शिमला:राजधानी शिमला सहित हिमाचल के अन्य इलाकों में शायद ही इतना खौफ किसी और का होगा, जितना बंदरों का है. प्रदेश के अस्पतालों में आए दिन बंदरों के काटने के कई मामले सामने आते हैं. सरकार से लेकर प्रशासन सब के सब बंदरों के आगे बेबस नजर आते हैं
यहां तक कि हिमाचल की राजनीति में भी बंदर खासी अहमियत रखते हैं. चुनावों के दौरान बंदरों की समस्या भी बड़ा चुनावी मुद्दा रह चुका है. सरकार के लिए बंदरों की समस्या आने वाले दिनों में शायद और विकराल रूप ले सकती है, क्योकि प्रदेश की 91 तहसीलों में अब लोग वर्मिन घोषित बंदरों को नहीं मार पाएंगे.
बंदरों को मारने की समयावधि शुक्रवार को समाप्त हो गई है. अब बंदरों को मारना गैर कानूनी होगा और अगर कोई बंदरों को मारता है तो पशु क्रूरता एक्ट के तहत कार्रवाई भी हो सकती है. किसानों को बंदरों के आतंक से छुटकारा दिलाने के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने हिमाचल की 91 तहसीलों में वर्मिन घोषित बंदरों को मारने की अनुमति दी थी, लेकिन अब यह समय अवधि समाप्त हो गई है.