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स्वास्थ्य योजनाओं के आंकड़े जुटाएगा HPU, सर्वे के आधार पर योजना बनाएगा नीति आयोग

एचपीयू के जनसंख्या अनुसंधान केंद्र को पांचवी बार राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के लिए चुना गया है. इस बार राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण पांच के लिए मात्र दो ही विश्वविद्यालयों के जनसंख्या अनुसंधान के केंद्रों का चयन हो पाया है, जिसमें केंद्र दिल्ली विश्वविद्यालय और दूसरा एचपीयू का जनसंख्या अनुसंधान केंद्र शामिल है.

फाइल फोटो.

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Published : Jun 13, 2019, 10:36 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का जनसंख्या अनुसंधान केंद्र प्रदेश में स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं की सफलता के बारे में जानकारी जुटाएगा. अनुसंधान केंद्र की टीम जानकारी जुटाएगी कि हिमाचल में स्वास्थ्य सेवाएं किस हाल में है और लोगों को स्वास्थ्य योजनाओं से जुड़े लाभ मिल रहे हैं या नहीं.

प्रो. एनएस बिष्ट (वीडियो).

टीम द्वारा जुटाई गई जानकारी के आधार पर नीति आयोग हिमाचल के लिए स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं को तैयार करेगा. एचपीयू के जनसंख्या अनुसंधान केंद्र को पांचवी बार राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के लिए चुना गया है, जिस पर केंद्र ने काम भी शुरू कर दिया है. इस बार राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण पांच के लिए मात्र दो ही विश्वविद्यालयों के जनसंख्या अनुसंधान के केंद्रों का चयन हो पाया है, जिसमें केंद्र दिल्ली विश्वविद्यालय और दूसरा एचपीयू का जनसंख्या अनुसंधान केंद्र शामिल है.

केंद्र की ओर से जिन खास स्वास्थ्य संबंधित बातों का डाटा लिया जाएगा, उसमें गर्वभती महिलाओं के साथ ही नवजात शिशुओं की मृत्यु दर, मातृत्व शिशु विकास, खून की कमी, परिवार नियोजन के साथ ही सेक्सुअल लाइफ ऑफ मैन वुमन और डोमेस्टिक वायलेंस भी शामिल रहेंगे. इस सर्वे को स्वास्थ्य का सबसे सटीक सर्वे माना जाता है. सर्वे के लिए सात लोगों की आठ टीमें तैयार की गई है, जिसमें एक निरीक्षक, दो स्वास्थ्य कर्मी और चार सामाजिक कार्यकर्ता शामिल है.

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आगामी सर्वे के लिए जाने वाली 150 इंवेटिगेटर्ज की टीम को सर्वे किस तरह से करना है किस तरह से लोगों के सैंपल एकत्र करने हैं, इसे लेकर ट्रेनिंग दी जा रही है. इस ट्रेनिंग के बाद कांगड़ा, हमीरपुर और ऊना में सर्वे की शुरुआत की जाएगी.

सर्वे को दिसंबर महीने तक पूरा कर इसकी रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी जाएगी. एचपीयू जनसंख्या अनुसंधान केंद्र के समन्वय में प्रो. एनएस बिष्ट ने बताया कि इस सर्वे में जो भी परिणाम सामने आएंगे, उनके आधार पर देश भर में स्वास्थ्य नीति बनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि इस सर्वे को पांच साल के बजाए तीन साल बाद करवाने की सिफारिश भी नीति आयोग कर रहा है. बता दें कि इससे पहले 1992-93, 96-98, 2005-06 और 2015-16 में यह सर्वे किया गया है, जिसके परिणाम के आधार पर स्वास्थ्य संबंधी योजनाएं तैयार की गई हैं.

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