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ऐतिहासिक विरासत को संजोए है एडवांस्ड स्टडी, भवन की ये खासियतें देश-विदेश के पर्यटकों को कर रही आकर्षित - tourism

शिमला का इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी देश की ऐतिहासिक विरासत को संजोए है. भवन की ऐसी कई खासियतें है जो देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है और यही कारण है कि यहां पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या हर साल बढ़ती ही जा रही है.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी.

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Published : May 26, 2019, 4:44 PM IST

शिमला: राजधानी की खूबसूरत वादियों के बीचोंबीच स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी हिमाचल पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. एडवांस्ड स्टडी में आने वाले पर्यटकों की संख्या हर साल बढ़ती ही जा रही है. इस स्थान की ऐतिहासिकता बाहरी राज्यों के साथ-साथ विदेशी पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित कर रही है. यही वजह है कि इस ऐतिहासिक विरासत को देखने के लिए विदेशी पर्यटक काफी संख्या में यहां पहुंच रहे हैं.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी.

बता दें कि एडवांस्ड स्टडी घूमने आने वाले पर्यटकों की संख्या का आंकड़ा ढेड़ लाख से भी ऊपर जा रहा है और यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है. बात की जाए बीते वर्ष की तो इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी में 1,74,176 पर्यटक इस स्थान को घूमने के लिए पहुंचे थे और इस वर्ष 2019 में जनवरी से अप्रैल तक 68,483 पर्यटक इस स्थान की ऐतिहासिकता को जानने के लिए पहुंचे चुके हैं. इस जगह की खास बात यह है कि यहां एडवांस्ड स्टडी के ऐतिहासिक और सुंदर भवन के साथ ही प्रकृतिक सुंदरता भी है, जिससे पर्यटक इस स्थान की ओर आकर्षित होते हैं.

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शहर की भीड़ से दूर यह स्थान यहां आने वाले पर्यटकों को एक अलग ही अनुभव और आनंद देता है. पर्यटकों को भवन के अंदर दर्शन करवाकर इसके इतिहास से भी अवगत करवाया जाता है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी ब्रिटिशकालीन समय में तैयार किया गया भवन है जिसे अब उच्च अध्ययन के लिए देश-विदेश में जाना जाता है, लेकिन पर्यटक आज भी ब्रिटिशकाल में बने इस भवन को देखने की चाह रखते हैं.

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बता दें कि इस संस्थान का इतिहास गौरवमयी रहा है. भवन का निर्माण वर्ष 1884 में तत्कालीन वायसरॉय डफरिन के लिए किया गया था और इसी की तर्ज पर इसे वाइसरीगल लॉज भी कहा जाता है. इस भवन की ऐतिहासिकता की एक खास बात यह है कि आजादी की लड़ाई के समय इस संस्थान के भवन में कई ऐतिहासिक बैठकें हुई और फैसले लिए गए. पाकिस्तान के साथ 1945 मे हुआ शिमला समझौता भी इसी भवन में हुआ था.

इसके अलावा पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान को देश से अलग करने का फैसला यहीं लिया गया औ आजादी के बाद इस भवन को एक नई पहचान देते हुए इसे राष्ट्रपति निवास का नाम दिया गया. इसके बाद राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन ने इस भवन को उच्च शिक्षा और शोध संस्थान बनाने का फैसला लिया और तब से यह संस्थान अपनी इस पहचान को कायम बनाए हुए है.

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