शिमला: जेबीटी शिक्षकों की भर्ती के लिए बीएड प्रशिक्षुओं को भी मान्यता देने पर जेबीटी प्रशिक्षु विरोध में उतर आए हैं और सरकार से जेबीटी के लिए बीएड धारकों को मान्यता न देने की गुहार लगाई है. साथ ही जेबीटी बेरोजगार संघ ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि ये फैसला वापिस नहीं लिया जाता है तो प्रदेश के हजारों जेबीटी सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करेंगे.
जेबीटी शिक्षक भर्ती में बीएड को मान्यता देना गलत! विरोध में उतरा जेबीटी बेरोजगार प्रशिक्षु संघ
जेबीटी शिक्षकों की भर्ती के लिए बीएड प्रशिक्षुओं को भी मान्यता देने पर जेबीटी प्रशिक्षु विरोध में उतर आए हैं.
प्रदेश के जेबीटी बेरोजगार संघ के अध्यक्ष अभिषेक ठाकुर का कहना है कि प्रदेश में 20 हजार जेबीटी डिप्लोमा धारक हैं और अब जेबीटी में बीएड धारकों को मान्यता देने से इन बेरोजगारों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा. बीएड को अगर जेबीटी में मान्यता दी जाती है तो इससे 50 फीसदी बैचवाइज में उन्हीं का नम्बर आएगा और जेबीटी प्रशिक्षु बेरोजगार राह जाएंगे. बीएड का 1999 ओर 2000 का बैच चल रहा है जबकि जेबीटी का 2008-10 का बैच चल रहा है. ऐसे में अगर बीएड को जेबीटी भर्ती में शामिल किया जाता है तो उनका नम्बर पहले आएगा.
जेबीटी बेरोजगार संघ का कहना है कि एनसीटीई की अधिसूचना में यह स्पष्ट किया गया है कि यह नियम उन्हीं राज्यों के लिए जहां जेबीटी प्रशिक्षु नहीं मिल रहे हैं. संघ का कहना है कि उन्होंने शिक्षा मंत्री के समक्ष भी अपनी बात को रखा हैं. जहां से उन्हें आश्वाशन मिला है. संघ को सरकार को चेताया है कि अगर प्रदेश सरकार हजारो बेरोजगार जेबीटी प्रशिक्षुओं को लेकर कोई फैसला नहीं करती है तो मजबूरन इन्हें सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करना पड़ेगा और साथ ही इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने से भी गुरेज नही करेंगे.
बता दें कि प्रदेश में 11 डाइट और 28 के करीब निजी संस्थान ऐसे हैं जहां विद्यार्थी जेबीटी डिप्लोमा कर रहे हैं .ऐसे में इन्हें बेरोजगार रख कर सरकार किस आधार पर बीएड को प्राथमिकता दे सकती है. संघ का कहना है कि जेबीटी एक ट्रेंड टीचर है और प्रवेश परीक्षा के आधार पर उनकी योग्यता परखने के बाद ही उन्हें इस कोर्स में प्रवेश मिलता है जबकि बीएड के तो कई छात्र ऐसे है जो बाहरी राज्यों में इस डिग्री को हासिल कर अब प्रदेश में रोजगार हासिल कर रहे है.