शिमला : भारतीय रिजर्व बैंक ने 2 हजार रुपये का नोट वापस लेने का फैसला लिया है. इस फैसले के बाद देशभर में सियासत भी उबाल मार रही है. कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी नेता इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं और इस फैसले की तुलना 2016 में हुई नोटबंदी से कर रहे हैं. हिमाचल के मुख्यमंत्री ने भी इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा था कि पहले काले धन को रोकने के लिए नोटबंदी की गई और 2000 रुपये का नोट जारी किया गया. 6 साल में ही उस नोट को चलन से बाहर किया जा रहा है, क्या सरकार को तब ये पता नहीं था कि 2000 रुपये के नोट से कालेधन को बढ़ावा मिलेगा. सुक्खू ने कहा कि इस तरह के फैसले से देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है, सुक्खू ने कहा कि नोटबंदी के फैसले से देश को 2 फीसदी जीडीपी का नुकसान हुआ था.
जयराम ठाकुर का पलटवार- पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 2000 रुपये के नोट को बंद करने के फैसले पर सवाल उठा रहे नेताओं को लेकर कहा कि विपक्ष इस मामले को बेवजह तूल दे रहा है और पैनिक क्रिएट कर रहा है. दरअसल हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू समेत देशभर के तमाम विपक्षी नेताओं ने दो हजार रुपये के नोट प्रचलन से बंद करने के फैसले पर सवाल उठाए हैं. विपक्ष की ओर से सरकार की आर्थिक और वित्तीय नीतियों पर सवाल उठाया जा रहा है. विपक्ष के मुताबिक अगर 6 साल में ही दो हजार रुपये का नोट वापस लेना था तो फिर चलन में क्यों लाया गया ? क्या 2016 की नोटबंदी के वक्त ये बात सरकार और आर्थिक नीति बनाने वालों के दिमाग में नहीं आई थी ?