शिमला:आईजीएमसी शिमला के 31 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर निकालने का मुद्दा गरमाता जा रहा है. सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से निकाले जाने के खिलाफ आईजीएमसी कॉन्ट्रेक्ट वर्कर्स यूनियन से संबंधित सीटू (सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन) के नेतृत्व में गार्डों ने अस्पताल के बाहर मौन प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शकारियों ने चेतावनी दी कि अगर नौकरी से निकाले गए सुरक्षा कर्मियों को वापस नहीं लिया गया तो आने वाले दिनों में आंदोलन तेज होगा.
सीटू अध्यक्ष विजेंदर मेहरा ने कहा कि आजाद देश में अंग्रेजों के जमाने के काले कानून आज भी जारी हैं. इसका उदाहरण आईजीएमसी है. जहां हायर एंड फायर की नीति जारी है. यहां कानून का गला घोंटकर 31 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर कर दिया गया है. यह औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 33 का भी उल्लंघन है, जो यूनियन के मजदूरों को सुरक्षित कर्मचारी घोषित करती है.
उन्होंने कहा 31 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर निकालने का निर्णय गैर कानूनी है. इसे जल्द वापस लिया जाना चाहिए. अगर सुरक्षा कर्मियों को नौकरी पर वापस नहीं बुलाया गया तो आईजीएमसी शिमला में हड़ताल होगी. आईजीएमसी में सुरक्षा कर्मियों की मानसिक प्रताड़ना की जा रही है. ठेकेदार बदलने पर उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है, जो यूनियन से आईजीएमसी प्रबंधन द्वारा किए गए समझौते और औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 एच का खुला उल्लंघन है.