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करोड़ों की लागत से बने प्रदेश के एकमात्र महिला एवं शिशु अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं का आभाव - केएनएच

केएनएच में चिकित्सक रसोली व अन्य छोटे ऑपरेशन तो कर देते हैं, लेकिन आधे से ज्यादा टेस्ट करवाने के लिए मरीजों को आईजीएमसी जाना पड़ता है. यहां तक महिलाओं को अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए भी आईजीएमसी जाना पड़ता है या फिर निजी अस्पताल में करवाना पड़ता है.

Lack of facilities in Kamla Nehru Hospital in shimla, केएनएच में मूलभूत सुविधाओं का आभाव
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Published : Jan 28, 2020, 4:59 PM IST

शिमला:प्रदेश के एकमात्र महिला एवं शिशु अस्पताल कमला नेहरू यानी केएनएच में मरीज व तीमारदार सुविधाओं के लिए दर-दर भटक रहे हैं. अस्पताल में नया भवन भी बन कर तैयार हो गया है. बावजूद इसके यहां पर लोगों को मूलभूत सुविधा नहीं मिल पाती हैं. अस्पताल में ठंड के दिनों में तीमारदारों को फर्श पर लेटना लेटना पड़ रहा है, जबकि कई तीमारदारों को परिसर में ही अपना बिस्तरा लगाना पड़ता है. तीमारदार लेबर रूम के बाहर सीढ़ियों पर ही रात गुजारने को मजबूर हैं.

बंद पड़े हैं शौचालय

करोड़ों के लागत से केएनएच में नया भवन बन कर तैयार हो गया है. यहां वार्ड भी शुरू हो गए हैं, लेकिन नए भवन में बने शौचालय में ताला जड़ा रहता है, जबकि पुराने भवन में बने शौचालय की हालत ऐसी है कि वहां पानी भी नहीं रहता और हरदम ब्लॉक रहता है. इसलियए तीमारदार बाहर ही शौचालय जाने को मजबूर रहते हैं.

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टेस्ट करवाने जाना पड़ता है आईजीएमसी

केएनएच में चिकित्सक रसोली व अन्य छोटे ऑपरेशन तो कर देते हैं, लेकिन आधे से ज्यादा टैस्ट करवाने के लिए मरीजों को आईजीएमसी जाना पड़ता है. यहां तक महिलाओं को अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए भी आईजीएमसी जाना पड़ता है या फिर निजी अस्पताल में करवाना पड़ता है. केएनएच में दूर दराज से महिला का इलाज कराने आये तीमारदारों का कहना है कि अस्पताल में सुविधा ना के बराबर है. उनका कहना है कि यहां बैठने की समस्या है, क्योंकि महिला अस्पताल होने के कारण पुरुष दिन में तो रह सकते हैं, लेकिन रात के समय पुरुष को अस्पताल से बाहर कर देते हैं और उन्हें खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर होना पड़ता है, जबकि प्रशासन को चाहिए कि एक कमरा पुरुषों के लिए भी रखें जहां रात को रूक सकें.

तीमारदारों का कहना है कि शौचालय के लिए भी इधर-उधर भटकना पड़ता है, क्योंकि अस्पताल में पुरुष शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है. वहीं, तीमारदारों का कहना है कि अस्पताल परिसर में पार्किंग की भी व्यवस्था होनी चाहिए. इस संबध में जब अस्पताल एमएस अंबिका चौहान से संपर्क करना चाहा तो स्टाफ ने बताया कि वह अस्पताल में नहीं हैं कहीं बाहर गई हैं.

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