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IGMC Shimla Guard Dispute: धरने में शामिल होना दो सुरक्षा कर्मियों को पड़ा भारी, हरकत में आया IGMC प्रशासन, कारण बताओ नोटिस जारी - आईजीएमसी सुरक्षा कर्मियों को नोटिस जारी

आईजीएमसी शिमला से निकाले गए सुरक्षा कर्मियों के धरने में शामिल होना दो गार्डों का भारी पड़ गया. आईजीएमसी प्रशासन ने दोनों सुरक्षा कर्मी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. (IGMC Shimla Guard Dispute) (IGMC administration issued show cause notice to two security guard)

IGMC Shimla Guard Dispute
आईजीएमसी सुरक्षा कर्मी को कारण बताओ नोटिस जारी

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 20, 2023, 2:28 PM IST

शिमला:आईजीएमसी शिमला से निकाले गए सुरक्षा कर्मी पिछले कई दिनों से नौकरी पर वापस लिए जाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. बीते दिनों अस्पताल में कार्यरत दो सुरक्षा कर्मी भी इस धरना प्रदर्शन में शामिल हुए थे. जिसके बाद अस्पताल प्रशासन हरकत में आया और इन दोनों गार्डों को कारण बताओ नोटिस जारी कर एक दिन में जवाब देने को कहा है.

आईजीएमसी में बीते बुधवार को कॉन्ट्रेक्ट वर्करज यूनियन से संबंधित सीटू ने अस्पतला के बाहर मौन प्रदर्शन किया था, जिसमें शामिल अस्पताल के दो सुरक्षा कर्मियों को प्रशासन ने कारण बताओं नोटिस जारी किया है. प्रशासन ने सुरक्षा कर्मियों को सीधे तौर पर यह कहा कि एक दिन के अंदर इसका जबाव देना होगा. वरना उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. यह नोटिस सुरक्षा कर्मी धनीराम और विरेंद्र को जारी किया है. बता दें कि धनीराम की ऑर्थो ओपीडी में डयूटी थी. और विरेंद्र की न्यू ओपीडी में तैनाती थी. प्रशासन का कहना है यह दोनों सुरक्षा कर्मी बिना बताए धरना प्रदर्शन में शामिल हुए.

आईजीएमसी सुरक्षा कर्मी को कारण बताओ नोटिस जारी

बता दें कि आईजीएमसी में 31 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से निकाला गया है, लेकिन 7 सुरक्षा कर्मियों को वापस नौकरी पर ले लिया गया. वहीं, निष्काषित 24 कर्मचारियों को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है. ऐसे में अब सुरक्षा कर्मी सीटू के साथ मिलकर प्रदर्शन कर रहे हैं. सीटू के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा का कहना है कि 24 सुरक्षा कर्मियों के नौकरी से बाहर करना देश के कानून का गला घोंटना है. सिक्योर गार्ड को दिए गए सुरक्षा कर्मियों के ठेके में महाघोटाला है. इस पर कार्रवाई करने के लिए प्रधानमंत्री, हिमाचल के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जांच की मांग की जाएगी. इस घोटाले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

सुरक्षा कर्मियों ने आरोप लगाए है कि टेक्निकल बिड इवैल्यूएशन के 70 अंकों के आधार पर सिक्योर गार्ड कंपनी ठेके के लिए अप्लाई करने के लिए भी पात्र नहीं थी. क्योंकि उसके 70 में से शून्य अंक हैं. ठेके के लिए 2019 से हर साल इनकम टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य था, लेकिन कंपनी सितंबर 2020 में बनी तो फिर इसने वर्ष 2019 का आयकर कैसे भर दिया?

उन्होंने कहा कि कंपनी को ठेके की शर्तों के अनुसार वर्ष 2017 से 2022 तक के पांच वर्षों में एक जगह पर 100 से अधिक व कुल 300 सुरक्षा कर्मियों से कार्य अनुभव होना अनिवार्य था, लेकिन कंपनी का कार्य अनुभव तो तीन वर्ष का भी नहीं है. इस तरह कंपनी को ठेका मिलना तो दूर की बात यह कंपनी बिडिंग प्रक्रिया में शामिल होने के लिए भी पात्र नहीं थी. इस घोटाले को जनता में उजागर किया जाएगा और इसके खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा.

यूनियन अध्यक्ष देवराज बबलू ने कहा आईजीएमसी में अंग्रेजों के जमाने के काले कानून आज भी जारी हैं. यहां हायर एंड फायर नीति जारी है और कानून का गला घोंट कर 200 कोविड कर्मियों और 24 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर कर दिया गया है. कर्मियों को नौकरी से बाहर करने का निर्णय गैर कानूनी है. इसे जल्द वापस लिया जाना चाहिए. कर्मियों की मानसिक प्रताड़ना की जा रही है.

ठेकेदार बदलने पर उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है, जो यूनियन से आईजीएमसी प्रबंधन द्वारा किए गए समझौते व औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 एच का खुला उल्लंघन है. जो भी सुरक्षा कर्मी अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है, उसे नौकरी से बाहर निकाला जा रहा है.

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