू किया जाएगा .

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