शिमला: हिमाचल प्रदेश में 2024 की लड़ाई के प्रमुख चेहरे जेपी नड्डा और सुखविंदर सिंह सुक्खू होंगे. हालांकि हिमाचल चार लोकसभा सीटों वाला छोटा राज्य है, लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और एक पावरफुल केंद्रीय मंत्री का राज्य होने के कारण यहां के परिणाम पर सभी की नजरें रहती हैं. फिर पीएम नरेंद्र मोदी भी हिमाचल को अपना दूसरा घर कहते हैं. नरेंद्र मोदी नब्बे के दशक में हिमाचल भाजपा के प्रभारी रहे हैं और उनका यहां से लगाव है. खैर, हिमाचल में चार लोकसभा सीटों की जंग के लिए तैयारी का बिगुल बज चुका है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने अपने गृह राज्य की चारों लोकसभा सीटों को जीतने की चुनौती है. वहीं, एक साल पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा को पटखनी देकर सत्ता का ताज पहनने वाली सुखविंदर सरकार के समक्ष भी साख और नाक का सवाल है. इस तरह हिमाचल की लड़ाई जेपी नड्डा बनाम सुखविंदर सिंह सुक्खू भी कही जा सकती है. हालांकि इस रण के अन्य प्रमुख योद्धाओं में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल, पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह आदि भी हैं. कांग्रेस के पास राज्य की सत्ता का आत्मबल है तो भाजपा के पास संगठन की मजबूती का गुमान है. भाजपा के अन्य की-फैक्टर्स में पीएम नरेंद्र मोदी का नाम, केंद्र की योजनाएं, कांग्रेस की अधूरी गारंटियों के खिलाफ पैदा हो रहा जन आक्रोश है.
मिशन-2024 के लिए चुनाव का शोर शुरू हो गया है. इसके साथ ही ये चर्चा भी जोर पकड़ रही है कि मैदान में कौन-कौन उतरेंगे. भाजपा के लिहाज से देखें तो हमीरपुर सीट से अनुराग ठाकुर का चुनाव मैदान में उतरना तय है. शिमला से सुरेश कश्यप के नाम पर फिर मुहर लग सकती है. हालांकि यहां से पूर्व में चुनाव लड़ चुके एचएन कश्यप की भी टिकट को लेकर दबी इच्छा है. इस कड़ी में विधानसभा चुनाव लड़ चुके डॉ. राजेश कश्यप का नाम भी लिया जा सकता है. शिमला सीट से कश्यप परिवार के प्रोफेसर वीरेंद्र कश्यप दो बार सांसद रह चुके हैं. पिछले चुनाव में सिरमौर के सुरेश कश्यप को मैदान में उतारा गया था. वे तब पच्छाद से विधायक थे. उनकी जगह रीना कश्यप भाजपा टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंची थी.
हिमाचल भाजपा के लिहाज से सबसे रोचक समीकरण मंडी सीट को लेकर है. यहां से जयराम ठाकुर को चुनावी जंग में उतारने की चर्चाएं खूब हैं. जयराम ठाकुर ईटीवी से बातचीत में कह चुके हैं कि पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, उसे निभाया जाएगा, लेकिन मन ही मन वे लोकसभा नहीं जाना चाहते. टीम जयराम का पूरा प्रयास है कि कंगना रणौत को यहां से टिकट मिल जाए. कंगना की सियासी बयानबाजी और गतिविधियां भी इशारा करती हैं कि वो चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो जाएंगी. पिछली बार चुनाव लड़े ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर और महेश्वर सिंह का नाम भी प्रत्याशी चयन में आ सकता है. फिर बची, कांगड़ा सीट. कांगड़ा में किशन कपूर पिछली बार जीते थे. वे धर्मशाला से विधायक थे और जयराम सरकार में कैबिनेट मंत्री भी, लेकिन उन्हें 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए आदेश दिया गया. किशन कपूर स्वास्थ्य के मोर्चे पर भी जूझ रहे हैं. ऐसे में उनके 2024 में मैदान में आने की संभावनाएं कम हैं. यहां भाजपा अगर गद्दी कम्युनिटी को ही कंसीडर करना चाहेगी तो त्रिलोक कपूर बेहतर चेहरा होंगे. वे जेपी नड्डा के भी करीबी हैं. इसके अलावा विपिन परमार के रूप में छात्र राजनीति से उपजा नाम भी चॉइस हो सकता है. चौंकाने वाले फैसले के रूप में भाजपा अगर युवा चेहरे को आगे करना चाहे तो पूर्व विधायक विशाल नेहरिया भी एक कैंडिडेट हैं, लेकिन सियासी परिस्थितियां उनके पक्ष में अधिक प्रभावी नहीं हैं.