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Infant Protection Day: हिमाचल में 55 से 60% न्यूबॉर्न बेबी में पीलिया, जानिए लक्षण और कैसे कर सकते हैं बचाव? - IGMC Shimla Himachal Pradesh

Infant Protection Day 2023: 7 नवंबर को विश्व इन्फेंट प्रोटेक्शन डे मनाया जाता है. शिशु संरक्षण दिवस पर बच्चों में होने वाली बीमारियों, खासकर नवजात शिशुओं में होने वाली बीमारियों के बारे में जागरूक किया जाता है. वहीं, हिमाचल में भी नवजात शिशु पीलिया से ग्रसित हो रहे हैं. जानिए क्या है पीलिया के लक्षण और सावधानियां....

IGMC Shimla Himachal Pradesh
आईजीएमसी शिमला हिमाचल प्रदेश

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 7, 2023, 7:43 AM IST

Updated : Nov 7, 2023, 9:53 AM IST

शिमला: छोटे बच्चों खासकर नवजात शिशुओं की देखभाल करना बहुत जरूरी होता है. अगर नवजात बच्चों सही से समय रहते देखभाल न की जाए तो बच्चों को कई बीमारियां घेर लेती हैं. 7 नवंबर को विश्व इन्फेंट प्रोटेक्शन डे मनाया जाता है. आईजीएमसी शिमला के चाइल्ड विभाग में प्रोफेसर डॉ. प्रवीण भारद्वाज ने बताया कि नवजात बच्चों को अक्सर पीलिया हो जाता है. जिसे न्यूबॉर्न जॉन्डिस भी कहते हैं. ऐसे में परिजनों को डरने की जरूरत नहीं है. ऐसी स्थिति में नवजात का इलाज अस्पताल में समय पर करवाएं.

पीलिया के लक्षण:बाल विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण भारद्वाज ने बताया कि न्यूबॉर्न बेबी में जो पीलिया होता है, उसे फिजियोलॉजिकल जॉन्डिस कहा जाता है. नवजात शिशुओं को जन्म के 2 से 3 दिनों के अंदर पीलिया की समस्या हो सकती है. इसमें आंखों का रंग सफेद या स्किन का रंग पीला हो सकता है. ऐसा न्यूबॉर्न बेबी के रक्त में बिलीरुबिन का लेवल बढ़ने के कारण होता है. सबसे पहले बच्चे के चेहरे पर पीलिया नजर आता है. इसके बाद फिर शिशु की छाती, पेट, बाहों और टांगों पर इसके लक्षण दिखने लगते हैं.

नवजात शिशुओं में पीलिया

55 से 60% न्यूबॉर्न बेबी में पीलिया:बाल विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण भारद्वाज ने बताया कि 90 फीसदी बच्चों का पीलिया फोटोथेरेपी के जरिए से ठीक हो जाता है और अगर किसी बच्चे को ज्यादा पीलिया है तो उसे तुरंत बाल विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाना चाहिए. उन्होंने बताया कि नवजात शिशुओं में 55 से 60% बच्चों में पीलिया की समस्या होती है, लेकिन वो ज्यादा खतरनाक नहीं होती है. 90 फीसदी बच्चों में पीलिया खुद ही ठीक हो जाता है.

क्या है बिलीरुबिन: बिलीरुबिन एक पीले रंग का सब्सटेंस (पदार्थ) है, जो लीवर में मौजूद पित्त लिक्विड में पाया जाता है. जिसे पित्त भी कहा जाता है. यह रेड ब्लड सेल्स के टूटने से बनता है. बच्चों में जब बिलीरुबिन बनता हो तो उनके कमजोर लीवर के कारण वह बाहर नहीं निकल पाता है. जिससे की पीलिया होता है. ज्यादातर मामलों में शिशु के लिवर के विकसित होने पर पीलिया खुद ठीक हो जाता है. पीलिया 2 से 3 हफ्तों में ठीक हो ही जाता है, लेकिन अगर फिर भी यह 3 हफ्ते से ज्यादा रहता है, तो यह और अन्य बीमारियों के लक्षण हो सकते हैं.

न्यूबॉर्न जॉन्डिस के कारण और लक्षण

बिलीरुबिन बढ़ने के घातक नुकसान: बाल विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण भारद्वाज ने बताया कि बिलीरुबिन के हाई लेवल की वजह से शिशु को बहरापन, सेरेब्रल पाल्सी या अन्य किसी तरह का ब्रेन डैमेज हो सकता है. वहीं, पीलिया होने के कई और भी कारण हैं, जैसे कि लिवर में प्रॉब्लम, इंफेक्शन, एंजाइम की कमी और नवजात के रेड ब्लड सेल्स में असामान्यता आने के कारण भी न्यूबॉर्न जॉन्डिस होता है. उन्होंने बताया कि नैचुरल रोशनी यानि की धूप में पीलिया को आसानी से पहचाना जा सकता है. वहीं, गहरे रंग की स्किन वाले शिशुओं में इसका पता लगाना मुश्किल हो सकता है.

न्यूबॉर्न जॉन्डिस:न्यूबॉर्न जॉन्डिस होने पर नवजात शिशु की आंखों और शरीर का रंग पीला हो जाता है. बड़े बच्चों और वयस्कों में जब लिवर बिलीरुबिन बनाता है तो वो डाइजेस्टिव सिस्टम के जरिए शरीर से बाहर निकल जाता है, लेकिन न्यूबॉर्न बेबी का लिवर अभी भी पूरी तरह से डेवलप नहीं होता है कि वो बिलीरुबिन को शरीर से बाहर निकाल सके. जिसके कारण वो शिशुओं के अंदर ही जमा होता रहता है और इससे नवजात शिशुओं को पीलिया होता है.

पीलिया से ऐसे करें बचाव

क्या सावधानी बरतें: डॉ. प्रवीण भारद्वाज ने बताया कि पीलिया से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए. जैसे की बोतल से दूध न पिलाएं, डायपर का इस्तेमाल कम से कम करें, सर्दियों में रात में डायपर न पहनाएं, बच्चे के आसपास का वातावरण साफ रखें, रोटावायरस का टीका जरूर लगवाएं, धूल-धुएं से बच्चे को दूर रखें, सर्दियों में शिशुओं का बदन ढककर रखें, ऊन के बजाए कॉटन के मल्टीलेयर कपड़े पहनाएं. इससे बच्चों को काफी हद तक पीलिया और अन्य बीमारियों से बचाने में मदद मिलेगी.

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Last Updated : Nov 7, 2023, 9:53 AM IST

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