शिमला:हिमाचल प्रदेश के 60 साल या उससे ऊपर के उम्र वाले लोगों को सामाजिक पेंशन का लाभ मिल रहा है. यहीनहीं सामाजिक पेंशन की राशि में भी बढ़ोतरी की गई है. इस तरह भाजपा सरकार ने एक बड़े वर्ग को सामाजिक पेंशन का फायदा पहुंचाया है और इसके सहारे वह सत्ता पाने की उम्मीद भी पाले हुए है. हालांकि यह 8 दिसंबर को आने वाले नतीजे ही बताएंगे कि भाजपा को इसका कितना फायदा मिला है. हिमाचल में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और चुनावी नतीजे आना बाकी है. राज्य की दो बड़ी सियासी पार्टियां भाजपा और कांग्रेस अपनी-अपनी सीटों का अनुमान लगा रही है. दोनों बड़ी पार्टियां समीक्षाएं भी कर रही हैं. हालांकि भाजपा की बात करें तो चुनावों में जाने से काफी पहले ही उसने कई बिंदुओं पर काम करना शुरू कर दिया था.
वोट बैंक पर नजर: अधिक से अधिक लोगों को सरकारी योजनाओं के दायरे में लाकर इनका वोट बैंक हासिल करने की भाजपा की रणनीति रही है. भाजपा ने महिलाओं के लिए जहां फ्री रसोई गैस और पचास फीसदी रियायत बसों के किराये में दी है. वहीं सामाजिक पेंशन का दायरा बढ़ाकर उसने एक तरह से इस वर्ग के वोट बैंक को साधने का काम भी किया है.
पेंशन में बढ़ोतरी: भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल में वरिष्ठ नागरिकों को फोकस में रखा. इसके लिए जहां पेंशन की पात्रता आयु को घटाया गया वहीं इनकी पेंशन में भी बढ़ोतरी की गई. पहले पेंशन की पात्रता आयु सीमा 80 साल थी, भाजपा सरकार ने इसे घटाकर पहले 70 साल किया और आय सीमा की शर्त को भी हटाया. जानकारों की मानें तो भाजपा सरकार ने इस वर्ग की सामाजिक पेंशन का दायरा बढ़ाकर वरिष्ठ नागरिकों को साधने की एक बड़ी कोशिश की है. यही नहीं इस वर्ग की पेंशन में भी बढ़ोतरी की गई. अब 70 वर्ष या इससे अधिक आयु के बुजुर्गों की पेंशन 1700 रुपये दी जा रही है जबकि यह पेंशन पहले 700 रुपए थी. वहीं महिलाओं के लिए इस आयु को घटाकर 65 साल किया गया. 65 से 69 वर्ष की बुजुर्ग महिलाओं को 1150रुपये पेंशन दी जा रही है.
बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक:भाजपा सरकार ने एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक पेंशन की आयु सीमा को घटाने का किया. 60 वर्ष से ऊपर की आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को भी आय सीमा की शर्त के बगैर ही पेंशन देने का फैसला सरकार ने किया. इस तरह 60 से 69 आयु वाले बुजुर्ग पुरुषों और 60 से 64 आयु वाली बुजुर्ग महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये की पेंशन मिल रही है.
5 लाख से अधिक वरिष्ठ नागरिकों को साधने की कोशिश की: जयराम सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों को साधने की कोशिश की है. आयु सीमा घटाने के साथ-साथ इनकी पेंशन बढ़ाने का फैसला सरकार की रणनीति का एक हिस्सा रहा है. अगर 60 साल से अधिक के सामाजिक सुरक्षा पाने वाले पेंशनरों की संख्या को देखा जाए तो करीब 5 लाख से भी अधिक पहुंचती है. इस तरह वरिष्ठ नागरिकों को किसी ने किसी तरह फायदा देकर भाजपा ने वोट बैंक को पक्का करने की कोशिश भी की है.
दूसरे वर्गों का भी ध्यान: वरिष्ठ नागरिकों के लिए पेंशन का दायरा बढ़ाने के अलावा भाजपा सरकार ने दिव्यांगजनों, बेसहारा एवं एकल महिलाओं, कुष्ठ रोगियों और अन्य असहाय लोगों की सामाजिक सुरक्षा पेंशन में भी वृद्धि की है. भाजपा सरकार के कार्यकाल में सामाजिक सुरक्षा पेंशन के वार्षिक बजट में लगभग चार गुणा तक वृद्धि दर्ज की गई. विधवा/परित्यक्त/एकल नारी और 40 से 69 प्रतिशत दिव्यांगता वाले लोगों को 1150 रुपये प्रतिमाह, जबकि 70 प्रतिशत या इससे अधिक दिव्यांगता वालों को 1700 रुपये प्रतिमाह की दर से पेंशन दी जा रही है. इसके अलावा कुष्ठ रोगी पुर्नवास भत्ता और ट्रांसजेंडर पेंशनरों को 1000रुपये प्रतिमाह पेंशन 1 अप्रैल से दी जा रही है. गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को हर माह तीन हजार रुपए पैंशन देने की पहल भी जयराम सरकार ने की.