रामपुर: शिमला जिले की दरकाली पंचायत का शरनाल गांव बीते करीब 5 साल से धंस रहा है. लेकिन आज तक इस गांव की सुध लेने वाला कोई नहीं है. उत्तराखंड के जोशीमठ ने सुर्खियां बटोरीं तो एक बार फिर ये गांव भी चर्चा में आ गया है. जहां के लोग पिछले लंबे वक्त से डर के साये में जीने को मजबूर हैं. लगातार धंसती जमीन के कारण शरनाल गांव रामपुर का जोशीमठ बनता जा रहा है.
पूरे गांव को खतरा- शिमला का शरनाल गांव खतरे की घंटी बजा रहा है. गांव का एक हिस्सा पूरी तरह से भूस्खलन की चपेट में आ गया है और ये पिछले लगभग 5 साल से हो रहा है. उस वक्त भी प्रशासन को सूचित किया गया था लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. गांव में 15 से 20 घर हैं जो कभी भी धंसती हुई जमीन की चपेट में आ सकते हैं.
शरनाल गांव बजा रहा खतरे की घंटी बरसात में लगता है डर- ग्रामीणों के मुताबिक गांव हर साल धंस रहा है और भूस्खलने के कारण स्थिति बिगड़ती जा रही है. खासकर बरसात के दिनों में लोग डर के साये में जीते हैं. इस गांव में एक स्कूल भी है जिसके कई हिस्सों में चौड़ी-चौड़ी दरारें पड़ चुकी हैं. अगर वक्त रहते कुछ नहीं किया गया तो गांव धंस जाएगा.
गांव का एक घर हुआ तबाह- गांव के नागीराम का घर भूस्खलन की चपेट में आने से पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है. गांव के बाकी घरों को भी खतरा बना हुआ है जिसे लेकर ग्रामीण परेशान हैं और प्रशासन को इसकी जानकारी दे चुके हैं लेकिन कुछ नहीं हुआ. पंचायत की ओर से जिला प्रशासन और भू संरक्षण विभाग को लिखित में सूचित भी किया गया और विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण भी किया लेकिन आज तक निरीक्षण के आगे कुछ नहीं हुआ है.
शरनाल गांव में हैं 15 से 20 घर सवालों में प्रशासन- ग्राम पंचायत प्रधान दरकाली गुलजारी सानी का कहना है कि इस बारे में लगभग 5 साल पहले भी प्रशासन को सूचित किया था लेकिन उसके बाद बीते बरसात के समय में भी भू संरक्षण विभाग को लिखित में सूचित किया जा चुका है. लेकिन अभी भी इस पर कोई कार्य नहीं हो पा रहा है उन्होंने बताया कि वह संरक्षण की टीम ने यहां पर आकर निरीक्षण किया था लेकिन फिलहाल बर्फबारी होने के कारण उस पर कार्य नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर जल्द हुए उपायुक्त शिमला से मुलाकात करेंगे और इस बारे में उन्हें अवगत करवाएंगे.
गांव का एक घर पूरी तरह हो चुका है तबाह वक्त रहते कदम उठाने की जरूरत-भू-सरक्षण अधिकारी रामपुर अशोक कुमार के मुताबिक इलाके में पानी की निकासी ना होना भी इसकी एक वजह है. इसलिये जल निकासी की व्यवस्था के साथ-साथ, इलाके में पेड़ लगाने और क्रेट वॉल लगाने का काम करना होगा. जिसमें अन्य विभागों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी. उन्होंने बताया कि वज्ञ दो बार वहां का निरीक्षण कर चुके है, जिस पर काम चल रहा है. अशोक कुमार ने कहा कि वहां जमीन लगातार बैठ रही है समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति और भी खराब हो सकती है.
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