शिमला: हिमाचल प्रदेश के उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर कहा कोविड के दृष्टिगत प्रदेश के जो एमएसएमई उद्यमी प्रभावित हुए हैं. उन्हे आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत राहत देने के लिए कोलेटरल मुक्त ऑटोमैटिक ऋण प्रदान करने के लिए अब तक का सबसे बड़ा तीन लाख करोड़ रूपए का वित्तीय पैकेज घोषित किया गया है. जिससे बाजार में लिक्विडिटी बढ़ सके.
इस आर्थिक पैकेज का मुख्य उद्देश्य यदि हम औद्योगिक दृष्टि से बात करें तो मैं कहना चाहूंगा कि कोविड के कारण हमारे औद्योगिक सैक्टर को जो एक धक्का लगा, उससे इस क्षेत्र को बाहर निकाल कर फिर प्रगति पथ पर ले जाना है. अब तक हिमाचल प्रदेश में कार्यरत बैंको के द्वारा हमारे एमएसएमई.उद्यमियों को लगभग 1250 करोड़ रुपये का ऋण इस आर्थिक पैकेज के तहत दिया जा चुका है.
जब से यह पैकेज घोषित किया गया है तब से बैंकों के साथ मिलकर उद्यमियों को लाभ लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. स्वयं उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने गत दिनों नाहन जाकर उद्यमियों से चर्चा की और गुरुवार को भी वह सोलन जाकर जहां हमीरपुर, ऊना व बिलासपुर से भी अधिकारी व बैंक अधिकारी चर्चा करने आ रहे हैं.
आशा की जा रही है कि हिमाचल में लगभग 2000 करोड़ तक का ऋण आपातकाली केडिट लाइन गारंटी योजना के तहत उद्यमियों को वितरित किया जाएगा. इसके अतिरिक्त जो इकाईयां अभी ठीक ढंग से कार्य कर रही हैं व भविष्य में अपना विस्तार करना चाहती हैं.
उनके लिए इस आत्मनिर्भर पैकेज के अंतर्गत 50 हजार करोड़ का फण्ड स्थापित किया गया है, लेकिन अभी बैंकों का ध्यान उद्यमियों के लिए इमरजेंसी के डिट ऋण देने पर है. फिर से फंड ऑफ फंडस के तहत अभी तक बैंकों की ओर से ऋण देना शुरू नहीं किया गया है.
दबाव का सामना करने वाले MSMEs को राहत
दबाब का सामना करने के लिए 20 हजार करोड़ की क्रेडिट गारंटी योजना शुरू की गई है. अभी तक हिमाचल के बैंकों द्वारा इस तरह का कोई भी वितरण नहीं किया गया है क्योंकि यह ऋण उन्हीं उद्यमियों को दिया जाना है जिनके ऋण में डिफाल्ट हुआ है.
इस प्रावधान के तहत हमारे प्रदेश के लगभग 99 प्रतिशत उद्यम एमएस एमई की परिभाषा में आ जाएंगे तथा केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा मिलने वाले प्रोत्साहनों से लाभान्वित होंगे.
उद्योगों और श्रमिकों के लिए ईपीएफ सपोर्ट
हिमाचल के उद्योग अवश्य ही इससे लाभान्वित होंगे. आपको यह बताते हुए भी हर्ष हो रहा है कि 24 प्रतिशत की यह सपोर्ट आगामी और तीन माह के लिए बढ़ा दी गई है. इस योजना के तहत हिमाचल प्रदेश में कुल 5,175 योग्य संस्थान हैं और 99,672 कामगार पात्र हैं.
सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के विकास के लिए 10 हजार करोड़ और पशुपालन विकास के लिए ढांचागत सुविधा विकसित करने को 15 हजार करोड़, रुपये मत्स्य पालन वैल्यू चेन के लिए 20 हजार करोड़ रुपये, मौन पालन विकास के लिए 500 करोड़ रुपये और सामाजिक ढांचागत विकास के लिए 8100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. हिमाचल प्रदेश के लिए 1191 इकाईयों का लक्ष्य दिया गया है, जिसमें स्वयं सहायता समूहों और महिला समूहों को शामिल किया जाएगा.
कोविड -19 महामारी के दौरान हिमाचल से झारखंड राज्य को रेल व बसों द्वारा कुल 3918 प्रवासी कामगारों को उनके घर वापिस भेजा गया. इसके अतिरिक्त झारखण्ड राज्य से हिमाचल के 15 मजदूरों को वापिस लाया गया.