शिमला. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन विधेयक को पेश किया है. इसके तहत जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया गया है. लद्दाख को बिना विधानसभा केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में धारा-370 को हटाने की जानकारी दी.
देश के इस बड़े घटनाक्रम के आलोक में हिमाचल से जुड़ा धारा-118 से संबंधित मामला भी है. जिस तरह धारा 370 के एक प्रावधान के अनुसार देश का कोई अन्य नागरिक जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकता लगभग उसी तरह का प्रावधान हिमाचल में भी है, लेकिन यहां यह सपष्ट कर देना जरूरी है कि धारा-118 को लेकर हिमाचल के कुछ हित जुड़े हैं और कोई भी सरकार इससे छेड़खानी का रिस्क नहीं लेती है.
छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल में जमीन की सीमित उपलब्धता को देखते हुए यहां की भूमि को धन्नासेठों के हाथों में जाने से रोकने के लिए धारा-118 लागू की गई थी. हिमाचल की जनता के लिए ये धारा इस कदर संवेदनशील है कि इसमें जरा सा भी संशोधन या छेड़छाड़ का जिक्र भर होने से न केवल राजनीतिक हल्कों में बल्कि आम जनमानस में भी हल्ला मच जाता है.
राज्य में सत्ता में आई सभी सरकारें इस संवेदनशील मसले पर कोई बड़ा कदम उठाने से पहले हजार बार सोचती हैं. जैसे ही धारा-118 में संशोधन का सवाल आता है, एकदम से आरोप लगने शुरू हो जाते हैं कि सत्ताधारी दल प्रदेश की भूमि को गिरवी रखने जा रहा है.
हिमाचल ऑन सेल और हिमाचल को बेचने जैसे गंभीर आरोप लगते रहे हैं. यहां तक कि एक मामले में हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि 45 साल से हिमाचल में रह रहे व्यक्तियों, जो गैर कृषक की श्रेणी में आते हैं, को भी जमीन खरीदने की अनुमति देने के लिए धारा-118 में संशोधन किया जाए. ये आदेश दो वर्ष पूर्व हाईकोर्ट ने जारी किए थे, लेकिन इस आदेश को मानने से पहले ही राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई.
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश निरस्त कर दिया और इस तरह एक मसला सुलगने से पहले ही ठंडा पड़ गया. इस समय हिमाचल प्रदेश में ऐसे ही एक मामले में हंगामा मचा हुआ है. हिमाचल में सरकारी क्षेत्र में काम कर रहे गैर हिमाचली अफसरों व कर्मियों के बच्चों को आवास बनाने के लिए जमीन खरीदने संबंधी अनुमति एक्सटेंड करने को लेकर जयराम सरकार बुरी तरह से घिरी.
हालांकि इस मामले में सितंबर 2014 में कांग्रेस सरकार ने नींव रख दी थी, लेकिन बवाल मच ही गया. ऐसे में यहां ये जानना दिलचस्प है कि धारा-118 को लेकर कब-कब बड़े घटनाक्रम हुए. इस मामले में सबसे बड़ा घटनाक्रम वर्ष 2016 में पेश आया था. उस समय हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 23 सितंबर को एक आदेश पारित किया.
आदेश के अनुसार राज्य सरकार को कहा गया कि वो हिमाचल प्रदेश टैनेंसी एंड लैंड रिफाम्र्स एक्ट की धारा-118 में संशोधन करे. अदालत ने निर्देश दिया था कि नब्बे दिन के भीतर-भीतर संशोधन कर उन गैर कृषकों को जमीन खरीदने की अनुमति दी जाए, जो वर्ष 1972 से पहले से हिमाचल में रह रहे हैं.