शिमला: सोमवार को प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित की गई. बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को कार्यान्वित करने का निर्णय लिया गया ताकि प्रदेश के विद्यार्थियों को 21वीं सदी के लिए तैयार किया जा सके, जहां समीक्षात्मक सोच देश का भविष्य निर्धारित करेगी.
प्रदेश मंत्रिमंडल ने नई शिक्षा नीति लाने के लिए केन्द्र सरकार का आभार व्यक्त किया, जिसमें रोजगार चाहने वालों के स्थान पर रोजगार प्रदाताओं पर ध्यान केन्द्रित किया गया है और यह नीति विद्यार्थियों को रटने की आदत से समीक्षात्मक सोच की ओर अग्रसर करेगी.
इस नीति में नए पाठ्यक्रम ढांचे की अवधारणा भी की गई हैं ताकि विद्यार्थियों में वैज्ञानिक और गणितीय सोच के अतिरिक्त शिक्षा पर सार्वजनिक निवेश 4.43 प्रतिशत से बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद का छः प्रतिशत किया जा सके. प्रदेश में इस नीति के क्रियान्वयन के लिए मंत्रिमण्डल ने शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स बनाने का निर्णय लिया, जिसमें 27 सदस्य होंगे और सर्वशिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक इसके सदस्य सचिव होंगे.
मंत्रिमण्डल ने साल 2021-22 से वर्तमान में प्रचलित योजना और गैर योजना के वर्गीकरण को समाप्त करने का निर्णय लिया. इसे अब पूंजीगत एवं राजस्व खर्च में वर्गीकृत किया जाएगा. अनुसूचित जाति उप-योजना, जनजातीय क्षेत्र उप-योजना, पिछड़ा क्षेत्र उप-योजना और क्षेत्रीय और विकेन्द्रिकृत योजना कार्यक्रमों को अब क्रमशः अनुसूचित जाति विकास योजना, जनजातीय क्षेत्र विकास योजना, आकांक्षी खण्ड विकास योजना और क्षेत्रीय एवं विकेन्द्रिकृत विकास कार्यक्रम के रूप में पुनर्नामित किया जाएगा.
अनुसूचित जाति विकास कार्यक्रम, जनजातीय क्षेत्र कार्यक्रम, आकांक्षी खण्ड विकास कार्यक्रम और क्षेत्रीय एवं विकेन्द्रिकृत विकास कार्यक्रमों के लिए कार्यान्वयन प्रबन्ध पूवर्तः रहेंगे, जो वर्तमान में अनुसूचित जाति उप-योजना, जनजातीय क्षेत्र उप-योजना, पिछड़ा क्षेत्र उप-योजना और अनुसूचित जाति विकास कार्यक्रम के लिए प्रचलित है.
अनुसूचित जाति विकास योजना, जनजातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम, आकांक्षी खण्ड विकास कार्यक्रम और क्षेत्रीय एवं विकेन्द्रिकृत विकास कार्यक्रमों के लिए डिमाण्ड संख्या 31,32 और 15 के अन्तर्गत बजट का आवंटन किया जाएगा.
मंत्रिमण्डल ने निर्णय लिया है कि आगामी वित्तीय वर्ष के बजट आवंटन जनजातीय क्षेत्र विकास परियोजना के अन्तर्गत 9% के अनुपात और वर्तमान वार्षिक योजना के हिस्से के विभिन्न विकासात्मक शीर्षो के अन्तर्गत अनुसूचित जाति विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत 25.19 प्रतिशत रहेगा.
बैठक में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अन्तर्गत गरीबी रेखा से नीचे और प्राथमिकता घरों के लाभार्थियों के चयन के लिए एकमुश्त छूट देने का निर्णय लिया गया, जिसके लिए ग्राम पंचायतों को अतिरिक्त गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवारों और प्राथमिकता घरों को ग्राम सभा की बैठक आयोजित किए बिना और अपील दायर करने के लिए 15 दिनों के स्थान पर सात दिनों का समय देने का निर्णय लिया गया. बैठक में यह भी निर्णय लिया कि ग्राम पंचायतें और स्थानीय शहरी निकाय एक महीने के स्थान पर 15 दिनों की अवधि में चयन प्रक्रिया पूरा करेगे.
प्रदेश में ग्रामीण आर्थिकी पर आधारित उद्यमियों के लिए सामान्य, जनजातीय और पिछड़े वर्ग के व्यक्यिों का कौशल विकास और उन्नयन किया जाएगा ताकि वह स्थानीय व्यवसायों में प्रशिक्षण लेकर स्वयं को लाभप्रद रोजगार से जोड़ सकें. मंत्रिमण्डल ने प्रदेश में राज्य ग्रामीण अभियांत्रिकी आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम को मंजूरी प्रदान की.
मंत्रिमण्डल ने राज्य में स्वरोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी और स्थानीय उद्यमों के माध्यम से स्थानीय युवाओं को रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से प्रेरित करने के लिए मुख्यमन्त्री स्वावलम्बन योजना 2019 को और आकर्षक और लाभप्रद बनाने के लिए इसमें संशोधन को मंजूरी प्रदान की. इससे प्रदेश के 18 से 45 वर्ष के लाखों युवा लाभान्वित होंगे.
मंत्रिमंडल ने प्रदेश में स्थापित किए जाने वाले नए उद्योगों तथा वर्तमान में कार्यरत उद्योगों के विस्तार के लिए 31 दिसम्बर, 2022 तक विद्युत शुल्क और विद्युत दरों में छूट प्रदान करने के लिए हिमाचल प्रदेश औद्योगिक नीति-2019 में विद्युत शुल्क में रियायत की धारा-15 और विद्युत दरों में रियायत की धारा-16 में सनसेट उप-धारा जोड़ने का निर्णय लिया है.
मंत्रिमंडल ने सोलन जिला के कसौली क्षेत्र के लोगों को लाभान्वित करने के लिए उप-मण्डलीय कार्यालय (नागरिक) खोलने की सहमति प्रदान की.